लोकसभा चुनाव को सवा साल हो चुका है और हरियाणा विधानसभा चुनाव को 10 महीने। अटेली से विधायक एवं नायब सरकार में स्वास्थ्य मंत्री आरती राव अब अहीरवाल यानी दक्षिण हरियाणा में गांव-गांव धन्यवादी दौरों पर निकली हैं। कहीं यह 6 माह बाद 75 साल के हो रहे उनके पिता एवं अहीरवाल के दिग्गज नेता राव इंद्रजीत की रिटायरमेंट की ओर तो इशारा नहीं कर रहा? यह सवाल पूरे हरियाणा की सियासत में उभरने लगा है। हालांकि राव इंद्रजीत ने खुद कुछ ऐसे संकेत नहीं दिए हैं। बल्कि पिछले 2-3 महीने से उन्होंने सियासी सक्रियता बढ़ा दी है। ऐसा पहला मौका है जब आरती राव दक्षिणी हरियाणा में इस प्रकार से जनसभाएं कर रही हैं। वह अब तक महेंद्रगढ़ के नांगल चौधरी और अटेली, रेवाड़ी जिले में रेवाड़ी, कोसली और बावल, गुरुग्राम के पटौदी हलके में जनसभा कर चुकी हैं। आरती हर हलके में 2 से 3 कार्यकर्ताओं के घर चाय का कार्यक्रम भी रख रही हैं। चाय कार्यक्रम में भी सामाजिक समीकरण का ध्यान रखा जा रहा है। दक्षिणी हरियाणा ही नहीं आरती हिसार और हांसी में भी कार्यक्रम कर चुकी हैं। यहां यादव मतदाताओं की संख्या ठीक है। राव इंद्रजीत अक्सर ऐसा नहीं करते दिखे। आमतौर पर चुनाव जीतने के बाद राव इतने बड़े पैमाने पर धन्यवादी दौरे नहीं करते। हालांकि 2024 के लोकसभा चुनाव में गुरुग्राम सीट से कांग्रेस के राज बब्बर ने राव इंद्रजीत को कड़ी टक्कर दी। कई राउंड तक बब्बर को बढ़त मिली थी। पहली बार राव इंद्रजीत को वोट मांगने गांव-गांव जाना पड़ा था। यहां तक कि उन्होंने मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में भी सभाएं की। CM के डिनर से 3 दिन बाद बना दौरों का कार्यक्रम
रेवाड़ी में 15 जून को राव तुलाराम मैदान में भाजपा की रैली के मंच पर सीएम नायब सैनी और केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत के बीच तल्खी बढ़ गई थी। उसके बाद 18 जून को चंडीगढ़ में आरती राव के निवास पर राव इंद्रजीत ने दक्षिण हरियाणा के 11 विधायकों को डिनर दिया। इससे राजनीतिक कॉन्ट्रोवर्सी बढ़ी तो अटकलों के विराम देने के लिए 14 जुलाई को आरती राव ने डिनर पर CM को बुलाया था। डिनर के 3 दिन बाद ही वे दक्षिणी हरियाणा में अपने धन्यवादी दौरे पर निकल गईं। कार्यक्रम की शुरुआत उन्होंने 17 जुलाई नांगल चौधरी से की। नांगल चौधरी पूर्व सीएम एवं केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल के करीबी एवं राव इंद्रजीत के विरोधियों में गिने जाने वाले डॉ. अभय यादव का हलका है। डॉ. अभय यहां से लगातार दो बार विधायक रहे लेकिन इस बार कांग्रेस की मंजू चौधरी से चुनाव हार गए। डॉ. अभय सरेआम आरोप लगाते रहे हैं कि भीतरघात करके बड़े नेता ने मंजू चौधरी को जितवाने में मदद की। 17 जुलाई को आरती राव नांगल चौधरी पहुंचीं। कोरियावास मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण किया। उसके बाद पूर्व जिलाध्यक्ष दया राम यादव के घर चाय का कार्यक्रम रखा। भाषणों में केवल प्रधानमंत्री की तारीफ, स्थानीय नेतृत्व का जिक्र नहीं
