महाराष्ट्र में निकाय चुनाव से पहले हिंदी का झगड़ा क्या है? समझें पूरा मामला

by Carbonmedia
()

Maharashtra Hindi Compulsory: महाराष्ट्र में निकाय चुनाव से पहले भाषा को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. सभी पार्टियां इस मुद्दे को भूनाने की कोशिश में जुटी हैं. दरअसल, मंगलवार (17 जून) को देवेंद्र फडणवीस सरकार ने सरकारी आदेश (जीआर) में कहा था कि राज्य के मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में कक्षा एक से पांचवीं तक के छात्रों को तीसरी भाषा के रूप में हिंदी पढ़ाई जाएगी.
साथ ही कहा था कि, ”हिंदी अनिवार्य होने के बजाय सामान्य रूप से तीसरी भाषा होगी, लेकिन इसमें यह विकल्प भी दिया गया है कि यदि किसी स्कूल में प्रति कक्षा 20 विद्यार्थी हिंदी के अलावा कोई अन्य भारतीय भाषा पढ़ने की इच्छा व्यक्त करते हैं तो वे इसे छोड़ सकते हैं.”
इस आदेश का विपक्षी पार्टियां विरोध कर रही हैं. मराठी संगठन भी इस फैसले को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. सोमवार (23 जून) को ही मराठी अभ्यास केंद्र की अगुवाई में राज्यव्यापी आंदोलन खड़ा करने का फैसला लिया गया. इसके लिए 21 लोगों की कमेटी गठित की गई है.
अप्रैल में शुरू हुआ विवादइससे पहले अप्रैल के महीने में हिंदी को लेकर बवाल खड़ा हुआ था. तब महाराष्ट्र सरकार ने विरोध के बाद फैसला वापस ले लिया. अब कुछ संशोधन के साथ सरकार ने आदेश जारी किए हैं.
अप्रैल में जारी आदेश सरकार ने कहा था, ”राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत महाराष्ट्र के विद्यालयों में पहली से पांचवी कक्षा के लिए त्रि-भाषा फॉर्मूला लागू किया गया है.” इससे पहले इन स्कूलों में पहली से चौथी कक्षाओं में केवल मराठी और अंग्रेजी की पढ़ाई अनिवार्य थी. 
सरकार का पक्षविरोध में  सरकार में शामिल अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) ने सोमवार को कहा कि सरकार ऐसा कोई भी निर्णय नहीं लेगी, जिससे मराठी भाषा की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचे.
वहीं मराठी भाषा मंत्री और एकनाथ शिंदे की शिवसेना के नेता उदय सामंत ने सोमवार (23 जून) को कहा कि हिंदी भाषा अनिवार्य नहीं है, ऐसा कोई परिपत्रक कहीं भी जारी नहीं किया गया है. त्रिभाषा सूत्र सिर्फ महाराष्ट्र में ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों में भी लागू है. बाकी सभी सवाल स्कूल शिक्षा मंत्री से पूछें. हिंदी को थोपा नहीं जा रहा है. हमारी बदनामी की जा रही है. जो बदनाम कर रहे हैं, उनको मेरा यही सुझाव है कि लोगों तक सही जानकारी पहुंचाएं.
इससे पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में उचित विचार-विमर्श के साथ पूरे देश में 3 भाषा नीति लाई है. एनईपी पूरे देश के लिए है और महाराष्ट्र दो भाषा नीति नहीं अपना सकता. अपनी क्षेत्रीय भाषा सीखते समय, यदि कोई छात्र एक अतिरिक्त भाषा सीखता है, तो इसमें क्या गलत है? अतिरिक्त भाषा उनके ज्ञान को बढ़ाने में मदद करेगी.
राज ठाकरे मुखरवहीं विपक्षी दलों का कहना है कि महाराष्ट्र में अगर हिंदी को अनिवार्य बनाया जा रहा है तो क्या यूपी में मराठी पढ़ाई जाएगी?  ‘मराठी मानुष’ को लेकर राजनीति करने वाले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनए) के प्रमुख राज ठाकरे हिंदी के विरोध के लेकर मुखर हैं.
उन्होंने 18 जून को कहा कि हिंदी सिर्फ एक राज्य भाषा है, राष्ट्र की नहीं है. नए बच्चों को यह सब ना सिखाएं. उसे जो भाषा सीखनी है, बड़े होकर समझ जाएगा. IAS लॉबी का दबाव है क्या? तो यहां तीसरी भाषा का दबाव क्यों है? यूपी, बिहार और एमपी में तीसरी भाषा क्या मराठी सिखाएंगे? गुजरात में भी हिंदी जरूरी नहीं है.
शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने विरोध में 19 जून को कहा कि इन्होंने हिंदू बनाम हिंदू की लड़ाई की परिस्थिति बना दी है. हिंदी थोपी क्यों जा रही है? देवेंद्र फडणवीस, अगर हिम्मत है तो हिंदी थोपकर दिखाइए. मुझे नहीं पता गुजरात में थोप रहे हैं या नहीं?
कांग्रेस ने क्या कहा?महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने कहा कि आरएसएस और बीजेपी का ‘एक राष्ट्र, एक भाषा, एक संस्कृति’ का यह एजेंडा महाराष्ट्र के मूल में पहुंच गया है और जब तक इसे खारिज नहीं किया जाता, हम चुप नहीं बैठेंगे. 
सपकाल ने एक्स पर लिखा, ”सीएम देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, अजित पवार की वफादारी महाराष्ट्र या मराठी लोगों के प्रति नहीं, बल्कि दिल्ली के लोगों के प्रति है.”
वहीं एनसीपी (एसपी) के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री शरद पवार ने कहा कि इसे वैकल्पिक ही रहना चाहिए. जो लोग हिंदी चुनना चाहते हैं, वे इसे चुन सकते हैं. सिर्फ इसलिए कि 50 से 60 प्रतिशत आबादी हिंदी बोलती है, इस भाषा को सभी के लिए अनिवार्य नहीं बनाया जा सकता.
विपक्ष के हमलों के बीच देखना दिलचस्प होगा कि स्थानीय निकाय चुनाव में इसका कितना असर पड़ता है?

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating / 5. Vote count:

No votes so far! Be the first to rate this post.

Related Articles

Leave a Comment