त्रासदी के 28 साल: जब दिल्ली का ‘उपहार’ बना कहर, 59 लोगों की मौत, 100 से ज्यादा हुए थे घायल

by Carbonmedia
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Delhi Gift Became a Disaster: ‘उपहार’ शब्द सुनते ही मन में स्नेह, खुशी और किसी को उपहार देने की भावना उभरती है. लेकिन, कभी-कभी जिस शब्द से मन में स्नेह की भावना जागती है, उसी शब्द से ऐसे दर्द उभर आते हैं, जिसे आजीवन कभी भुलाया नहीं जा सकता है. 13 जून 1997 एक ऐसी तारीख या फिर ऐसा अग्निकांड जिसे दिल्ली ही नहीं बल्कि देश भी कभी भूल नहीं सकता है. इस उपहार कांड में कई परिवारों ने सिर्फ अपनों को ही नहीं खोया, बल्कि, न्याय की लंबी लड़ाई भी चली.
भयावह अग्निकांड के 28 साल पूरे हुए
13 जून 2025 को इस भयावह अग्निकांड के 28 साल पूरे हो रहे हैं. लेकिन, आज भी इस अग्निकांड में अपनों को खोने का गम उन परिवारों के दिलों में ताजा है, जो उस दिन को कोसते हैं, जब उन्होंने अपने परिजनों को फिल्म देखने की इजाजत दी थी. पीड़ित परिवारों का मानना है कि अगर वे इजाजत नहीं देते तो शायद आज उनके बच्चे उनके साथ होते.
13 जून 1997 को दिल्ली के ग्रीन पार्क स्थित उपहार सिनेमाघर में शुक्रवार को एक फिल्म का प्रदर्शन चल रहा था. फिल्म का नाम था “बॉर्डर”. बॉर्डर जो भारत-पाक युद्ध पर आधारित थी. फिल्म का क्रेज बच्चों से लेकर बुजुर्गों के बीच देखने को मिला था. इस सिनेमाघर में बॉर्डर फिल्म देखने के लिए दर्शक अंदर दाखिल हो चुके थे. पर्दे पर फिल्म का सीन चल रहा था. इसी बीच सिनेमाघर में आग लग जाती है और देखते ही देखते इस भीषण अग्निकांड में 59 लोगों की दर्दनाक मृत्यु हो जाती है और करीब 100 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं.
ट्रांसफॉर्मर में शॉर्ट सर्किट से लगी आग
कई मीडिया रिपोर्ट्स इस बात की पुष्टि करती हैं कि सिनेमाघर के बेसमेंट स्थित ट्रांसफॉर्मर में शॉर्ट सर्किट से आग लगी, जो तेजी से फैल गई. धुआं सिनेमाघर की ऊपरी मंजिलों तक पहुंचा, जिससे दर्शकों में भगदड़ मच गई. अपर्याप्त आपातकालीन निकास और सुरक्षा उपायों की कमी ने स्थिति को और भयावह बना दिया, जिसके कारण ज्यादातर लोगों की दम घुटने से मौत हो गई. इससे साफ हो जाता है कि सिनेमाघर का संचालन करने वालों ने सुरक्षा मानकों को ताक पर रखा, अगर सुरक्षा मानकों का ध्यान दिया जाता तो शायद उस वक्त की तस्वीर कुछ और होती.
देश को इस भयानक अग्निकांड के बारे में बताने के लिए 13 जनवरी 2023 को ‘ट्रायल बाय फायर’ वेब सीरीज रिलीज की गई. इस वेब सीरीज में पीड़ित परिवारों की न्याय की लड़ाई को दिखाया गया. यह वेब सीरीज दिखाती है कि कैसे लापरवाही, भ्रष्टाचार और शक्तिशाली लोगों की जवाबदेही की कमी ने इस त्रासदी को जन्म दिया. आग का कारण सिनेमाघर के ट्रांसफॉर्मर में शॉर्ट सर्किट था, लेकिन बंद आपातकालीन निकास, अपर्याप्त अग्निशमन उपकरण और स्टाफ की लापरवाही ने इसे और घातक बना दिया.
‘मैं जिंदा हूं, मैं लड़ाई जारी रखूंगी’
हालांकि, उपहार सिनेमाघर के मालिकों, अंसल बंधुओं, ने सीरीज को बदनाम करने वाला बताकर इसके प्रसारण पर रोक लगाने की कोशिश की, लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट ने 2023 में इसे ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ का हवाला देते हुए खारिज कर दिया. साल 2023 में समाचार एजेंसी आईएएनएस के साथ खास बातचीत में अपनों को खोने वाली कृष्णमूर्ति ने बताया था कि हमारे लिए, यह कभी न खत्म होने वाली कहानी है. जब तक मैं जिंदा हूं, मैं लड़ाई जारी रखूंगी.
उन्होंने कहा था कि हमने अपनी आवाज उठाई है और कई अन्य त्रासदियां हुई हैं, मुझे लगता है कि कई जगहों पर सुरक्षा उपाय किए गए हैं, लेकिन पर्याप्त नहीं हैं. बहुत सारे सार्वजनिक स्थान जैसे रेस्टोरेंट और शॉपिंग मॉल बिना उचित कागजात के चलाए जा रहे हैं.

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