’15 सालों से अपनी पत्नी से वादा कर रहा था’, भीख मांगकर मंगलसूत्र खरीदने गए बुजुर्ग ने क्या कहा?

by Carbonmedia
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भीड़-भाड़ और भागदौड़ से भरी इस दुनिया में कभी-कभी ऐसी घटनाएं सामने आती हैं जो दिल को छू जाती हैं. ऐसी ही एक कहानी छत्रपति संभाजीनगर से सामने आई है. 95 साल के निवृत्ति शिंदे नाम के बुजुर्ग ने सड़कों पर भीख मांगकर अपनी पत्नी शांताबाई के लिए एक ‘मंगलसूत्र’ खरीदा. सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस वीडियो ने लाखों लोगों के दिल जीत लिए हैं.
जालना जिले के रहने वाले हैं
निवृत्ति शिंदे और उनकी पत्नी शांताबाई, जो जालना जिले के अंबोरा जाहागीर गांव के रहने वाले हैं. पिछले कई सालों से छत्रपति संभाजीनगर की सड़कों पर भीख मांगकर अपना जीवन चला रहे हैं. निवृत्ति शिंदे ने बताया कि वे बीते 15 सालों से अपनी पत्नी से वादा कर रहे थे कि वह उनके लिए सोने का मंगलसूत्र खरीदेंगे, लेकिन आर्थिक तंगी के चलते यह सपना पूरा नहीं हो पा रहा था.
20 रुपये में सौंप दिया मंगलसूत्र
हाल ही में उन्होंने करीब एक महीने की मेहनत से सिग्नल पर भीख मांगकर 1100 रुपये जमा किए. इस रकम को लेकर वह गोपिका ज्वैलर्स पहुंचे. जहां उन्होंने एक मंगलसूत्र पसंद किया. लेकिन जब दुकान के मालिक निलेश खिवनसारा को इस जोड़े की कहानी पता चली, तो उन्होंने उन्हें वह मंगलसूत्र सिर्फ 20 रुपये में सौंप दिया.
निलेश खिवनसारा ने बताया कि शिंदे दंपति बहुत ही आत्मसम्मानी हैं. उन्होंने गहना लेने के बदले कुछ राशि देना जरूरी समझा. इसीलिए उन्होंने उनके आशीर्वाद के रूप में 10-10 रुपये लेकर गहना दे दिया. जिसकी कीमत करीब 3000 रुपये थी. खिवनसारा का कहना है, मैंने कोई बड़ी बात नहीं की, बस इंसानियत का फर्ज निभाया है.
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो
शिंदे दंपति की यह कहानी सोशल मीडिया पर वायरल होते ही लोग भावुक हो उठे. एक तरफ जहां बुजुर्ग पति ने अपनी पत्नी के लिए समर्पण की मिसाल कायम की, वहीं दूसरी ओर एक ज्वैलर ने संवेदनशीलता और सहयोग का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया.
एक बेटा अब नहीं रहास्थानीय मेडिकल स्टोर के मालिक श्रीनिवास ने बताया कि शिंदे को अक्सर मंदिर और सिग्नल पर भीख मांगते देखा है. वह बताते हैं कि बाबा धूप, बारिश और गर्मी में घंटों खड़े रहते हैं. उनके बेटे की हालत ठीक नहीं है और एक बेटा अब नहीं रहा. कई बार उनकी जमा रकम चोरी भी हो चुकी है. उन्हें सुरक्षित स्थान और सरकारी मदद की सख्त जरूरत है.
इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि प्रेम, त्याग और आत्मसम्मान की कहानियां उम्र, सामाजिक स्थिति और परिस्थितियों से परे होती हैं. यह बुजुर्ग दंपति आज पूरे देश में एक मिसाल बन चुके हैं.

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