असम सरकार ने रविवार को गोलाघाट जिले के नाम्बोर साउथ रिजर्व फॉरेस्ट में रह रहे लगभग 350 मियां मुस्लिम परिवारों को बेदखल कर दिया. अधिकतर परिवार बंगाली मूल के मुसलमान हैं, जिन्हें असम में मियां मुस्लिम कहा जाता है. प्रशासन के अनुसार, लगभग 1,000 बीघा जंगल भूमि को मुक्त कराया गया है.
स्क्रॉल डॉट इन नाम की वेबसाइट के मुताबिक, बेदखली अभियान के साथ ही कई न्यूज वीडियो सामने आए हैं, जिनमें असमिया राष्ट्रवादी समूह मियां मुस्लिमों को ऊपरी असम छोड़ने की धमकी देते नजर आ रहे हैं. एक वीडियो में ‘जातीय संग्राम सेन’ के सदस्य सितु बरूआ ने एक मियां व्यक्ति से कहा, “चुप हो जा मियां… मियां लोगों को 24 घंटे में ऊपरी असम छोड़ना होगा.’
प्रशासन ने कहा – शांतिपूर्ण तरीके से हुई कार्रवाईगोलाघाट प्रशासन ने बताया कि गजालजन और 3 नंबर राजपुखुरी क्षेत्रों में अतिक्रमण हटाया गया. अधिकारियों ने दावा किया कि अभियान शांति से हुआ और किसी भी प्रकार का विरोध नहीं हुआ. प्रशासन ने बताया कि अधिकतर परिवार 1980 के दशक से इस क्षेत्र में रह रहे थे, कुछ ने 1978 से बसने का दावा किया है.
लगातार हो रहे बेदखली अभियानयह असम में 16 जून के बाद से सातवां बेदखली अभियान था. अब तक कुल लगभग 5,300 परिवार, विशेष रूप से बंगाली मूल के मुसलमान, अपने घरों से बेदखल हो चुके हैं. इन परिवारों में से कई अब तिरपाल की झोपड़ियों में सड़क किनारे रहने को मजबूर हैं.
रेंगमा रिजर्व फॉरेस्ट में 1,500 से अधिक परिवार बेदखलशनिवार को प्रशासन ने रेंगमा रिजर्व फॉरेस्ट से भी बड़े पैमाने पर बेदखली की. पांच दिनों में 1,500 से अधिक परिवारों को हटाया गया और 4,000 से अधिक अवैध ढांचों को तोड़ा गया. यह क्षेत्र नागालैंड की सीमा से लगे विवादित क्षेत्र बेल्ट में आता है.
आगे और बेदखलियां तयविशेष मुख्य सचिव एमके यादव ने जानकारी दी कि मेरापानी के नेघेरिबिल क्षेत्र में 205 परिवारों को नोटिस दिया गया है और उन्हें 8 अगस्त से हटाया जाएगा. यह क्षेत्र दोयांग रिजर्व फॉरेस्ट में आता है.
मुस्लिमों ने धार्मिक भेदभाव का आरोप लगायाबेदखल किए गए लोगों ने सरकार पर धार्मिक और जातीय भेदभाव का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि रेंगमा रिजर्व फॉरेस्ट और गुवाहाटी में रहने वाले गैर मुस्लिमों को नहीं हटाया गया, जबकि उनके बगल में रहने वाले मुस्लिमों को नोटिस दिए गए.
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा का बयानमुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि राज्य सरकार ‘स्वदेशी लोगों’ को नहीं हटाएगी. उन्होंने कहा कि ऐसे लोग जिन्होंने बांग्लादेश से आकर जमीन पर कब्जा किया है, उनके खिलाफ ही कार्रवाई की जा रही है.
सरमा ने कहा, “दो प्रकार के अतिक्रमण हैं, अगर कोई स्वदेशी व्यक्ति सार्वजनिक जमीन पर रह रहा है तो हम उसे अतिक्रमण नहीं मानते. लेकिन जो लोग बांग्लादेश से आए हैं, उनके मामले को ही अतिक्रमण माना जाएगा.’असम में मियां या बंगाली मूल के मुसलमानों को अकसर विदेशी या बांग्लादेशी घुसपैठिए कहकर निशाना बनाया जाता है, जबकि उनके पास नागरिकता के प्रमाण होते हैं और वे पीढ़ियों से राज्य में रह रहे हैं.
24 घंटे में छोड़ दो असम… मियां मुस्लिमों को मिला अल्टीमेटम, जंगल में गरज रहा CM हिमंत का बुलडोजर
0