Devendra Fadnavis On Hindi Language: महाराष्ट्र में पहली से चौथी तक हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य रूप से पढ़ाने के निर्णय पर राज्यभर में व्यापक नाराजगी जताई जा रही है. इसी पृष्ठभूमि में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्पष्ट किया है कि ‘त्रिभाषा सूत्र’ पर कोई भी अंतिम निर्णय लेने से पहले साहित्यकारों, भाषा विशेषज्ञों, राजनेताओं और संबंधित पक्षों से विस्तृत चर्चा की जाएगी. अब शरद पवार ने भी इसे लेकर अपनी बात रखी है.
मुख्यमंत्री निवास ‘वर्षा’ में सोमवार रात इस विषय पर एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें राज्य सरकार की नीतिगत भूमिका पर चर्चा की गई. CM फडणवीस ने कहा, ”हम सभी संबंधित पक्षों से संवाद करेंगे, अन्य राज्यों में ‘त्रिभाषा’ नीति की अमलवारी और स्थिति को जनता के सामने रखा जाएगा, और उसके बाद ही राज्य के हित में उचित निर्णय लिया जाएगा.”
शरद पवार ने ‘त्रिभाषा’ सूत्र पर क्या कहा?
अब इस मुद्दे पर एनसीपी (एसपी) के अध्यक्ष शरद पवार की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है. उन्होंने ‘त्रिभाषा’ सूत्र पर अपनी प्रतिक्रिया में हिंदी भाषा को लेकर अपना रुख स्पष्ट किया. उन्होंने कहा, ”पहली से चौथी कक्षा तक हिंदी भाषा को अनिवार्य बनाना उचित नहीं है.” हालांकि, उन्होंने यह भी माना कि हिंदी भाषा सीखना भी उतना ही ज़रूरी है.
पहली से चौथी तक हिंदी की अनिवार्यता न हो- पवार
शरद पवार ने ये भी कहा, ”देश के लगभग 55 प्रतिशत नागरिक हिंदी बोलते हैं, इसलिए हिंदी का विरोध करने की भी कोई जरूरत नहीं है. वर्तमान में कक्षा पांचवीं से हिंदी पढ़ाई जाती है, इसलिए पहली से चौथी तक हिंदी की अनिवार्यता नहीं होनी चाहिए.”
ईरान-इजराइल युद्ध पर भी तीखी टिप्पणी
ईरान और इजराइल के बीच संघर्ष पर भी शरद पवार ने प्रतिक्रिया दी. उन्होंने आश्चर्य जताते हुए कहा कि भारत सरकार इस संवेदनशील मामले पर मूकदर्शक की भूमिका में है. उन्होंने कहा, “अब तक भारत ने अंतरराष्ट्रीय संघर्षों में एक स्पष्ट भूमिका अपनाई थी, लेकिन इस बार भारत मूकदर्शक बना हुआ है, जो आश्चर्यजनक है.”
उन्होंने अरब देशों में रह रहे भारतीयों की सुरक्षा को लेकर भी चिंता जताई. “अरब देशों में बड़ी संख्या में भारतीय रहते हैं, ऐसे में इस संघर्ष का उनके दैनिक जीवन पर असर पड़ सकता है. आने वाले समय में कई समस्याएं खड़ी हो सकती हैं.”
महाराष्ट्र में भाषा विवाद के बीच शरद पवार का बड़ा बयान, ‘हिंदी को अनिवार्य बनाना…’
2