यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को 16 जुलाई को फांसी दी जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट में नर्स को बचाने के लिए केंद्र को राजनयिक माध्यमों का इस्तेमाल करने का निर्देश देने का अनुरोध करते हुए याचिका दाखिल की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (10 जुलाई, 2025) को याचिका पर सुनवाई की सहमति जताई है.
एडवोकेट सुभाष चंद्रन के. आर. ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि मामले में जल्द से जल्द राजनयिक माध्यमों की संभावनाएं तलाशी जानी चाहिए. जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जे. बागची ने मामला 14 जुलाई को सुनवाई के लिए लिस्ट कर दिया है.
सीनियर एडवोकेट रजेंथ बसंत और चंद्रन ने कहा कि शरिया कानून के तहत मृतक के परिवार को ब्लड मनी के भुगतान की अनुमति पर विचार किया जा सकता है. उन्होंने दलील दी कि शरिया कानून के तहत मृतक के परिवार को ब्लड मनी के माध्यम से क्षमादान पर विचार किया जा सकता है.
ब्लड मनी का मतलब दंड से बचने के लिए दिए जाने वाले उस आर्थिक मुआवजे से है, जो दोषी की तरफ से पीड़ित परिवार को दिया जाता है. उन्होंने दलील दी कि अगर ब्लड मनी का भुगतान किया जाता है, तो मृतक का परिवार केरल की नर्स को माफ कर सकता है.
बेंच ने वकील से याचिका की कॉपी अटॉर्नी जनरल को देने को कहा और उनकी सहायता मांगी. यह याचिका ‘सेव निमिषा प्रिया – इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ नामक के एक संगठन की ओर से दायर की गई है, जो निमिषा प्रिया की सहायता के लिए कानूनी सहायता प्रदान करता है.
याचिका में एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला दिया गया है जिसमें कहा गया है कि यमन के प्रशासन ने निमिषा प्रिया को फांसी देने की संभावित तारीख 16 जुलाई तय की है.
केरल के पलक्कड़ जिले की 38 वर्षीय नर्स निमिषा प्रिया को साल 2017 में अपने यमनी बिजनेस पार्टनर की हत्या का दोषी ठहराया गया था. उन्हें 2020 में मौत की सजा सुनाई गई और 2023 में उनकी अंतिम अपील खारिज कर दी गई. वह वर्तमान में यमन की राजधानी सना की एक जेल में कैद हैं.
16 जुलाई को भारतीय नर्स को यमन में हो सकती है फांसी, सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता ने बताया क्या है बचाने का आखिरी तरीका
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