अमेरिकी टेक कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने 9,000 कर्मचारियों की छंटनी और एक ही समय में हजारों H-1B वीजा एप्लीकेशन दाखिल करने के आरोपों पर सफाई दी है। CEO सत्या नडेला नडेला ने कहा कंपनी के हमारे ओवरऑल हेडकाउंट में बदलाव नहीं हुआ है, कर्मचारियों को निकाले जाने के सारे दावे गलत हैं। नडेला का यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की गूगल, माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी टेक कंपनियों को भारत में हायरिंग रोकने की सलाह के बाद आया है। दरअसल कंपनी पर आरोप है कि वह अमेरिकी कर्मचारियों को निकालकर भारत समेत विदेशी वर्कर्स को H-1B वीजा पर हायर कर रही है। 9,000 कर्मचारियों को निकालने की प्लानिंग पर बढ़ा विवाद इससे पहले US की मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि माइक्रोसॉफ्ट करीब 9,000 कर्मचारियों को नौकरी से निकालने की प्लानिंग कर रही है। वहीं कंपनी ने लगभग 14,000 H-1B वीजा के लिए अप्लाई किया। आरोप है कि इन छंटनियों के बाद कंपनी सस्ते विदेशी वर्कफोर्स को ला कर कॉस्ट कटिंग करना चाहती है। नडेला के मुताबिक, AI और क्लाउड के क्षेत्र में बढ़ता दबाव और नए बिजनेस मॉडल की वजह से कंपनी को लगातार रणनीतिक बदलाव करने पड़ रहे हैं। कंपनी ने हायरिंग मॉडल में ज्यादा बदलाव नहीं किए हैं। वहीं हजारों H-1B वीजा आवेदन में ज्यादातर रिन्युअल्स यानी मौजूदा कर्मचारियों के वीजा विस्तार से जुड़े हैं। ट्रम्प बोले- अमेरिकी कंपनियां भारतीयों की भर्ती रोकें वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिका की गूगल, माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी टेक कंपनियों को भारत में हायरिंग रोकने को कहा है। ट्रम्प ने वॉशिंगटन डीसी में आयोजित AI समिट में कहा अमेरिका की सबसे बड़ी टेक कंपनियां हमारी आजादी का लाभ उठाती हैं, लेकिन फैक्ट्रियां चीन में लगाती हैं और भारत से लोग भर्ती करती हैं। ट्रम्प ने टेक कंपनियों के ग्लोबलिस्ट माइंडसेट की आलोचना करते हुए कहा कि अमेरिकियों को सबसे पहले नौकरी मिलनी चाहिए। ट्रम्प के मुताबिक विदेशों में फैक्ट्री और कर्मचारियों पर पैसा लगाकर कंपनियां अमेरिकी टैलेंट के हक को मार रही हैं। भारत के टेक सेक्टर पर पड़ सकता है असर भारत का IT सेक्टर इस बयान से प्रभावित हो सकता है। भारत में गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और अन्य टेक कंपनियों के लाखों कर्मचारी हैं। ये कंपनियां बेंगलुरु, हैदराबाद, और पुणे जैसे शहरों में बड़े ऑफिस चलाती हैं। इसके अलावा 2023 में US सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज के मुताबिक, 72% H-1B वीजा भारतीयों को मिले, जो ज्यादातर डेटा साइंस, AI, और साइबर सिक्योरिटी जैसे क्षेत्रों में हैं। ट्रम्प की नीति से H-1B वीजा नियम और सख्त हो सकते हैं, जिससे भारतीय टेक प्रोफेशनल्स को अमेरिका में नौकरी मिलना मुश्किल होगा। साथ ही, भारत में नई भर्तियां कम होने से IT कंपनियों और स्टार्टअप्स पर दबाव बढ़ेगा। माइक्रोसॉफ्ट में 2 लाख से ज्यादा कर्मचारी माइक्रोसॉफ्ट के पास जून 2024 तक 2,28,000 कर्मचारी थे। लेकिन कंपनी पिछले दो सालों में हजारों लोगों को नौकरी से निकल चुकी है। इस बार का ले ऑफ साल कंपनी के इतिहास की सबसे बड़ी छंटनियों में से एक है। 1975 में शुरू हुई माइक्रोसॉफ्ट
माइक्रोसॉफ्ट कंपनी की शुरुआत तब हुई जब ज्यादातर अमेरिकी टाइपराइटर्स का इस्तेमाल करते थे। बिल गेट्स ने अपने बचपन के दोस्त पॉल एलन के साथ इसकी नींव 1975 में रखी। माइक्रोप्रोसेसर्स और सॉफ्टवेयर के शुरुआती शब्दों को जोड़कर इसका नाम माइक्रोसॉफ्ट रखा गया। शुरुआत में कंपनी ने पर्सनल कंप्यूटर अल्टएयर 8800 के लिए सॉफ्टवेयर बनाए। साल 1985 में माइक्रोसॉफ्ट ने नया ऑपरेटिंग सिस्टम लॉन्च किया।
9,000 कर्मचारी निकालने के दावे को माइक्रोसॉफ्ट ने गलत बताया:अमेरिकियों को निकालकर विदेशियों को रखने का आरोप; ट्रम्प ने कहा था भारतीयों की भर्ती रोकें
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