Delhi High Court News: दिल्ली हाईकोर्ट ने साल 1993 के बम ब्लास्ट के मामले में दोषी और खालिस्तान लिबरेशन फोर्स के आतंकवादी देविंदर पाल सिंह भुल्लर को तिहाड़ जेल प्रशासन के समक्ष सरेंडर करने का आदेश दिया है.
देविंदर पाल सिंह भुल्लर की पैरोल शुक्रवार (23 मई) को खत्म हो गई. भुल्लर ने दिल्ली हाईकोर्ट से सरेंडर करने की प्रक्रिया में छूट की मांग करते हुए याचिका दाखिल की थी. अपनी याचिका में भुल्लर ने कहा था कि वह तीव्र मानसिक बीमारी शिजोफ्रेनिया से पीड़ित है और इलाज करवा रहे हैं, लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई करने वाले जस्टिस गिरीश काथपलिय ने कहा जेल में भी उचित इलाज की सुविधा मौजूद है. उन्होंने अपने आदेश में कहा कि भुल्लर को सरेंडर करना होगा.
याचिका वापस लेने की इजाजत मांगी
देविंदर पाल सिंह भुल्लर के वकील ने दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान कोर्ट से अपनी याचिका वापस लेने की इजाजत मांगी. वहीं कोर्ट में उनके वकील ने भरोसा दिलाया कि भुल्लर जेल अधिकारियों के समक्ष सरेंडर करेंगे. दिल्ली हाईकोर्ट ने वकील की इस दलील को सुनने के बाद याचिका खारिज कर दी.
’नहीं किया पैरोल की शर्तों का उल्लंघन'
भुल्लर के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि उनके क्लाइंट ने कभी भी पैरोल की शर्तों का उल्लंघन नहीं किया और अधिकांश समय जेल से जुड़े अस्पताल में ही अपना इलाज करते रहे. वकील ने यह भी कहा कि 30 साल की कैद के बाद कानून के तहत भुल्लर को राहत मिलनी चाहिए. हालांकि दिल्ली हाई कोर्ट में इस दलील को सुनने के बाद स्पष्ट करते हुए कहा कि भुल्लर की समय से पहले रिहाई की याचिका अभी अदालत में लंबित है लेकिन इस आधार पर वह सरेंडर करने से बच नहीं सकते हैं.
2001 में मिली थी भुल्लर को फांसी की सजा
दरअसल सितंबर 1993 में दिल्ली में हुए बम ब्लास्ट में नौ लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी और 31 लोग घायल हो गए थे . जिनमें तत्कालीन युवा कांग्रेस अध्यक्ष एम एस बिट्टा शामिल थे, इस मामले में भुल्लर को 2001 में टाटा कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी. जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में उम्रकैद में बदल दिया था. उन्हें 1995 में गिरफ्तार किया गया था और 2015 में स्वास्थ्य कारणों से तिहाड़ जेल से अमृतसर सेंट्रल जेल में ट्रांसफर कर दिया गया था.