Sourav Ganguly Cricket Career: भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और दिग्गज खिलाड़ी सौरव गांगुली ने अपने क्रिकेटिंग करियर के बारे में बात की है. सौरव गांगुली ने पीटीआई से बातचीत में बताया कि किस तरह अचानक ही उनकी लाइफ में क्रिकेट की एंट्री हुई और उनका जीवन पूरी तरह से बदल गया. गांगुली क्रिकेट से पहले फुटबॉल खेलना पसंद करते थे, लेकिन उनके पिता की ख्वाहिश ने उन्हें ‘क्रिकेट का दादा’ बना दिया. आइए जानते हैं कि कब और किस तरह सौरव गांगुली के लिए लाइफ चेंजिंग मूमेंट आया.
सौरव गांगुली की लाइफ में क्रिकेट की एंट्री
भारत के दिग्गज खिलाड़ी सौरव गांगुली ने पीटीआई से बात करते हुए बताया कि ‘मुझे फुटबॉल खेलना पसंद था और मैं उसे खेलता भी अच्छा था. क्रिकेट खेलने के लिए मुझे जिस व्यक्ति ने आगे बढ़ाया, वो मेरे पिता हैं. उस वक्त वे एसोसिएशन में थे और उस दौरान मैंने क्लास 8 की परीक्षा दी थीं’. गांगुली ने आगे बताया कि ‘मेरे पिता नहीं चाहते थे कि मैं पढ़ाई के ब्रेक के तीन महीने शरारत करने में बिगाड़ दूं. इस वजह से उन्होंने मुझे क्रिकेट एकेडमी जॉइन करवा दी और मैंने वहां अपने भाई के साथ क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया’.
गांगुली का शानदार क्रिकेटिंग करियर
सौरव गांगुली ने क्रिकेट से संन्यास लेने पर भी अपनी बात रखी और कहा कि ‘हर चीज का एक अंत होता है. मैं उस वक्त 37 साल का था और उससे ज्यादा नहीं खेल सकता था. खेल को जारी रखने का कोई मतलब नहीं था. लेकिन रिटायरमेंट जबरदस्ती सामने आ गया, क्योंकि युवा खिलाड़ी तैयार थे और उन्हें टीम में स्पेस की जरूरत थी. सभी एथलीट को ये पता होता है कि जाने का सही समय क्या है’. गांगुली ने आगे कहा कि ‘मैं अपने आप को काफी भाग्यशाली मानता हूं कि मैं उन चार खिलाड़ियों में से हूं, जिसने भारत के लिए 100 से ज्यादा टेस्ट मैच और 300 से ज्यादा वनडे खेले हैं. ये ऐसी बात है, जिसे पर मैं हमेशा गर्व करता हूं’.
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