भास्कर न्यूज | अमृतसर पनाही कदीम वाली जगहों पर जिनका कब्जा है उन्हें मालिकाना हक देने का रास्ता साफ हो गया है। कब्जाधारकों को डीसी के पास आवेदन (केस फाइल) करना होगा। दरअसल, भारत-पाक बंटवारे के समय जो लोग वापस लौटे थे, उन्हें पनाह देने के लिए जगह दी गई थी। तब से कब्जा चला आ रहा है, लेकिन इस जगह की रजिस्ट्री नहीं होती थी। मगर 7 माह पहले सरकार ने नया कानून बनाने हुए कब्जाधारकों को मालिकाना हक देने की मंजूरी दे दी है। डीसी कोर्ट इस पर फैसला लेगी कि पनाही कदीम वाली जगहों पर कब्जाधारक का मालिकाना हक बनता है या नहीं। सीनियर एडवोकेट महिंदरपाल गुप्ता ने कहा कि मालिकाना हक देने के बाद जगह सेल की जाए तो बेहतर है। चूंकि पनाही कदीम के जगह का कब्जा ट्रांसफर करने में लड़ाई-झगड़े बढ़ने की संभावना रहती है। यदि कब्जा ट्रांसफर कराया जाए तो 3% स्टांप ड्यूटी ली जाए। उदाहरण के तौर पर जिस तरह से पट्टे वाली जगह के कब्जे का अधिकार ट्रांसफर करने में पार्टियों के कुल लेन-देन पर 3 फीसदी स्टांप ड्यूटी ली जाती है उसी तरह पनाही कदीम वाली जगह के कब्जे का अधिकार ट्रांसफर करने पर स्टांप ड्यूटी ली जानी चाहिए। नए कानून के तहत पनाही कदीम वाले जगह में कब्जाधारक को मालिकाना अधिकार मिल जाए तो बेचने पर सेल डीड वाला स्टांप लगना चाहिए न कि कब्जा ट्रांसफर करने पर। यदि मालिकाना हक मिलेगा तो उस कॉलम में नाम चढ़ जाएगा, जबकि सिर्फ कब्जा है तो कब्जे वाले कॉलम में रहेगा। प्रशासन को चाहिए कि इस बारे लोगों को जागरूक किया जाए, ताकि नए एक्ट का लाभ उठा सकें। लेकिन आम लोगों को इस बारे अभी कुछ पता ही नहीं है कि क्या सिस्टम बनाया गया है। रेवेन्यू रिकार्ड में दो कॉलम होते हैं। रेवेन्यू विभाग की ओर से सरकार को लैटर भेजा गया है कि डीसी के पास वर्कलोड ज्यादा होने के कारण एसडीएम कोर्ट को भी यह अधिकार दिया जाए कि पनाही कदीम वाली जगहों पर कब्जे वालों को मालिकाना हक दे सकें। बता दें कि लंबे समय से इस जगह के मालिकाना हक दिए जाने को लेकर मांग की जा रही थी। 5 साल पहले कांग्रेस सरकार में कोशिश हुई थी मगर ग्राउंड लेवल पर लागू नहीं कराया जा सका। फिलहाल, आप सरकार आने के बाद इस पर काम शुरू किया गया और अब कब्जाधारकों को मालिकाना हक मिलने लगेंगे। डीसी ऑफिस में इसके लिए 2 आवेदन किए जा चुके हैं। गवर्नमेंट एक्ट आया है कि पनाही कदीम वालों को फुल राइट दिया जाए। डीसी उसके अंदर कंपोनेंट हैं। कब्जाधारक ऑनरशिप के लिए डीसी के ऑफिस में अप्लाई कर सकता है। डीसी के पास काम अधिक होने के कारण लिखकर भेजा है कि एसडीएम को अधिकार दिया जाना चाहिए लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं आया है। यह नियम आए करीब 7 माह हो गए हैं। एप्लीकेशन आ रहे हैं। डीसी कोर्ट में केस चल रहे हैं, जिसमें सुनवाई होती है। -नवकीरत रंधावा, डीआरओ
5 साल पहले कांग्रेस सरकार के समय में हुई थी कोशिश मगर ग्राउंड लेवल पर लागू नहीं कराया जा सका था
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