दक्षिणी हरियाणा के कार्यकर्ताओं के साथ मेल-जोल बढ़ाने निकलीं आरती राव कार्यक्रमों के दौरान केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ कर रही हैं। पूर्व सीएम मनोहर लाल या वर्तमान सीएम नायब सैनी को लेकर वे कार्यक्रम में कोई शब्द नहीं बोल रहीं। वहीं हरियाणा की राजनीति में पिता का कद भी कार्यकर्ताओं को समझा रही हैं। राव इंद्रजीत भी अकसर मोदी के नाम का ही जिक्र करते हैं और प्रदेश के नेतृत्व का जिक्र नहीं करते। पिता की तरह बन रहीं मुखर
राव इंद्रजीत सिंह जिस प्रकार अपनी सरकार व नेताओं की खुलकर आलोचना कर देते हैं, ठीक उसी प्रकार से आरती राव भी मुखर हो रही हैं। वे मंचों से खुलकर बोल रही हैं कि हमने सरकार बनाई। किसी ने नहीं सोचा था कि लगातार तीसरी बार भाजपा सरकार बन सकती है। हमने हवा बनाई और सरकार बनी। वे मैसेज दे रही हैं कि वे भी पिता के अंदाज में ही राजनीति करेंगी। कह रहीं- काम के लिए कहीं और न जाएं
राव इंद्रजीत सिंह के कार्यकर्ताओं को आरती राव को समझा रही हैं कि काम के लिए कहीं और परेशान होने की जरूरत नहीं है। वे हर कार्यकर्ता का काम करवाएंगी। रामपुरा हाउस (राव का पैतृक आवास) या उनके चंडीगढ़ कार्यालय में अपनी समस्या लेकर आ सकते हैं। सभी का समाधान करवाया जाएगा, चिंता करने की जरूरत नहीं है। आरती के धन्यवादी दौरों पर राजनीतिक विश्लेषक नरेश चौहान 3 थ्योरी मान रहे… पहली: राव इंद्रजीत चाहते हैं कि अब उनकी बेटी उस एरिया में पकड़ बनाएं, जिस पर उनके परिवार की तीन पीढ़ियों से पहचान है। दक्षिण हरियाणा खासकर अहीरवाल में राव परिवार की 60 साल की सियासी लीगेसी है। दूसरी: राव इंद्रजीत सीएम बनने का सपना पूरा करने में सफल नहीं हो सके, वो चाहते हैं कि इसे आरती पूरा करें। वो साल 2014 के विधानसभा चुनाव से ही आरती की सियासी लॉंचिंग की प्लानिंग कर रहे थे, लेकिन एक परिवार-एक टिकट के भाजपाई फॉर्मूले से दिक्कत आई। आखिर 2024 में राव बेटी को सियासत में उतार सके। तीसरी: राव इंद्रजीत चाहते हैं कि बेटी केंद्र की राजनीति में भी सक्रिय हों। अटेली से टफ मुकाबले में काफी उतार-चढ़ाव के बाद आरती चुनाव जीत सकीं थी। राव खुद गुरुग्राम से लगातार सांसद बन रहे हैं। लोकसभा चुनाव का समीकरण अलग तरह का है जो राव परिवार के लिए आसान भी रहा है। राव चाहते हैं कि आरती भविष्य में उनकी जगह सांसद का चुनाव लड़कर केंद्र की राजनीति करे। आरती अहीर समाज के बड़े नेता के तौर पर स्थापित हों। दादा के जमाने में पगड़ी से जुट जाते थे लोग और वोट
महेंद्रगढ़ लोकसभा से जब आरती राव के दादा बीरेंद्र सिंह चुनाव लड़ते थे तो दायरा नांगल चौधरी से लेकर गुरुग्राम तक होता था। हर गांव और विधानसभा में उनका पहुंच पाना मुश्किल होता था। ऐसे में राव बीरेंद्र सिंह के खास समर्थक उनकी पगड़ी लेकर गांव-गांव जाते थे। राव बीरेंद्र की पगड़ी के लिए ही लोग जुटते थे और चुनाव में उनको वोट भी मिलते थे। राव की पगड़ी ने उनके लिए कई चुनावों में वोट बटोरे हैं। आरती राव के दादा राव बीरेंद्र सिंह हरियाणा के पहले विधानसभा अध्यक्ष एवं दूसरे मुख्यमंत्री रहे हैं। हरियाणा विधानसभा का पहला चुनाव मार्च 1967 में हुआ था। बीरेंद्र सिंह कांग्रेस के टिकट पर पटौदी विधायक बने। चुनाव के तुरंत बाद उन्होंने विशाल हरियाणा पार्टी बनाई। 24 मार्च 1967 को मुख्यमंत्री बने लेकिन नवंबर 1967 में विधानसभा भंग कर दी गई। राव बीरेंद्र का परिवार राजनीति में सक्रिय
