शुक्रवार को 71वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स की घोषणा के लिए प्रेस कांफ्रेंस शुरू हो गई है। इस साल 2023 में रिलीज हुईं फिल्मों को अवॉर्ड दिया जा रहा है। रानी मुखर्जी को फिल्म ‘मिसेज चटर्जी वर्सेस नॉर्वे’ के लिए बेस्ट एक्ट्रेस के अवॉर्ड और एक्टर विक्रांत मैसी को फिल्म ‘12th’ फेल के लिए बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड मिल सकता है। बता दें कि ये रानी मुखर्जी के 25 साल के करियर में उनका पहला राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार है। ‘मिसेज चटर्जी वर्सेस नॉर्वे’ और ‘12th’ फेल ये दोनों ही फिल्में रियल स्टोरी पर आधारित थीं। नेशनल अवॉर्ड विनर्स को क्या मिलता है? नेशनल अवॉर्ड विनर को एक मेडल की तरह रजत कमल या स्वर्ण कमल दिए जाते हैं। इसके साथ-साथ नकद पुरस्कार भी दिया जाता है। वहीं, कुछ कैटेगरी में सिर्फ स्वर्ण कमल या रजत कमल ही मिलता है। नेशनल अवॉर्ड देने की शुरुआत 1954 में शुरू हुई थी नेशनल फिल्म अवॉर्ड देश का सबसे प्रतिष्ठित फिल्म पुरस्कार है। इसकी शुरुआत 1954 में हुई थी। बेस्ट फिल्म की कैटेगरी में सबसे पहला नेशनल अवॉर्ड मराठी फिल्म ‘श्यामची आई’ को मिला था। केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा यह समारोह आयोजित किया जाता है जिसका पूरा काम डायरेक्ट्रेट ऑफ फिल्म फेस्टिवल (DFF)की देखरेख में होता है। इसके बाद राष्ट्रपति इन पुरस्कारों का वितरण करते हैं। दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड- स्वर्ण कमल, 10 लाख रुपए, प्रशस्ति पत्र और शॉल दी जाती है। बेस्ट फीचर फिल्म- स्वर्ण कमल और 2.5 लाख रुपए। इंदिरा गांधी अवॉर्ड- स्वर्ण कमल और 1.25 लाख रुपए। नर्गिस दत्त अवॉर्ड- रजत कमल और 1.5 लाख रुपए। सामाजिक मुद्दों पर बेस्ट फिल्म- रजत कमल और 1.5 लाख रुपए। बेस्ट चिल्ड्रन फिल्म- स्वर्ण कमल और 1.5 लाख रुपए। बेस्ट फिल्म- रजत कमल और 1 लाख रुपए। बेस्ट एक्टर- रजत कमल और 50 हजार रुपए। शबाना आजमी के पास सबसे ज्यादा नेशनल अवॉर्ड जीतने का रिकॉर्ड अब तक सबसे ज्यादा नेशनल अवॉर्ड हासिल करने का रिकॉर्ड एक्ट्रेस शबाना आजमी के पास है। उन्हें 5 बार फिल्म अंकुर, अर्थ, कांधार, पार, गॉडमदर के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का नेशनल अवॉर्ड मिला है। सबसे कम उम्र में स्मिता पाटिल ने बेस्ट एक्ट्रेस का नेशनल अवॉर्ड जीतकर रचा इतिहास स्मिता पाटिल को 1977 की फिल्म भूमिका के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का नेशनल अवॉर्ड मिला था। उस समय उनकी उम्र महज 25 साल थी। ऐसे में सबसे कम उम्र में बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड जीतने का रिकॉर्ड आज भी उन्हीं के पास है। फिल्म ब्लैक के नेशनल अवॉर्ड जीतने पर हुई थी कॉन्ट्रोवर्सी 53वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड में संजय लीला भंसाली की फिल्म ब्लैक को बेस्ट फीचर फिल्म (हिंदी) का नेशनल अवॉर्ड दिया गया था। नेशनल अवॉर्ड के नियमों के अनुसार, किसी भी ऐसी फिल्म को अवॉर्ड नहीं दिया जा सकता जो किसी दूसरी फिल्म का एडैप्शन हो। ऐसे में ज्यूरी मेंबर में शामिल देब बनर्जी ने आरोप लगाए थे कि इस फिल्म का फेवर कर अवॉर्ड दिया गया है। फिल्म ब्लैक, हॉलीवुड फिल्म द मिरेकल वर्क का एडैप्शन है, जिससे ये अवॉर्ड क्राइटेरिया को पास नहीं करती। उन्होंने फिल्म को अवॉर्ड दिए जाने के विरोध में एक पिटीशन भी फाइल की थी। हालांकि, कोई कार्रवाई नहीं हुई। आखिरकार फिल्म ब्लैक ने 3 नेशनल अवॉर्ड जीते, जिनमें बेस्ट फीचर फिल्म (हिंदी), बेस्ट एक्टर (अमिताभ बच्चन) और बेस्ट कॉस्ट्यूम डिजाइन (सब्यसाची मुखर्जी) शामिल हैं।