पंजाब शिक्षा विभाग द्वारा वर्ष 2018 में बनाए भर्ती नियमों के खिलाफ पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में 2020 से चल रही कानूनी लड़ाई अब अंतिम पड़ाव पर है। इन नियमों के तहत बीपीईओ, हेड मास्टर और प्रिंसिपल की सीधी भर्तियों को लेकर शिक्षकों ने गंभीर आपत्ति जताई थी। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि विभाग ने वरिष्ठ शिक्षकों के हक की अनदेखी कर सीधी भर्ती से पद भरने की प्रक्रिया अपनाई, जो भावना के खिलाफ है। नीरज यादव, हरजिंदर सिंह हांडा, मनोज कुमार थापर, जर्मनजीत सिंह और निशात अग्रवाल ने बताया कि कोर्ट ने बीपीईओ पदों के परिणाम और हेड मास्टरों की नियुक्तियों पर पहले ही रोक लगा दी है। प्रिंसिपलों की भर्ती को लेकर विभाग ने पीपीएससी को विज्ञापन रद्द करने के लिए पत्र भेज दिया है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि विभाग ने कोर्ट केसों से निकलने के लिए सिर्फ भर्ती रद्द कर रास्ता निकाला, लेकिन नियमों में संशोधन करते वक्त उन्हें विश्वास में नहीं लिया गया। उनका तर्क है कि नियुक्ति की प्रक्रिया उस वक्त तक पूरी नहीं मानी जा सकती जब तक अंतिम आदेश न निकलें। सिर्फ दस्तावेज दिखाने को नियुक्ति मानकर 25% सीधी भर्ती की मांग करना गलत है। मनोज थापर ने सुझाव दिया कि सरकार को पहले 2018 के नियम रद्द कर कोर्ट में हलफनामा देना चाहिए, फिर सभी पक्षों से सुझाव लेकर नए नियम बनाने चाहिए ताकि भविष्य में ऐसे विवाद दोहराए न जाएं।
2018 के नियमों पर लंबित केस अंतिम चरण में, शिक्षकों ने उठाई न्याय की मांग
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