50 years of Emergency: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 25 जून, 1975 को देश में लगाए गए आपातकाल को याद करते हुए इसे भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का ‘काला दिन’ करार दिया. उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर पोस्ट कर लिखा कि यह दिन देश की जनता के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचलने का प्रतीक था.
जेपी आंदोलन को किया याद
मुख्यमंत्री ने लिखा कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने आपातकाल के खिलाफ आवाज बुलंद की और एक बड़ा जनांदोलन शुरू किया. उन्होंने बताया कि वे खुद भी उस समय अपने कई साथियों के साथ इस आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल थे. लोकतंत्र की रक्षा के लिए वे जेल भी गए.
तानाशाही के खिलाफ थी यह लड़ाई
नीतीश कुमार ने लिखा कि तत्कालीन सरकार ने देश में तानाशाही लागू कर दी थी और जनता की आवाज को दबाने का हरसंभव प्रयास किया गया. उन्होंने कहा, ‘हम सभी को सिर्फ इसलिए जेल में डाल दिया गया क्योंकि हमने तानाशाही के खिलाफ आवाज उठाई’.
जनता की एकता से जीती गई लड़ाई
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश की जनता ने इस लड़ाई को एकता और साहस से जीता. सभी ने मिलकर तानाशाही के खिलाफ निर्णायक संघर्ष किया और लोकतंत्र को फिर से बहाल किया.
नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार ने हमेशा संविधान, न्याय, स्वतंत्रता और सामाजिक न्याय की भावना को अपने विकास की दिशा में अपनाया है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि लोकतंत्र के मूल में जनता की आवाज होती है और हम सबकी जिम्मेदारी है कि उसकी रक्षा करें.
संविधान रक्षा का लिया संकल्प
मुख्यमंत्री ने लिखा कि, ‘हमारा यह संकल्प है कि हम संविधान के आदर्शों की रक्षा के लिए सदैव सजग और तत्पर रहेंगे.’ उन्होंने नागरिकों से अपील की कि लोकतंत्र की नींव को मजबूत बनाए रखें और किसी भी स्थिति में नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए जागरूक रहें.
50 years of Emergency: ‘आपातकाल था लोकतंत्र पर धब्बा’, नीतीश कुमार ने याद किए जेल के वो दिन
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