इसी साल फिल्म परजानिया के लिए राहुल ढोलकिया को बेस्ट डायरेक्टर, सारिका को बेस्ट एक्ट्रेस और फिल्म परिणीता के लिए प्रदीप सरकार को बेस्ट डायरेक्टर डेब्यू का अवॉर्ड दिए जाने पर भी विवाद रहा। कोलकाता बेस्ड क्रिटिक और ज्यूरी में शामिल देब बनर्जी ने इनके खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में पिटीशन फाइल की थी। उनका आरोप था कि पक्षपात के जरिए इन कैटेगरी में अवॉर्ड दिए गए हैं। किरण खेर का नेशनल अवॉर्ड विवादों में रहा बंगाली फिल्म बरीवाली के लिए किरण खेर को बेस्ट एक्ट्रेस का नेशनल अवॉर्ड दिया गया था। इस फिल्म के नॉमिनेशन के दौरान भरे गए फॉर्म में कहा गया था कि किरण खेर ने अपनी आवाज खुद डब की है, हालांकि डबिंग आर्टिस्ट और एक्ट्रेस रीता कोइराला ने आरोप लगाए कि फिल्म में उन्होंने किरण खेर के लिए बंगाली डबिंग की थी, जिसको नॉमिनेशन फॉर्म में मेंशन नहीं किया गया था। 65वीं नेशनल अवॉर्ड सेरेमनी में 68 विजेताओं ने सेरेमनी में आने से इनकार किया था 65वीं नेशनल अवॉर्ड सेरेमनी 68 विजेताओं के सेरेमनी में न पहुंचने से विवादों में रही थी। दरअसल, विजेताओं को मिले इनविटेशन कार्ड में साफ लिखा था कि उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों अवॉर्ड दिया जाएगा, लेकिन जब सेरेमनी की रिहर्सल शुरू हुई तो बताया गया कि 107 में से सिर्फ 11 लोगों को ही राष्ट्रपति के हाथों अवॉर्ड मिलेगा। अन्य विजेताओं को तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी अवॉर्ड देंगी। इसी बात से नाराज होकर 68 विजेताओं ने सेरेमनी में आने से इनकार कर दिया था। नेशनल अवॉर्ड का इतिहास नेशनल अवॉर्ड की शुरुआत साल 1954 में भारत सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर फिल्म जगत से जुड़ा सम्मान देने के लिए किया था। इसकी नींव भारतीय कल्चर और आर्ट को बढ़ावा देने के लिए रखी गई थी। 10 अक्टूबर 1954 को नेशनल अवॉर्ड की पहली सेरेमनी रखी गई थी, जिसमें मराठी फिल्म श्यामची आई को बेस्ट फीचर फिल्म कैटेगरी में अवॉर्ड दिया गया था। 1969 में हुई दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड की शुरुआत साल 1969 में नेशनल अवॉर्ड में हिंदी सिनेमा के जनक दादासाहेब फाल्के के सम्मान में नई कैटेगरी दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड को शामिल किया गया था। साल 1969 में देविका रानी, दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड जीतने वाली पहली फिल्मी हस्ती रहीं। तब से लेकर आज तक करीब 54 लोग दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड हासिल कर चुके हैं। इसे फिल्म जगत का सबसे गौरवपूर्ण सम्मान कहा जाता है। 2024 में ये अवॉर्ड मिथुन चक्रवर्ती को मिलेगा।
71वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स:थोड़ी ही देर में होगी ‘नेशनल फिल्म अवॉर्ड’ की घोषणा, विक्रांत मैसी और रानी मुखर्जी हो सकते हैं सम्मानित
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