2027 चुनाव के लिए अखिलेश यादव ने बदली रणनीति, सपा चीफ के फैसले से BJP भी अचरज में!

by Carbonmedia
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UP Politics: समाजवादी पार्टी (सपा) ने 2027 के चुनाव की तैयारियों को देखते हुए बड़ा कदम उठाया है. पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष श्यामलाल पाल के निर्देश पर आगरा जिले और महानगर की सभी इकाइयों को भंग कर दिया है. इसमें जिला और महानगर कमेटियों के साथ-साथ प्रकोष्ठों की इकाइयां भी शामिल हैं. सपा के इस फैसले को पार्टी की नई रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है. सपा की नई रणनीति से भारतीय जनता पार्टी भी अचरज में है. अब तक कई मौकों पर बीजेपी के नेता सपा की सांगठनिक नियुक्तियों को लेकर पीडीए फॉर्मूले पर सवाल उठाते थे. अब उन्हें भी नए सिरे से रणनीति बनानी पड़ सकती है. 


पार्टी अब अपनी नई कार्यकारिणी में पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक (पीडीए) वर्ग के कार्यकर्ताओं की भागीदारी को बढ़ाने जा रही है. पिछले कुछ सालों से सपा पीडीए वर्ग को साथ लेकर चल रही है. हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में भी पार्टी ने इस वर्ग को प्राथमिकता दी थी और इसका फायदा मिला. अब पार्टी का फोकस 2027 के विधानसभा चुनाव पर है. माना जा रहा है कि सपा नेतृत्व संगठन को फिर से खड़ा कर इन वर्गों के कार्यकर्ताओं को अहम जिम्मेदारी देना चाहता है.


जानकारों का कहना है कि समाजवादी पार्टी ने हमेशा पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक समाज को अपनी ताकत माना है. इसी वजह से अखिलेश यादव की अगुवाई में पार्टी ने पीडीए एजेंडा को आगे बढ़ाया. यह एजेंडा 2019 के बाद से लगातार चर्चा में रहा. 2022 के विधानसभा चुनाव में भी सपा ने पीडीए वर्ग को संगठन में जगह देकर उन्हें जोड़ने की कोशिश की थी. हालांकि तब पार्टी को उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिली, लेकिन इस बार पार्टी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती.


क्या बोले सपा के यूपी चीफ?
प्रदेश अध्यक्ष श्यामलाल पाल ने कहा कि नई कार्यकारिणी में अनुभवी और जमीनी कार्यकर्ताओं को मौका दिया जाएगा. साथ ही युवाओं को भी संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने की तैयारी है. इससे संगठन में नई ऊर्जा आएगी और पार्टी को मजबूती मिलेगी. आगरा जिले के कार्यकर्ताओं में इस फैसले के बाद उत्साह देखा जा रहा है. खासकर युवा और पीडीए वर्ग के कार्यकर्ताओं को उम्मीद है कि उन्हें नई कार्यकारिणी में अहम जिम्मेदारी दी जाएगी.


गौरतलब है कि आगरा जिले में समाजवादी पार्टी का मजबूत आधार रहा है. जिले में पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक समाज की बड़ी आबादी है. ऐसे में सपा नेतृत्व इस वर्ग के नेताओं को संगठन में लाकर 2027 के चुनाव में बड़ी भूमिका देना चाहता है. इसके अलावा पार्टी का मानना है कि युवाओं का जोश और नई सोच पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत बनाएगा.


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फिलहाल नई कार्यकारिणी बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. पार्टी के वरिष्ठ नेता और स्थानीय कार्यकर्ताओं से चर्चा की जा रही है. जल्द ही जिला और महानगर की नई कार्यकारिणी की घोषणा होगी. इससे पहले प्रदेश के कई अन्य जिलों में भी इकाइयां भंग की जा चुकी हैं. सपा का दावा है कि इस नए बदलाव से पार्टी को नई दिशा और ताकत मिलेगी.

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