Uttarakhand News: गर्मियों की शुरुआत के साथ ही ‘गरीबों का फ्रिज’ कहे जाने वाले मिटटी के मटके की डिमांड में अब पहले जैसी रौनक नहीं रही. जिसका नुकसान इनके व्यापारियों को हो रहा है. उत्तराखंड के उधम सिंह नगर में कुम्हारों ने गर्मी से पहले ही छोटे से बड़े मटकों की तैयारी पूरी कर ली थी. यही नहीं कुछ कुम्हारों ने तो गुजरात से रंग-बिरंगे मटके भी मंगवाए, लेकिन इस बार बिक्री में उम्मीद के मुताबिक बढ़ोतरी नहीं हुई. लिहाजा मटकों की घटती मांग और बढ़ते खर्च के कारण कुम्हारों की चिंताएं बढ़ गयीं हैं.
पिछले कुछ वर्षों में शहरों में शायद ही कोई घर ऐसा हो जहां फ्रिज न हो. फ्रिज में पानी जल्दी और ज्यादा ठंडा होता है, जिसके चलते लोग अब मटकों से दूरी बना रहे हैं.इसका असर भी इन दिनों बाजार में देखने को मिल रहा है.
इस वजह से मांग कम
कुम्हार गजेंद्र प्रजापति बताते हैं कि लोगों की बदलती जीवनशैली और फ्रिज की सुविधा ने मिटटी मटकों की मांग को कम कर दिया है. हालांकि, डॉक्टरों के अनुसार मटके का पानी फ्रिज के पानी से ज्यादा स्वास्थ्यवर्धक होता है. क्यूंकि इसमें प्राकृतिक तरीके से पानी ठंडा होता है.
मिट्टी की बढ़ती लागत
उत्तराखंड के कुम्हार मटके बनाने के लिए उत्तर प्रदेश के बरेली और रामपुर से मिट्टी लाते हैं. मिट्टी की ढुलाई में भारी खर्च के कारण मटकों की कीमतें भी बढ़ रही हैं, जिस कारण कुम्हारों का मुनाफा कम हो रहा है.
मटकों की कीमतें (उधम सिंह नगर, उत्तराखंड):
6 लीटर मटका: 50 रुपये
10 लीटर मटका: 100 रुपये
15 लीटर मटका: 150 रुपये
20 लीटर मटका: 200 रुपये
25 लीटर मटका: 250 रुपये
टोंटी वाला मटका: 70-80 रुपये अतिरिक्त
नई पीढ़ी उदासीन
कम डिमांड और घटती कमाई ने अब युवा पीढ़ी को इस धंधे की तरफ से निराश किया है, लिहाजा नई पीढ़ी अब इससे कतरा रही है. गजेंद्र प्रजापति के मुताबिक अगर मटकों की बिक्री ऐसे ही कम होती रही, तो आने वाले समय में युवा कुम्हार इस कारोबार को छोड़कर दूसरा काम शुरू कर देंगे.
मटके के पानी के फायदे
डॉक्टरों के मुताबिक मिटटी के मटके का पानी प्राकृतिक रूप से ठंडा और शुद्ध होता है. यह पाचन तंत्र को बेहतर रखने, शरीर को हाइड्रेट करने और त्वचा के लिए फायदेमंद होता है. फ्रिज के पानी में क्लोरीन और अन्य रसायन हो सकते हैं, वनस्पत मटके का पानी इनसे मुक्त होता है.
कुम्हारों की चुनौतियां
बढ़ती लागत: मिट्टी और ढुलाई का खर्च बढ़ने से मटकों की कीमतें बढ़ रही हैं.
घटती मांग: फ्रिज की लोकप्रियता के कारण मटकों की बिक्री में कमी.
नई पीढ़ी की उदासीनता: युवा कुम्हारों का इस व्यवसाय से दूरी बनाना.
प्रतिस्पर्धा: आधुनिक विकल्पों के सामने पारंपरिक मटकों की मांग कम होना.
बीच में सरकारों में कुम्हारों के प्रोत्साहन के लिए कई स्कीम शुरू भी की थीं, लेकिन देखरेख के अभाव में इस उद्योग से जुड़े लोगों को वो लाभ नहीं मिल पाया.
(उधमसिंह नगर से वेद प्रकाश की रिपोर्ट )