अब ‘बाज’ जैसी होगी हर सैनिक की नजर, सेना प्रमुख की बड़ी घोषणा, ड्रोन बनेगा नया हथियार

by Carbonmedia
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भारतीय सेना ड्रोन और ड्रोन-रोधी प्रणालियों को तेजी से शामिल कर रही है. कई इकाईयां पहले ही चालू हो चुकी हैं और देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी, महू स्थित इन्फैंट्री स्कूल और चेन्नई स्थित अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी जैसी प्रमुख प्रशिक्षण अकादमियों में ड्रोन केंद्र स्थापित किए गए हैं.
इस कदम का उद्देश्य सेना के सभी अंगों के सैनिकों के लिए ड्रोन संचालन को एक मानक क्षमता के रूप में शामिल करना है. गुरुवार (18 सितंबर, 2025) को थल सेनाध्यक्ष ने अरुणाचल प्रदेश के लिकाबाली में ऐसी ही एक सुविधा का दौरा किया, जिससे भारतीय सेना के ड्रोन क्षमताओं के संचालन पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिया गया.

‘ईगल इन द आर्म’ जैसी ताकत
अधिकारियों ने कहा कि भारतीय सेना का दृष्टिकोण ‘ईगल इन द आर्म’ की अवधारणा में निहित है. यह विचार कि प्रत्येक सैनिक ड्रोन चलाने में सक्षम होना चाहिए, ठीक उसी तरह जैसे वह अपना हथियार रखता है. इकाई या सैनिक के कार्य के आधार पर, ड्रोन का उपयोग युद्ध, निगरानी, रसद या यहां तक कि चिकित्सा निकासी के लिए किया जाएगा. 
ड्रोन-रोधी उपायों को भी समानांतर रूप से शामिल किया जा रहा है, जिससे मानवरहित प्लेटफार्मों का दोहन और उन्हें निष्क्रिय करने के लिए एक स्तरित प्रणाली का निर्माण हो रहा है. परिवर्तन पर जोर 26 जुलाई, 2025 को द्रास में 26वें कारगिल विजय दिवस के दौरान सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी के भाषण में भी साफ नजर आया.
हथियारों से लैस होगा बटालियन 
सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने घोषणा की थी कि प्रत्येक पैदल सेना बटालियन में एक ड्रोन प्लाटून होगी, तोपखाने रेजिमेंटों को ड्रोन-रोधी प्रणालियों और लोइटर हथियारों से लैस किया जाएगा और सटीकता और उत्तरजीविता बढ़ाने के लिए मिश्रित दिव्यास्त्र बैटरियां बनाई जाएंगी. 
सेना प्रमुख ने घोषणा की थी कि हमारी मारक क्षमता अब आने वाले दिनों में कई गुना बढ़ जाएगी और इस बात पर जोर दिया था कि सेना एक आधुनिक और भविष्य के लिए तैयार सेना बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है.
सैनिकों के हाथ में बाज और ड्रोन
यह दोहरा प्रयास, जिसमें सैनिकों को ड्रोन से लैस करना और साथ ही ड्रोन-रोधी सुरक्षा को मजबूत करना शामिल है. भारतीय सेना की इस मान्यता को दर्शाता है कि मानवरहित प्रणालियां अब युद्धक्षेत्र का एक विशिष्ट तत्व नहीं, बल्कि अनिवार्य तत्व हैं.
प्रशिक्षण को संस्थागत रूप देकर, इकाइयों को क्रियाशील बनाकर और बल संरचनाओं को संरेखित करके, भारतीय सेना यह सुनिश्चित कर रही है कि भविष्य का सैनिक न केवल एक हथियार, बल्कि एक बाज, एक ड्रोन भी लेकर चलेगा, जो युद्ध के मैदान में उसकी दृष्टि, पहुंच और शक्ति का विस्तार करेगा.
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