Iran vs Israel: मध्य पूर्व में ईरान और इज़राइल के बीच दशकों से चल रही तनातनी अब आधुनिक तकनीक के ज़रिए एक नए दौर में पहुंच चुकी है ड्रोन युद्ध के दौर में. दोनों देशों ने अपनी सैन्य रणनीतियों में ड्रोन टेक्नोलॉजी को बेहद अहम बना लिया है. अब सवाल ये है कि ईरान और इज़राइल में किसके पास ज़्यादा ड्रोन हैं और कौन इस मामले में ज़्यादा ताकतवर है? आइए जानते हैं इस ड्रोन रेस की पूरी कहानी.
ईरान के सस्ते लेकिन असरदार ड्रोन
ईरान ने पिछले कुछ वर्षों में ड्रोन निर्माण के क्षेत्र में तेज़ी से तरक्की की है. खासकर अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद, ईरान ने घरेलू तकनीक के दम पर सस्ते लेकिन प्रभावशाली ड्रोन तैयार किए हैं.
शहीद-136 (Shahed-136): ईरान का सबसे चर्चित ‘कामिकाज़े ड्रोन’ जिसे रूस ने भी यूक्रेन युद्ध में इस्तेमाल किया है.
मोहाजिर और अबाबील सीरीज: निगरानी और सटीक हमलों के लिए ईरान के मुख्य ड्रोन प्लेटफॉर्म.
शहीद-129: एक सशस्त्र ड्रोन जो अमेरिकी MQ-1 प्रिडेटर की तर्ज़ पर तैयार किया गया है.
एक अनुमान के मुताबिक, ईरान के पास हज़ारों की संख्या में छोटे-बड़े ड्रोन हैं जिनमें कई सुसाइड ड्रोन भी शामिल हैं. ईरान इन ड्रोन का निर्यात हिजबुल्ला, हौथी विद्रोहियों और अन्य गुटों को भी करता है जिससे ये क्षेत्रीय संघर्षों में व्यापक तौर पर इस्तेमाल हो रहे हैं.
इज़राइल के हाई-टेक, स्मार्ट और घातक ड्रोन
इज़राइल को दुनिया का ड्रोन सुपरपावर माना जाता है. उसकी ड्रोन टेक्नोलॉजी बेहद उन्नत और सटीक है. इज़राइल की कंपनियां जैसे IAI (Israel Aerospace Industries), Elbit Systems और Rafael दुनिया भर को ड्रोन निर्यात करती हैं.
Heron, Eitan (Heron TP): लंबी दूरी और भारी हथियारों से लैस ड्रोन जो दुश्मन की सीमाओं के अंदर गहराई तक वार कर सकते हैं.
Harop: एक लोइटरिंग म्यूनिशन या सुसाइड ड्रोन जो लक्ष्य पर घूमते हुए हमला करता है.
SkyStriker और Hermes 900: निगरानी और हमले दोनों में माहिर.
तकनीकी रूप से देखा जाए तो इज़राइल के ड्रोन बेहद एडवांस्ड सेंसर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सटीक टारगेटिंग से लैस होते हैं. उनकी विश्वसनीयता और मारक क्षमता ईरानी ड्रोन से कहीं आगे है.
कौन है ज़्यादा ताकतवर?
अगर सिर्फ संख्या की बात करें तो ईरान के पास अधिक ड्रोन हो सकते हैं, खासकर सस्ते, आत्मघाती ड्रोन जो झुंड में हमला कर सकते हैं. लेकिन अगर गुणवत्ता, सटीकता और तकनीकी स्तर देखा जाए, तो इज़राइल साफ तौर पर आगे है. ईरान ड्रोन को ‘कम खर्च में ज़्यादा नुकसान’ करने की नीति के तहत इस्तेमाल करता है. इज़राइल अपने ड्रोन से रणनीतिक ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक जैसे हमले करता है.
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