मानेसर नगर निगम में डिप्टी मेयर के लिए सियासी खेला:राव इंद्रजीत और नरबीर के समर्थक लामबंद, आधे से ज्यादा पार्षद अंडरग्राउंड

by Carbonmedia
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गुरुग्राम के मानेसर नगर निगम (MCM) में सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव को लेकर सियासी घमासान चल रहा है। केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह और हरियाणा के कैबिनेट मंत्री राव नरबीर सिंह के बीच चल रही खींचतान के बीच बुधवार को आधे से ज्यादा पार्षद अंडरग्राउंड हो गए। कुछ पार्षदों के मोबाइल नंबर भी नहीं मिल रहे हैं। वहीं कुछ पार्षदों ने कॉल उठाना भी बंद कर दिया है। इससे गुरुग्राम की राजनीति गर्मा गई है। बताया जा रहा है कि दोनों नेता अपने अपने समर्थक पार्षद को सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के पद पर बैठाना चाहते हैं। ऐसे में दोनों नेताओं के समर्थक लॉबिंग करने में जुटे हैं। दरअसल मेयर चुनाव के तीन महीने बाद भी सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव नहीं हो पाए हैं, जिससे नगर निगम के विकास कार्य ठप पड़े हैं। इस देरी के पीछे केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह और हरियाणा के कैबिनेट मंत्री राव नरबीर सिंह के बीच चल रही सियासी खींचतान को जिम्मेदार माना जा रहा है। मानेसर नगर निगम में कुल 20 पार्षद हैं, जिनमें से 7 बीजेपी के और 13 निर्दलीय चुने गए थे। सूत्रों के मुताबिक, इनमें से 10 पार्षद राव नरबीर के संपर्क में हैं, जबकि बाकी 10 राव इंद्रजीत के खेमे के साथ बताए जा रहे हैं। राव इंद्रजीत के खेमे से आने वाली डॉ. इंद्रजीत कौर ने गुरुग्राम मंडल आयुक्त को पत्र लिखकर तत्काल सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव के लिए बैठक बुलाने की मांग की है। मेयर ने हरियाणा नगर निगम चुनाव नियम, 1994 के नियम 71(2) का हवाला देते हुए कहा कि मेयर और पार्षदों की अधिसूचना के 60 दिनों के भीतर इन पदों पर नियुक्ति होनी चाहिए, लेकिन 100 दिन बीतने के बावजूद कोई प्रगति नहीं हुई। मेयर ने पत्र में बताया था कि सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर की अनुपस्थिति के कारण वित्त एवं अनुबंध समिति का गठन नहीं हो पा रहा है। यह समिति हरियाणा नगर निगम व्यवसाय उपनियम, 2009 के खंड 37(ए) के तहत निगम के वित्तीय लेन-देन, खरीद, और अनुबंधों के फैसले लेती है। इस देरी से मानेसर में इन्फ्रास्ट्रक्चर और विकास कार्य रुके हुए हैं, जिससे स्थानीय जनता में असंतोष बढ़ रहा है। 10 जून को आयोजित निगम की सदन बैठक में पार्षदों ने सर्वसम्मति से आयुक्त से तत्काल चुनाव की मांग की थी। मेयर ने इस पत्र की प्रतियां हरियाणा के मुख्य सचिव और शहरी स्थानीय निकाय विभाग को भी भेजी हैं। राव नरबीर ने हाल ही में 7 निर्दलीय पार्षदों को बीजेपी में शामिल करवाकर अपनी स्थिति मजबूत की थी, जिससे बीजेपी के पास 14 पार्षदों का समर्थन हो गया था। इनमें वार्ड 7 से कंवरपाल, वार्ड 8 से भूपेंद्र चौहान और वार्ड 15 से पिंकी जैसे बड़े नाम शामिल हैं। हालांकि बाकी निर्दलीय पार्षद और कुछ बीजेपी पार्षद राव इंद्रजीत के खेमे के साथ हैं। एक पार्षद ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि इस खींचतान के बीच दोनों खेमों ने अपने समर्थक पार्षदों को टूटने से बचाने के लिए उन्हें शहर से बाहर भेज दिया है, ताकि दूसरा पक्ष उन तक न पहुंच सके। मानेसर नगर निगम का यह सियासी ड्रामा बीजेपी में गुटबाजी को भी जाहिर करता है। मेयर चुनाव में खुद को राव इंद्रजीत की समर्थक कहने वाली डॉ. इंद्रजीत कौर ने बीजेपी के सुंदरलाल यादव को 2293 वोटों से हराया था। जबकि सुंदरलाल यादव के पक्ष में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर और राव नरबीर ने खूब प्रचार किया था, लेकिन राव इंद्रजीत की रणनीति भारी पड़ी। अब डिप्टी मेयर और सीनियर डिप्टी मेयर के पदों पर नियंत्रण को लेकर दोनों नेताओं के बीच टकराव और तेज हो गया है। सूत्रों का कहना है कि राव नरबीर खेमा अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए निर्दलीय पार्षदों को बीजेपी में शामिल कराने की कोशिश कर रहा है। दूसरी ओर राव इंद्रजीत अपने नजदीकी पार्षदों के बल पर इन पदों पर अपने समर्थकों को लाने की रणनीति बना रहे हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि इस सियासी नाटक का खामियाजा मानेसर की जनता को भुगतना पड़ रहा है, क्योंकि विकास कार्य और खरीद प्रक्रियाएं रुकी हुई हैं। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी हाईकमान को हस्तक्षेप करना पड़ सकता है, क्योंकि यह गुटबाजी पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा सकती है।

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