1990 से 1997 के बीच पैदा हुईं महिलाएं जरूर कराएं ये 7 टेस्ट, नहीं तो हो सकती है बड़ी दिक्कत

by Carbonmedia
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जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, हेल्थ का ख्याल रखना और भी जरूरी हो जाता है. सिर्फ डाइट और एक्सरसाइज ही नहीं, बल्कि समय-समय पर कुछ जरूरी टेस्ट कराना भी बेहद महत्वपूर्ण है. कई बार हमें कोई तकलीफ महसूस नहीं होती, लेकिन शरीर के अंदर कई बदलाव होते रहते हैं जिनका पता सिर्फ टेस्ट से ही चल सकता है. इसलिए रेगुलर हेल्थ चेकअप करवाना स्मार्ट और जरूरी कदम है.
हाल ही में न्यूट्रिशनिस्ट और लाइफस्टाइल एजुकेटर डॉ. अनामिका रघुवंशी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया. उन्होंने बताया कि अगर आपका जन्म 1990 से 1997 के बीच हुआ है, यानी आप अपनी लेट 20s या अर्ली 30s में हैं, तो ये हेल्थ टेस्ट जरूर करवाएं. उन्होंने 7 जनरल हेल्थ और 5 रिप्रोडक्टिव एवं फर्टिलिटी से जुड़े टेस्ट बताए हैं. आइए जानते हैं कौन से हैं ये टेस्ट और क्यों जरूरी हैं.
जनरल हेल्थ टेस्ट क्यों जरूरी हैं?
रेगुलर हेल्थ चेकअप से न सिर्फ बीमारियों का समय रहते पता चलता है बल्कि सीरियस प्रॉब्लम्स से बचाव भी किया जा सकता है. डॉ. अनामिका के अनुसार, ये सात टेस्ट महिलाओं को जरूर कराने चाहिए:

कंप्लीट ब्लड काउंट (CBC) – इससे खून की कमी, इंफेक्शन और कई अन्य समस्याओं का पता चलता है.
फेरिटिन (Iron Stores) – शरीर में आयरन लेवल चेक करने के लिए जरूरी है ताकि एनीमिया से बचा जा सके.
विटामिन D टेस्ट – हड्डियों की मजबूती और इम्यूनिटी के लिए जरूरी है.
विटामिन B12 टेस्ट – इसकी कमी से थकान और न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम्स हो सकती हैं.
लिपिड प्रोफाइल – कोलेस्ट्रॉल लेवल (HDL, LDL, ट्राइग्लिसराइड्स) जानने के लिए जरूरी है, ताकि हार्ट हेल्थ मेंटेन रहे.
फास्टिंग ग्लूकोज / HbA1c – ब्लड शुगर लेवल चेक करने के लिए ताकि डायबिटीज का पता चल सके.
थायरॉइड पैनल (TSH, T3/T4) – थायरॉइड हार्मोन का असंतुलन वजन, मूड और फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकता है.

फर्टिलिटी और रिप्रोडक्टिव हेल्थ टेस्ट
कई महिलाएं सोचती हैं कि अगर वे अभी प्रेग्नेंसी प्लान नहीं कर रही हैं तो फर्टिलिटी टेस्ट की जरूरत नहीं, लेकिन यह गलत है. रिप्रोडक्टिव हेल्थ को समय रहते समझना और ट्रैक करना बेहद जरूरी है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक ये टेस्ट कराना जरूरी है.

AMH (Anti‑Mullerian Hormone) – ओवेरियन रिजर्व यानी अंडों की संख्या और क्वालिटी जानने के लिए.
FSH (Follicle‑Stimulating Hormone) – पीरियड्स के तीसरे दिन किया जाने वाला यह टेस्ट ओवरी की हेल्थ बताता है.
LH (Luteinizing Hormone) – ओव्यूलेशन विंडो या पीरियड्स के तीसरे दिन टेस्ट किया जाता है.
Estradiol (E2) – हार्मोनल बैलेंस चेक करने के लिए जरूरी.
प्रोलैक्टिन – इसका असंतुलन पीरियड्स और फर्टिलिटी को प्रभावित करता है.

अगर आप 28 से 35 साल की उम्र में हैं, तो इन टेस्ट को अपनी हेल्थ चेकलिस्ट में जरूर शामिल करें. ये न सिर्फ आपके मौजूदा स्वास्थ्य को ट्रैक करने में मदद करेंगे बल्कि फ्यूचर में होने वाली बड़ी हेल्थ प्रॉब्लम्स से भी बचाएंगे. याद रखें, समय पर लिया गया छोटा कदम आपको बड़ी बीमारी से बचा सकता है.
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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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