International Yoga Day: अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से पहले एक बार फिर योग को लेकर सियासी बयानबाजी शुरू हो गई है. समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और मुरादाबाद से पूर्व सांसद डॉ. एसटी हसन ने योग दिवस पर कर्मचारियों को दिए जाने वाले विशेष ब्रेक को लेकर सवाल उठाए हैं.
डॉ. हसन ने कहा, “योगा डे पर ब्रेक देने की कोई आवश्यकता नहीं है. कर्मचारी चाहें तो घर से योग करके कार्यालय आ सकते हैं. जब मुसलमानों को नमाज के लिए आधे घंटे का भी ब्रेक नहीं दिया जाता तो योग के लिए विशेष ब्रेक देना कहां तक उचित है?”
उन्होंने आगे कहा कि हम योग के विरोध में नहीं हैं. यह एक अच्छी चीज है, लेकिन सरकार को दोहरा रवैया नहीं अपनाना चाहिए. अगर योगा डे पर ब्रेक दिया जा रहा है, तो फिर मुस्लिम कर्मचारियों को नमाज के लिए भी ब्रेक दिया जाना चाहिए.
काम के समय ब्रेक देने की क्या जरूरत है?
पूर्व सांसद ने वर्तमान व्यवस्था पर तंज कसते हुए कहा कि देश में अब वो सब हो रहा है, जो पहले कभी नहीं हुआ. ऑफिस समय शुरू होने से पहले ही योग किया जा सकता है, तो फिर काम के समय ब्रेक देने की क्या जरूरत है?
बता दें कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (21 जून) से पहले प्रदेश सरकार ने एक नई पहल की शुरुआत की है. अब राज्य के सभी सरकारी कार्यालयों में रोजाना ‘वाई-ब्रेक योगा’ सत्र आयोजित किए जाएंगे, जिससे कर्मचारियों को कामकाज के दौरान तनाव से राहत मिले और वे शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकें. यह निर्णय केंद्र सरकार के आयुष मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के तहत लिया गया है.
‘वाई-ब्रेक योगा’ एक संक्षिप्त योग सत्र है, जिसे खास तौर पर ऑफिस या डेस्क पर काम करने वालों के लिए डिजाइन किया गया है. इसमें पांच से दस मिनट के हल्के योगाभ्यास शामिल होते हैं, जो गर्दन, पीठ और कमर की जकड़न को दूर करने में मदद करते हैं. साथ ही इसमें गहरी सांसों और माइंडफुलनेस तकनीकों को भी शामिल किया गया है, जिससे मानसिक थकान कम होती है और कार्यक्षमता तथा एकाग्रता में सुधार होता है.
‘नमाज पर नहीं मिलता ब्रेक, फिर योगा डे पर राहत क्यों’, एसटी हसन से सरकार पर उठाए सवाल
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