62 साल की सेवा के बाद मिग-21 फाइनल लैंडिंग को तैयार, ‘उड़ते ताबूत’ की जगह लेगा घातक तेजस Mark-1A

by Carbonmedia
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पिछले 62 सालों से सबसे ज्यादा उड़ाए जाने के बावजूद विवादों में रहने वाला भारतीय वायुसेना का मिग-21 फाइटर जेट आखिरकार पूरी तरह रिटायर होने जा रहा है. सितंबर के महीने में चंडीगढ़ में वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह और मिग-21 के मौजूदा और रिटायर फाइटर पायलट की मौजूदगी में एक सैन्य समारोह में विदाई दी जाएगी. इस वक्त वायुसेना के पास मिग-21 की दो (02) स्क्वाड्रन हैं, लेकिन उनका इस्तेमाल फ्लाइंग के लिए नहीं किया जाता है.
मिग-21 ने अपनी आखिरी उड़ान साल 2023 में प्रयागराज में वायुसेना दिवस (8 अक्तूबर) को अंजाम दी थी. लगातार हो रहे क्रैश के चलते, तभी से मिग-21 को ‘ग्राउंड’ कर दिया गया था. उसी दौरान ही तत्कालीन वायुसेना प्रमुख वीआर चौधरी ने मिग-21 की रिटायरमेंट की घोषणा कर दी थी.
भारत का पहला सुपरसोनिक फाइटर जेट
साल 1963 में रूस में निर्मित मिग 21 को वायुसेना के बेड़े में शामिल किया गया था. ये भारत के पहले सुपरसोनिक फाइटर जेट थे. इसके बाद रूस से लाइसेंस पर मिग-21 का निर्माण हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा देश में ही किया जाने लगा. पिछले 62 सालों में वायुसेना ने करीब 850 मिग-21 फाइटर जेट को ऑपरेट किया है.
1965 के पाकिस्तान युद्ध से लेकर ऑपरेशन बालाकोट (2019) तक मिग-21 ने देश की एयर-स्पेस की सुरक्षा की थी, जब विंग कमांडर अभिनंदन ने पाकिस्तान में घुसकर अमेरिका में बने एफ-16 को मार गिराया था. इस वक्त वायुसेना में मिग-21 की जो दो (02) स्क्वाड्रन हैं, वे राजस्थान के नाल एयरबेस पर तैनात रहती हैं. 
60 सालों में वायुसेना के करीब 400 विमान दुर्घटनाग्रस्त
पिछले 60 सालों में वायुसेना के करीब 400 विमान दुर्घटनाग्रस्त हुए हैं, जिसके बाद लगातार इन विमानों को वायुसेना से हटाए जाने की मांग की जा रही थी. मिग-21 के क्रैश की घटनाओं को देखते हुए उन्हें फ्लाइंग-कॉफिन का नाम दिया जाने लगा था. इन दुर्घटनाओं में भारत के 170 पायलट की जान गई है.
मिग-21 को किया गया अपग्रेड 
साल 2023 में हुए हादसे के बाद मिग-21 के पूरे बेड़े की उड़ान पर वायुसेना ने रोक लगा दी थी. 8 मई 2023 को राजस्थान में उड़ान के दौरान एक मिग-21 विमान क्रैश हो गया था, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई थी. ये कोई पहला मौका नहीं था, जब मिग 21 हादसे का शिकार हुआ था.
देश के जांबाज फाइटर पायलट की जान क्रैश में होने के थीम पर बॉलीवुड की ‘रंग दे बसंती’ जैसी मूवी भी बनी, लेकिन वायुसेना के पास इन मिग-21 फाइटर जेट को रिप्लेस करने के लिए कोई नया लड़ाकू विमान नहीं था. इसलिए वायुसेना की मजबूरी थी कि देश की एयर-स्पेस की सुरक्षा इन्ही फाइटर जेट से की जाए. जब दवाब पड़ा तो वायुसेना ने इन मिग-21 को अपग्रेड किया और उन्हें नया नाम दिया गया ‘बाइसन’, मिग-21 बाइसन, लेकिन क्रैश होने का सिलसिला जारी रहा.
राजधानी ढाका में क्रैश हुआ एफ-7 फाइटर जेट
सोमवार (21 जुलाई, 2025) को बांग्लादेश की राजधानी ढाका में क्रैश हुआ एफ-7 फाइटर जेट भी मिग-21 का ही एक वर्जन था, जिसे चीन ने रूस ने लाइसेंस लेकर तैयार किया था. मिग 21 फाइटर जेट्स की जगह वायुसेना को लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) मार्क-1ए की दरकार है, जो एलसीए-तेजस का अपग्रेड वर्जन है. 
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड यानि एचएएल ही इन हल्के फाइटर जेट का निर्माण कर रही है, लेकिन अमेरिका से एविएशन इंजन (एफ-404) की डिलीवरी में हुई देरी के चलते मार्क-1ए के निर्माण में रूकावट आ गई है. इसी साल मार्च के महीने में अमेरिकी की जीई कंपनी ने पहला इंजन सप्लाई किया था और पिछले हफ्ते दूसरा इंजन भी आ गया है. ऐसे में मार्क-1ए के निर्माण में तेजी आने की संभावना है.
मार्क 1ए फाइटर जेट, एलसीए तेजस से उन्नत किस्म
साल 2021 में रक्षा मंत्रालय ने एचएएल से 83 एलसीए मार्क-1ए लड़ाकू विमानों का सौदा किया था. इस सौदे की कुल कीमत 48 हजार करोड़ थी. इनमें से 10 मार्क 1ए ट्रेनर एयरक्राफ्ट हैं. एचएएल का दावा है कि 2027-28 तक वायुसेना को सभी मार्क 1ए एयरक्राफ्ट मिल जाएंगे. मार्क 1ए फाइटर जेट, एलसीए तेजस से उन्नत किस्म का है.
बीवीआर यानी बियोंड विजुअल रेंज मिसाइल, एयर टू एयर रिफ्यूलिंग, आइसा रडार, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट सहित अर्ली वार्निंग रडार सिस्टम के चलते मार्क-1ए, एलसीए तेजस से ज्यादा घातक है. पाकिस्तान सीमा से सटे राजस्थान के नाल एयरबेस (बीकानेर) पर ही मार्क 1ए की पहली स्क्वाड्रन तैनात की जाएगी, जिसे कोबरा के नाम से जाना जाएगा.
शुरुआत में मार्क 1ए की तीन स्क्वाड्रन को खड़ा किया जाएगा. ये तीनों ही स्क्वाड्रन वेस्टर्न बॉर्डर यानी पाकिस्तान से सटी सीमा के फॉरवर्ड लोकेशन एयरबेस पर तैनात की जाएगी. माना जा रहा है कि दूसरी स्क्वाड्रन गुजरात के कच्छ में नलिया एयर बेस पर तैनात की जाएगी.
तमिलनाडु में तैनात वायुसेना के तेजस
डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) और एचएएल की ओर से तैयार किए गए ‘लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट’ (एलसीए) तेजस की अभी तक वायुसेना में दो स्क्वाड्रन हैं. ये दोनों ही स्क्वाड्रन तमिलनाडु में कोयंबटूर के करीब सुलूर एयरबेस पर तैनात रहती हैं. एक स्क्वाड्रन का नाम है ‘फ्लाइंग-डैगर्स’ तो दूसरी का है ‘फ्लाइंग-बुलेट’. हाल ही में वायुसेना ने इन तेजस स्क्वाड्रन की एक डिटेचमेंट को कश्मीर के अवंतीपुरा एयरबेस पर तैनात किया था.  
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