‘इसे अपने रिज्यूमे में लिखो…’, यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर पर लगे यौन उत्पीड़न मामले में बोला सुप्रीम कोर्ट

by Carbonmedia
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सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (12 सितंबर, 2025) को पश्चिम बंगाल के नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ जूरीडिकल साइंसेज (NUJS) के कुलपति निर्मल कान्ति चक्रवर्ती के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप को खारिज कर दिया, लेकिन कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे कृत्य “माफ किए जा सकते हैं, यह हमेशा दोषी के साथ जुड़े रहेंगे”. इसलिए कोर्ट ने यह निर्णय दिया कि यह आदेश कुलपति के रिज्यूमे में शामिल किया जाए और इसकी पूरी तरह से पालना सुनिश्चित की जाए.
शिकायत की देरी के कारण मामला खारिजकोर्ट ने यह भी बताया कि पीड़िता ने दिसंबर 26, 2023 को औपचारिक शिकायत दर्ज की थी, जबकि यौन उत्पीड़न अप्रैल 2019 में हुआ था. स्थानीय शिकायत समिति (LCC) ने इसे “समय सीमा समाप्त” मानते हुए खारिज कर दिया. कारण था कि शिकायतकर्ता ने तयशुदा तीन महीने की सीमा और एक्सटेंड लिमिट छह महीने की सीमा दोनों पार कर दी थी.
कुलपति पर लगे क्या आरोपपीड़िता ने बताया कि कुलपति चक्रवर्ती ने जुलाई 2019 में विश्वविद्यालय में वीसी पद संभाला. दो महीने बाद 8 सितंबर को उन्होंने महिला को अपने कार्यालय बुलाकर डिनर पर जाने के लिए कहा, जिससे उसके निजी फायदे हो सकते थे. उन्होंने महिला का हाथ छुआ जिससे वह बेहद असहज हो गई. महिला चुपचाप वहां से चली गई. अक्टूबर 2019 में कुलपति ने फिर उसे अपने कार्यालय बुलाया और डिनर पर जाने के प्रस्ताव के बारे में पूछा. पीड़िता ने साफ मना कर दिया और पेशेवर संबंध बनाए रखने की बात कही. इसके बाद कुलपति ने यौन संबंध बनाने की मांग की और धमकी दी.
प्रमोशन रोकने के अलावा दी और भी धमकियांअक्टूबर 2019 में पीड़िता का प्रमोशन रोक दिया गया था, जिसे अंततः 2 अप्रैल 2022 को कार्यकारी परिषद ने मंजूर किया. अप्रैल 2023 में वीसी ने पीड़िता को रिसॉर्ट में साथ चलने के लिए कहा, जिसे महिला ने मना कर दिया. इसके बाद उन्होंने धमकी दी कि महिला का करियर बर्बाद कर देंगे. 29 अगस्त 2023 को महिला को सेंटर ऑफ फाइनेंशियल, रेगुलेटरी एंड गवर्नेंस स्टडीज (CFRGS) से निदेशक पद से हटा दिया गया.इसी समय पीड़िता के खिलाफ विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) से मिली ग्रांट के गलत उपयोग और नेशनल फाउंडेशन ऑफ कॉर्पोरेट गवर्नेंस (NFCG) के मुद्दे पर भी जांच शुरू हुई. कार्यकारी परिषद ने NUJS से 1 लाख रुपये तत्काल वापसी का आदेश दिया. पीड़िता ने ई-मेल के जरिए कार्यकारी परिषद और कुलाधिपति को उत्पीड़न और बदले की शिकायत दी.सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निदेशक पद से हटाना यौन उत्पीड़न की संज्ञा में नहीं आएगा क्योंकि यह NFCG के स्वतंत्र रिपोर्ट पर आधारित था. यह काम पिछले आरोपित घटनाओं से जुड़ा नहीं माना जाएगा.

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