राव बीरेंद्र सिंह के बड़े बेटे राव इंद्रजीत सिंह के अलावा छोटे बेटे राव अजीत सिंह का परिवार भी राजनीति में सक्रिय है। राव अजीत सिंह के बड़े बेटे राव अर्जुन कांग्रेस की टिकट पर अटेली से 2019 का विधानसभा चुनाव लड़ा था। लेकिन अब उनका देहांत हो चुका है। राव अजीत सिंह की पत्नी रामपुरा गांव की सरपंच रहीं हैं। छोटा बेटा अभिजीत सिंह कांग्रेस से सक्रिय हैं, हालांकि अभी तक कोई चुनाव नहीं लड़ा है। राव बीरेंद्र के सबसे छोटे बेटे राव यादवेंद्र कांग्रेस की टिकट पर कोसली से 2 बार विधायक रह चुके हैं। वर्तमान में भी कांग्रेस की राजनीति कर रहे हैं और हुड्डा खेमे से गिने जाते हैं। कोसली से 2024 में टिकट मांग रहे थे, लेकिन उनकी जगह जगदीश यादव को टिकट दिया गया। राव यादवेंद्र के परिवार से दूसरा कोई सदस्य राजनीति में सक्रिय नहीं है। अहीरवाल में राव परिवार को कैप्टन और नरबीर की चुनौती
अहीरवाल में राव परिवार को सियासी चुनौती देने वालों में दो बड़े नामों की गिनती होती है। कांग्रेस के कैप्टन अजय यादव, जो रेवाड़ी से 6 बार विधायक व मंत्री रहे। 67 साल के हो चुके कैप्टन पिछली बार कांग्रेस से राव इंद्रजीत के सामने गुरुग्राम से लोकसभा का टिकट मांग रहे थे। हालांकि कांग्रेस ने राज बब्बर को उतारा था। रेवाड़ी में अब कैप्टन के बेटे एवं बिहार के सीएम रहे लालू यादव के दामाद राव चिंरजीव राजनीति करते हैं। राव इंद्रजीत के धुर विरोधियों में दूसरा नाम राव नरबीर सिंह का आता है। जो बादशाहपुर से विधायक एवं नायब सरकार में मंत्री हैं। राव नरबीर जब भी विधायक बने हैं, उन्हें मंत्री पद मिला है। हालांकि राव इंद्रजीत का सियासी कद उनसे बड़ा माना जाता है। 2014 के चुनाव में नरबीर बादशाहपुर से विधायक और मनोहरलाल की कैबिनेट में मंत्री बने। 2019 में राव नरबीर का टिकट कटा तो इसके पीछे राव इंद्रजीत को भी वजह माना गया। हालांकि पिछले कुछ समय से दोनों ही तरफ से आक्रामक बयानबाजी से परहेज किया जा रहा है। इसके अलावा भाजपा ने यहां राव इंद्रजीत के कद को टक्कर देने के लिए केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को भी कई बार सक्रिय करने का प्रयास किया है। क्या प्रदेश में भाजपा अपना रही 75 साल का फॉर्मूला ——————————- ये खबर भी पढ़ें :- हरियाणा की मंत्री आरती राव ‘हवा’ वाले बयान से पलटीं:उखड़ते हुए बोलीं- जो मीडिया मुझसे बुलवाना चाह रही, वह मैं बोलने वाली नहीं हूं केंद्रीय राज्य मंत्री व गुरुग्राम से सांसद राव इंद्रजीत की बेटी और हरियाणा सरकार में स्वास्थ्य मंत्री आरती सिंह राव अपने उस बयान से पलटती नजर आईं। उन्होंने कहा कि मीडिया उनसे जो बुलवाना चाह रही है, वो वे बोलने वाली नहीं हैं। पढ़ें पूरी खबर…
75 साल के हो रहे राव इंद्रजीत क्या रिटायर होंगे:आरती राव दक्षिण हरियाणा के धन्यवादी दौरे कर रहीं; पिता की सियासी विरासत संभालने की तैयारी
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