Mathura News: भगवान श्रीकृष्ण की लीला भूमि मथुरा‑वृंदावन में अब आस्था के साथ प्रकृति की ताजगी भी महसूस होगी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के “मथुरा विज़न‑2030” के तहत यमुना नदी के किनारे वृंदावन से गोकुल तक 17 किलोमीटर लंबा नेचर वॉक पाथ‑वे बनने जा रहा है. लगभग 50 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना को ब्रज तीर्थ विकास प्राधिकरण और प्रदेश के वन विभाग मिलकर पूरा करेंगे. योजना के अनुसार दो मीटर चौड़ा पक्का रास्ता दोनों ओर से देशज पेड़ों की हरियाली से घिरा होगा. पाथ‑वे पर फेसिंग, सौर‑लाइट, बैठने की जगह और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएँ भी रहेंगी, ताकि श्रद्धालुओं व स्थानीय लोगों को सहज अनुभव मिल सके.
परियोजना का मकसद क्या है?योजना का लक्ष्य मथुरा‑वृंदावन क्षेत्र में ईको‑टूरिज़्म को बढ़ावा देना, यमुना तट का सुंदर कायाकल्प करना और जैव‑विविधता को संरक्षित करना है. पहले यमुना किनारे कई जगह अवैध कब्ज़े और कचरा दिखाई देता था; अब वृक्षों की पंक्तियाँ और साफ‑सुथरा रास्ता यात्रियों को सुकून देगा. स्थानीय प्रजातियों-जैसे कदंब, पाकड़, अर्जुन, नीम-के पौधों से न सिर्फ़ पर्यावरण सुधरेगा, बल्कि भगवान कृष्ण से जुड़ी सांस्कृतिक स्मृतियाँ भी जीवंत होंगी.
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आस्था, इतिहास और विकास-तीनों का संगममथुरा, वृंदावन और गोकुल को श्रीकृष्ण जन्मभूमि, बाल‑लीला और गीता‑उपदेश के केंद्र के रूप में दुनिया जानती है. हर साल लगभग पाँच करोड़ श्रद्धालु यहाँ पहुँचते हैं, लेकिन अधिकतर दर्शन गाड़ियों या भीड़‑भाड़ वाली सड़कों से ही कर पाते थे. नया पाथ‑वे उन्हें शांत माहौल में पैदल या साइकिल से यमुना दर्शन कराएगा.
साथ ही, मथुरा विज़न‑2030 के तहत कुल 30,000 करोड़ रुपये से अधिक की 195 परियोजनाएँ चल रही हैं, जिनमें नदी घाटों का पुनरुद्धार, परिक्रमा पथ चौड़ीकरण, पर्यटन सुविधाएँ और बुनियादी ढाँचा शामिल है. अब तक 23 परियोजनाओं को 2,300 करोड़ रुपये मंज़ूर भी हो चुके हैं. नेचर वॉक इसी कड़ी का महत्वपूर्ण हिस्सा है.
स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मिलेगा बढ़ावापथ‑वे के बन जाने से फूल‑माला, पूजा‑सामग्री, हस्तशिल्प और फलों की छोटी दुकानों को और ग्राहक मिलेंगे. योग‑ध्यान शिविर, साइकिल‑टूर और प्रकृति‑पाठशाला जैसी गतिविधियाँ भी शुरू की जा सकेंगी. इससे युवाओं को रोज़गार और गाँव‑क़स्बों के होम‑स्टे को नया आय‑स्त्रोत मिलेगा.
कब तक दिखेगा असर?प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि डीपीआर तैयार है और निविदा प्रक्रिया तेज़ी से आगे बढ़ रही है. वन विभाग मानसून में पौधारोपण शुरू करेगा, ताकि अगले वर्ष के मध्य तक यात्रियों को पाथ‑वे का पहला चरण दिखाई देने लगे. उम्मीद है कि 2030 तक पूरा मार्ग पूरी तरह सजीव, सुरक्षित और रोशनी से जगमग होगा.
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