भोपाल में 27% ओबीसी आरक्षण को लेकर सियासत गरमा गई है. 28 अगस्त को मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, जिसमें कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, BSP और SP के नेताओं को आमंत्रित किया गया था.
वहीं, बैठक खत्म होने के बाद समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज यादव ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि 52% आबादी वाले वर्ग को तय 27% आरक्षण मिलना चाहिए, लेकिन सरकार अभी भी 14% ही लागू कर रही है और 13% रोक रखा है.
सरकार की मंशा नहीं है आरक्षण देने की- मनोज यादव
सपा नेता मनोज यादव ने आरक्षण लागू करने में देरी को सरकार की नाकामी बताया. उन्होंने कहा, “पिछले वर्ग को 52% आबादी के हिसाब से उनका तय आरक्षण मिलना चाहिए. सरकार फिलहाल 14% दे रही है 13% जो रोक कर रखी है उसे तुरंत लागू करना चाहिए.”
समाजवादी पार्टी नेता ने न्यायालयों में भी आरक्षण की बात कही. उन्होंने कहा, “सबसे बड़ी विडंबना ये है कि हमारे न्यायालयों में भी चाहें वे जिला हो या हाई कोर्ट उनमें सरकारी वकीलों की नियुक्ति की जाती है उनमें पिछले वर्ग को आरक्षण मिलना चाहिए.” आईएएनएस के अनुसार, उन्होंने कहा कि अब तक सरकार की मंशा न होने की वजह से ये अटका हुआ है. हमारी मांग यही है कि 52% आबादी के हिसाब से 27% आरक्षण मिलना चाहिए.
Bhopal, Madhya Pradesh: After an all-party meeting, Samajwadi Party State President Manoj Yadav says, “The backward classes should get 52% reservation according to their population…The biggest injustice to the backward classes is in our courts of law, where government lawyers… pic.twitter.com/3XJAZNjPJK
— IANS (@ians_india) August 28, 2025
बैठक में कौन-कौन होगा शामिल?
सीएम हाउस में होने वाली इस बैठक में मुख्यमंत्री मोहन यादव के साथ कांग्रेस के पांच बड़े नेता शामिल होंगे. इनमें नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, पीसीसी चीफ जीतू पटवारी, पूर्व पीसीसी चीफ अरुण यादव, पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल और कानूनविद वरुण ठाकुर के नाम शामिल हैं. इसके अलावा, आप प्रदेशाध्यक्ष रानी अग्रवाल, बसपा प्रदेशाध्यक्ष रमाकांत पिंपल और सपा प्रदेशाध्यक्ष मनोज यादव भी मौजूद रहेंगे. बैठक में ओबीसी आयोग अध्यक्ष रामकृष्ण कुसमारिया और मंत्री कृष्णा गौर, नारायण सिंह कुशवाह जैसे नेता भी हिस्सा लेंगे.
मंडल आयोग की सिफारिश और मौजूदा स्थिति
1980 में मंडल आयोग ने अनुमान लगाया था कि ओबीसी की जनसंख्या 52% है और उनके लिए सरकारी नौकरियों व शिक्षा में 27% आरक्षण की सिफारिश की थी. इससे कुल आरक्षण सीमा 49.5% हो गई. केंद्र सरकार ने यह सिफारिश लागू की, लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने ‘क्रीमी लेयर’ को आरक्षण से बाहर रखने का आदेश दिया. मध्य प्रदेश में भी इसी मुद्दे पर विवाद जारी है और अब सभी दल इस पर चर्चा करने के लिए एकजुट हो रहे हैं.