27 सुनवाईयों में गवाही नहीं देने पहुंचे पुलिसकर्मी:NDPS केस में हाईकोर्ट ने दी जमानत, पंजाब DGP को भी दिए सख्त निर्देश

by Carbonmedia
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पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एनडीपीएस एक्ट के तहत दर्ज एक मामले में पुलिसकर्मियों द्वारा गवाही ना देने के बाद आरोपी को बेल दे दी गई। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान पुलिस की कार्यप्रणाली पर कड़ी नाराजगी जताई है। हाईकोर्ट ने कहा कि भले ही ड्रग तस्करी एक गंभीर सामाजिक खतरा हो, लेकिन उसकी गंभीरता के नाम पर संविधान में प्रदत्त नागरिक अधिकारों को कुचला नहीं जा सकता। जस्टिस मंजरी नेहरू कौल ने कहा कि किसी अपराध की गंभीरता को न्यायिक प्रक्रिया की अनदेखी का आधार नहीं बनाया जा सकता। मामले में 27 बार सुनवाई हुई लेकिन हर बार पुलिस गवाह, जो खुद सरकारी मुलाजिम हैं, अदालत में पेश नहीं हुए। बार-बार समन और वारंट जारी होने के बावजूद गवाहों की अनुपस्थिति को अदालत ने न्यायिक प्रक्रिया का अपमान और अभियोजन पक्ष की लापरवाही बताया। आरोपी 2 साल 3 महीने से हिरासत में था, उस मामले में जिसमें 1.540 किलोग्राम ट्रामाडोल बरामद हुआ था, जिसे NDPS एक्ट के तहत कॉमर्शियल क्वांटिटी के रूप में वर्गीकृत किया गया। मार्च 2023 में आरोप तय किए गए थे, लेकिन अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत 16 गवाहों में से केवल 3 की ही अब तक गवाही हो पाई। सरकारी वकील नहीं दे पाए ठोस जवाब अदालत ने पाया कि पुलिस अधिकारियों की ओर से न्यायिक आदेशों की लगातार अनदेखी की गई है और यह एक स्पष्ट पैटर्न बन चुका है। यह लापरवाही उस विभाग की ओर से हो रही है जिसे कानून-व्यवस्था की रक्षा के लिए नियुक्त किया गया है। कोर्ट ने कहा कि यह रवैया न केवल चिंताजनक है, बल्कि अस्वीकार्य भी है। राज्य की ओर से पेश सरकारी वकील अदालत को कोई ठोस जवाब नहीं दे सका कि गवाहों की अनुपस्थिति क्यों हो रही है। कोर्ट ने राज्य के इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि भविष्य में गवाह उपस्थित होंगे, यह कहते हुए कि अब तक का रिकॉर्ड भरोसे के लायक नहीं है। निष्पक्ष सुनवाई हर नागरिक का मौलिक अधिकार अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि तेज और निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत हर नागरिक का मौलिक अधिकार है। यह अधिकार एनडीपीएस जैसे विशेष कानूनों के मामलों में भी उतना ही लागू होता है। अदालत ने कहा कि यदि मुकदमे में देरी अभियोजन पक्ष की ओर से हो रही है तो उसका दंड अभियुक्त को जेल में रखकर नहीं दिया जा सकता। मामले को गंभीरता से लेने के आदेश इस आधार पर अदालत ने याचिकाकर्ता को ज़मानत प्रदान कर दी। साथ ही अदालत ने पंजाब के पुलिस महानिदेशक (DGP) को आदेश दिया कि वह इस मामले को गंभीरता से लें और सुनिश्चित करें कि आगे से कोई भी पुलिस अधिकारी जो अभियोजन गवाह के रूप में बुलाया गया हो, वह अदालत में समय पर उपस्थित हो।

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