Iran Israel War Crisis: ईरान और इजरायल में इस वक्त जंग छिड़ी हुई है और उसका प्रभाव व्यापार पर भी पड़ रहा. भारत से ईरान भारी मात्रा में बासमती चावल खरीदता है और बासमती चावल करनाल, कैथल और इसके अलावा अलग अलग शहरों से जाता है.
आप कह सकते हैं कि ईरान वो देश है जहां भारत से सबसे ज्यादा चावल जाता है. ऐसे में अब उस बाजार में भी उथल पुथल देखने को मिल रही है, चावल एक्सपोर्टर्स के मन में कई सवाल भी हैं और उसको लेकर राइस मिलर सरकार के संपर्क में भी हैं.
‘युद्ध की स्थिति में बीमा नहीं होता है’जब इस बारे में हमने ऑल इंडिया राइस एसो के प्रधान सतीश गोयल जी से बात की तो उन्होंने बताया कि पिछले कुछ दिन से ऐसी स्थिति आई है, उम्मीद है जल्द हल हो जाएगी. उन्होंने बताया कि 1 मिलियन टन हर साल चावल ईरान में भारत से जाता है. पिछले दो महीने में भी एक्सपोर्ट अच्छा हुआ है और फिलहाल कुछ दिनों से जो शिपमेंट जानी थी वो होल्ड कर दी गई है क्योंकि युद्ध की स्थिति है और युद्ध की स्थिति में बीमा नहीं होता है.
उन्होंने कहा कि हमें नहीं लगता कि बहुत बड़ा प्रभाव चावल के व्यापार पर आएगा , क्योंकि जब कहीं जंग होती है तो खाने से जुड़ी चीजों का व्यापार जारी रहता है. उम्मीद है ये जल्दी हल हो जाएगा क्योंकि भारतीय सरकार का संपर्क भी चावल से जुड़े व्यापारियों के साथ है जो कि चावल ईरान में भेजते हैं.
‘चावल के दाम में थोड़ी सी गिरावट आई है’उन्होंने कहा कि जो माल (चावल) हमारा पहुंच गया है उसका तो कोई इश्यू नहीं है पर जो माल (चावल) हमने कांडला पोर्ट पर होल्ड कर दिया है वो उम्मीद करते हैं आगे निकलेगा और बाजार फिर से स्मूथ हो जाएगा. वहीं जब उनसे पूछा गया कि क्या बासमती चावल के दाम में भी फर्क आया है जिस दाम में हम ईरान को चावल देते हैं तो उन्होंने बताया कि ईरान एक बड़ा देश है जो हमसे चावल खरीदता है.
अगर वहां पर युद्ध की स्थिति है तो चावल के दाम में थोड़ी सी गिरावट आई है, ये जैसे ही ठीक होगा , चावल के दाम वही हो जाएंगे और मार्केट सही चलेगा. इस साल हमने 6 मिलियन टन चावल भारत से बाकी देशों में भेजा गया है, भारत से जो चावल विदेश में जाता है उसका 30 से 35 प्रतिशत चावल जो हरियाणा से होता है.
सरकार कर रही है विचार उन्होंने कहा कि सरकार के साथ हमारा सीधा संपर्क है और बातचीत लगातार जारी है, 24 जून को केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल से भी मुलाकात होनी है, उनके सामने भी अपनी पूरी बात रखेंगे. उन्होंने बताया कि बस मन में एक डर है कि इस युद्ध की स्थिति में रास्ते में अगर कोई दिक्कत आ जाती है तो परेशानी बढ़ जाएगी.
उन्होंने कहा कि वैसे तो चावल का बीमा होता है पर युद्ध में कोई बीमा नहीं होता तो सरकार इस पर भी विचार कर रही है, अगर युद्ध ज्यादा लंबा चलता है तो क्या पता इस स्थिति में भी चावल के बीमा का प्रावधान निकल आए. फिलहाल चावल के इन एक्सपोर्ट्स को इंतजार है कि युद्ध जो कि ईरान और इजरायल के बीच चल रहा है वो जल्दी से शांत हो ताकि वो अपने व्यापार को सुचारू रूप से चला सके.
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