भास्कर न्यूज | फिरोजपुर कभी आसपास के जिलों में स्वास्थ्य सेवा का प्रमुख केंद्र रहा फिरोजपुर का 100 साल पुराना मिशन अस्पताल आज गहरे संकट से गुजर रहा है। पिछले 12 महीनों से वेतन न मिलने के कारण अस्पताल के 60 से 70 कर्मचारी जिनमें दर्जा-चार कर्मचारी, नर्सिंग स्टाफ और अन्य कर्मचारी पिछले तीन महीनों से आंदोलन कर रहे हैं। बुधवार को कर्मचारियों ने मिशन अस्पताल बचाओ संघर्ष समिति के नेतृत्व में अस्पताल परिसर में डायरेक्टर का पुतला फूंक कर विरोध जताया और नारेबाजी की। समिति का कहना है कि वे बार-बार अस्पताल प्रबंधन और संबंधित अधिकारियों से वेतन भुगतान की मांग कर चुके हैं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। संघर्ष समिति के सदस्यों ने बताया कि वे पिछले एक साल से बिना वेतन के काम कर रहे हैं। इस कारण उनके सामने घरेलू खर्च, बच्चों की फीस, बैंक लोन की किश्तें और अन्य आवश्यकताओं को पूरा करना असंभव हो गया है। कई कर्मचारियों के घरों पर लोन वसूली एजेंसियों के चक्कर लग रहे हैं, जबकि कुछ लोग मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं। कर्मचारियों का आरोप है कि अपनी आवाज उठाने वालों को डराने-धमकाने का प्रयास किया जा रहा है। किसी को सस्पेंड किया जा रहा है तो किसी को कानूनी नोटिस भेजा जा रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब एक महीने की तनख्वाह में ही घर चलाना मुश्किल होता है, तब 12 महीने से वेतन नहीं मिलने की स्थिति में कर्मचारी कैसे जी रहे होंगे? कर्मचारियों ने यह भी बताया कि मरीजों की सुविधा को देखते हुए अस्पताल के सिर्फ मुख्य गेट को खुला रखा गया है, बाकी सभी रास्ते बंद कर दिए गए हैं, ताकि कोई आपातकालीन सेवा बाधित न हो। संघर्ष समिति ने प्रशासन से अपील की है कि वे तत्काल हस्तक्षेप कर कर्मचारियों का बकाया वेतन दिलवाएं और अस्पताल को फिर से सुचारु रूप से चलाने की दिशा में कदम उठाएं। इस संबंध में जब फ्रांसिस मिशन अस्पताल के चेयरमैन बिशप दरबारा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उन्होंने अभी कुछ समय पहले ही चार्ज संभाला है। लेकिन यह मामला उनके ध्यान में है। उनकी ओर से मामले की गंभीरता को देखते हुए दो से तीन दिनों में एक कमेटी बनाई जाएगी जो जांच करेगी कि अस्पताल की आर्थिक स्थिति क्या ह जल्द ही यह मामला सुलझा दिया जाएगा।
कर्मचारियों ने डायरेक्टर का पुतला फूंका, नारेबाजी की
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