तरनतारन के श्री दरबार साहिब से सटे चार प्लाट पखोके को कौ​ड़ियों के भाव दिए गए : रणजीत सिंह

by Carbonmedia
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भास्कर न्यूज | अमृतसर केंन्द्रीय पंजाबी लेखक सभा ने डेढ़ साल बाद होने वाले इजलास के दौरान दिए जाने वाले बहु-विधा साहित्यिक पुरस्कारों के नामों का ऐलान कर दिया है। सभा के दफ्तर से जारी बयान में सभा के प्रधान दर्शन बुट्टर, जनरल सचिव सुशील दुसांझ, सीनियर उपप्रधान मक्खण कुहाड़ और दफ्तर सचिव दीप देविंदर सिंह ने जानकारी दी। सभा की ओर से दिए जाने वाले ज्ञानी हीरा सिंह यादगारी जथेबंदक पुरस्कार के लिए करम सिंह वकील का नाम तय किया गया है। आलोचना पुरस्कार डॉ. मनजिंदर सिंह को मिलेगा। साहित्य साधना पुरस्कार के लिए डॉ. एस तरसेम और बलबीर परवाना के नाम तय हुए हैं। हरभजन सिंह हुंदल काव्य पुरस्कार गजलगो जसविंदर को दिया जाएगा। ये सभी पुरस्कार 20 जुलाई को अमृतसर में होने वाले इजलास के मौके पर दिए जाएंगे। इस कार्यक्रम में केंन्द्रीय सभा के पदाधिकारी, कार्यकारिणी सदस्य, पंजाब और पंजाब से बाहर की साहित्य सभाएं और लेखक बड़ी संख्या में मौजूद रहेंगे। भास्कर न्यूज | अमृतसर श्री अकाल तख्त साहिब के पूर्व जत्थेदार भाई रणजीत सिंह ने एसजीपीसी प्रधान हरजिंदर सिंह धामी पर तरनतारन स्थित श्री दरबार साहिब से सटे 4 कार्मिशयल प्लाटों की नीलामी कर अपने चहेते एसजीपीसी सदस्य अलविंदरपाल सिंह पखोके को कौड़ियों के भाव देने का आरोप लगाया है। भाई रणजीत सिंह ने यह भी खुलासा किया है कि श्रद्धालु द्वारा दान की गई जमीन की नीलामी की ही नहीं जा सकती, एसजीपीसी ने इस घोटाले में भ्रष्टाचार कर इस जगह को नीलाम कर दिया है। भाई रणजीत सिंह ने कहा कि 60 लाख रुपए कीमत वाले एक प्लाट को मात्र 16 लाख रुपए में नीलामी के तहत पखोके को दे दिया गया है। इसी तरह 50 लाख की कीमत वाले प्लाट को मात्र 9 लाख रुपए में दे दिया गया हैै। उन्होंने कहा कि इस प्रकरण की जांच होनी चाहिए। भाई रणजीत सिंह ने साफ किया कि उक्त जगह किसी श्रद्धालु ने गुरुघर को दान की थी, दान की गई गुरुघर की जमीन को न तो नीलाम किया जा सकता है और न बेचा जा सकता है। अगर सरकारी प्रोजेक्ट में भी कोई भी दान की गई जगह आती हो तो भी सरकार सीधे तौर पर इसपर कब्जा नहीं कर सकती है। सरकार को भी इसके एवज में किसी अन्य स्थल पर इतनी ही जमीन बदलने में देनी पड़ती है। उन्होंने कहा िक हाल ही में एसजीपीसी की कार्याकारिणी की बैठक में करोड़ों की इस जमीन को लाखों रुपए में नीलाम करने को हरी झंडी दे दी गई थी। मगर सिख संगत की कचहरी में एसजीपीसी प्रधान हरजिंदर धामी व अन्यों को एक न एक दिन इस घोटाले का हिसाब-किताब अवश्य देना पड़ेगा क्योंकि शिअद प्रधान सुखबीर सिंह बादल के इशारे पर चहेतों को रेवड़ी की तरह संगत की दान की गई जमीनों को बांटा जा रहा है। एसजीपीसी सचिव प्रताप सिंह ने जत्थेदार भाई रणजीत सिंह के आरोपों को बेबुनियाद करार देते हुए कहा है कि कम कीमत पर प्लाट बेचने के आरोप झूठ का पुलिंदा हैं। उक्त जगह गुरुद्वारा साहिब के इस्तेमाल में न आने के चलते लोगों द्वारा कब्जा करने के प्रयासों के नतीजन बेची गई है अगर न बेची जाती तो लोग इसपर कब्जा कर लेते। इसे एसजीपीसी की जायदाद सब कमेटी की सिफारिशों पर एसजीपीसी कार्यकारिणी द्वारा मोहर लगाने के बाद बेचने का फैसला लिया गया था। इसके लिए बाकायदा विज्ञापन समाचारपत्रों में जारी करवाए गए थे, इसके बाद खुली नीलामी के माध्यम से ही जगह बेची गई है। जगह श्री दरबार साहिब के समीप अवश्य है लेकिन गलियों में होने के कारण इसकी मार्केट कीमत बेहद कम है। नियमों के अनुसार इसकी बोली करवाई गई है, अगर कीमत ज्यादा होती तो लोगों द्वारा इसमें दिलचस्पी न लेने के चलते कई बार नीलामी एसजीपीसी को रद्द न करनी पड़ती।

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