शिमला में रिज पर वीरभद्र की प्रतिमा स्थापित:विक्रमादित्य ने दिया था मिनिस्टर पद से इस्तीफा, जाने कैसे अल्पमत में गई थी सुक्खू सरकार

by Carbonmedia
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हिमाचल प्रदेश के PWD मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने अपने पिता एवं 6 बार के CM वीरभद्र सिंह की शिमला के रिज पर प्रतिमा नहीं लगाने पर मिनिस्टर पद से इस्तीफा दे दिया था। अब उनकी यह इच्छा पूरी हो गई है। वीरभद्र सिंह की प्रतिमा बीती रात को ही शिमला लाई गई। आज इसे रिज के दौलत सिंह पार्क में स्थापित कर दिया गया है। वीरभद्र की प्रतिमा का 15 जुलाई को सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे इत्यादि राष्ट्रीय नेताओं की मौजूदगी में अनावरण किया जाएगा। वीरभद्र सिंह की प्रतिमा हिमाचल निर्माता एवं प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार की प्रतिमा की बगल में लगाई गई है। अनावरण नहीं होने तक इसे ढककर रखा जाएगा। यहां महात्मा गांधी-इंदिरा की प्रतिमा पहले से लगी हुई शिमला का रिज टूरिज्म की दृष्टि से दुनियाभर में मशहूर है। यहां पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे दिग्गज नेताओं की पहले से प्रतिमा स्थापित है। अब वीरभद्र सिंह की प्रतिमा भी स्थापित कर दी गई है। वीरभद्र सिंह का निधन 8 जुलाई 2021 को हुआ था। वीरभद्र जयंती पर अनावरण कार्यक्रम टाला इस प्रतिमा के अनावरण कार्यक्रम के लिए विक्रमादित्य सिंह खुद दिल्ली जाकर सोनिया, प्रियंका गांधी समेत तमाम राष्ट्रीय नेताओं को न्योता दे चुके हैं। पूर्व में 23 जून को वीरभद्र जयंती पर इस प्रतिमा का अनावरण कराया जाना था। मगर उस दिन सोनिया-प्रियंका के दूसरी जगह कार्यक्रम तय होने की वजह से प्रतिमा का अनावरण अब 15 जुलाई को कराने का फैसला लिया गया है। यहां जाने विक्रमादित्य ने क्यों दिया था इस्तीफा? वीरभद्र सिंह के पुत्र विक्रमादित्य सिंह सुक्खू सरकार में PWD एवं शहरी विकास मंत्री है। उन्होंने 28 फरवरी 2023 को मंत्री पद से इस्तीफा देकर न केवल प्रदेश बल्कि पूरे देश में सियासी परा बढ़ा दिया था। इसका ऐलान उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके किया था। इस दौरान उनके आंसू निकल आए थे। उन्होंने सवाल उठाए कि पूर्व सरकार BJP सरकार ने रिज पर वीरभद्र सिंह की प्रतिमा लगाने को मंजूरी दे दी थी। मगर उनकी अपनी ही सरकार ने वीरभद्र सिंह की प्रतिमा नहीं लगा रही। इससे वीरभद्र समर्थक मायूस है। इससे आहत विक्रमादित्य ने इस्तीफे का ऐलान कर डाला। सुक्खू सरकार का जाना तय माना जा रहा था विक्रमादित्य के इस्तीफे के बाद सुक्खू सरकार का जाना लगभग तय माना जा रहा था, क्योंकि विक्रमादित्य के इस्तीफे से एक दिन पहले ही राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के 6 विधायकों समेत 3 निर्दलीय ने भी क्रॉस वोट किया। इससे हिमाचल विधानसभा में बहुमत वाली कांग्रेस सरकार राज्यसभा चुनाव हार गई। बीजेपी के हर्ष महाजन और कांग्रेस प्रत्याशी अभिषेक मनु सिंघवी को बराबर बराबर यानी 34-34 वोट मिले। पर्ची सिस्टम से हर्ष महाजन चुनाव जीत गए। ऐसे में अगले दिन विक्रमादित्य सिंह के इस्तीफे के बाद तरह तरह की अटकलें लगाई जा रही थी। उनके BJP में जाने की चर्चाएं भी तेज हो गई थी, क्योंकि वह क्रॉस वोट करने वाले विधायकों से मिलने चंडीगढ़ भी पहुंचे। विक्रमादित्य के कारण गिर सकती थी सरकार सुक्खू सरकार पर संकट इसलिए आया क्योंकि 28 फरवरी को सरकार को बजट पास कराना था। राजनीति के जानकार यह मान रहे थे कि यदि कांग्रेस विक्रमादित्य सिंह बजट पारित करने में वोट नहीं डालते या खिलाफ वोट करते हैं तो सरकार का बजट पारित नहीं हो पाएगा। इससे सरकार अल्पमत में आ जाएगी। मगर बजट पारित होने व लंच से पहले से बीजेपी ने सदन में हंगामा किया। इससे विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने ‌BJP के 9 विधायक बजट सत्र के लिए निष्कासित कर दिए। BJP विधायकों के निष्कासन के बाद सुक्खू सरकार ने बजट पारित करवा दिया और सरकार पर सियासी संकट टल गया। हाईकमान ने शिव कुमार और हुड्डा को ऑब्जर्वर बनाकर हिमाचल भेजा इस बीच कांग्रेस हाईकमान ने कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिव कुमार और हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा को ऑब्जर्वर बनाकर हिमाचल भेजा। इन दोनों नेताओं की मध्यस्थता के बाद कांग्रेस सरकार बच गई और विक्रमादित्य सिंह का इस्तीफा मंजूर नहीं किया गया।

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