शुभेंदु शुक्ला | अमृतसर तहसील-2 में देर रात 12 बजे तक जारी आईटी सर्च में कई हैरान कर देने तथ्य सामने आए। सूत्रों के अनुसार तहसील-2 के 6 साल के रिकॉर्ड में पाया गया कि दस्तावेज किसी के हैं और पैनकार्ड समेत कई दस्तावेज किसी दूसरे नाम के शख्स के लगे हैं। जो रिकार्ड रजिस्ट्री दफ्तर से इनकम टैक्स विभाग में भेजा गया था, उसमें भी अंतर पाया गया। रजिस्ट्री के लिए दस्तावेजों में जो पैन नंबर लिखे गए, वे भी गलत मिले। जैसे कहीं पैन नंबर में बी की जगह ए या डी लिखा मिला। इससे टीम को डिटेल ट्रेस करने में मुश्किल आई। रजिस्ट्रियों से जुड़ा रिकार्ड भी कम भेजा गया था। विभाग ने रिकॉर्ड के लिए कई नोटिस भेजे मगर जवाब नहीं दिया गया। इससे टैक्स में हेराफेरी का शक है। वहीं, 30 लाख रुपए से अधिक की प्रॉपर्टी रजिस्ट्री में खरीददार-बेचने वाले का पैनकार्ड और सारी डिटेल दर्ज करना जरूरी है। रजिस्ट्री विभाग की जिम्मेदारी है डिटेल सब रजिस्ट्रार आयकर विभाग को दें। लेकिन ऐसे कई मामलों में रजिस्ट्रियों में जो पैनकार्ड लगे हैं, वे किसी और के हैं तो पैन नंबर किसी का है। टीमों ने पूछा कि रिकॉर्ड चेक कैसे करेंगे तो जवाब मिला कि ऑनलाइन चेकिंग का प्रोसेस नहीं है। इस पर टीम ने कहा कि यह लिखकर दें कि सिस्टम उपलब्ध है या नहीं? . अप्वाइंटमेंट लेने की प्रक्रिया जटिल, कई डीड राइटर खुद नहीं जाकर किसी और को भेजते हैं . वेरीफिकेशन सिस्टम नहीं, जिससे पैन की जगह कुछ भी अपलोड हो जाता है . वेबसाइट पर अंगूठा मिलान सिस्टम नहीं है . पता डालने में भी गड़बड़ी: तहसील या पटवार सर्कल की बजाय जो याद आया वही भर देते हैं। ^सभी सब-रजिस्ट्रारों को 30 लाख से अधिक के किसी भी लेन-देन के लिए रिटर्न दाखिल करनी होती है। इनकम टैक्स िवभाग की टीमें पिछले 6 साल का रिकॉर्ड की जांच और मिलाने के लिए पहुंची हैं। -साक्षी साहनी, डीसी अमृतसर| तहसील परिसर स्थित सब-रजिस्ट्रार-2 दफ्तर में मंगलवार सुबह 11 बजे अचानक आयकर विभाग की 11 टीमों ने दस्तक दी, जो देर रात 12 बजे तक साल 2018-19 से 2024-25 का रिकार्ड कंप्यूटर में खंगालने में जुटी रहीं। इस दौरान रिकार्ड रूम से लेकर ज्वाइंट सब-रजिस्ट्रार दफ्तरों की फाइलों और कम्प्यूटरों की जांच की गई। तहसील के हॉल में पुलिस और विभाग का स्टाफ डेरा डाले रहा। कार्रवाई में जम्मू से 3 टीम, लुधियाना की फॉरेंसिक टीम के अलावा अमृतसर की टीमें भी शामिल थीं। टीमों की तरफ से सुबह पूछताछ शुरू की गई तो डरे-सहमे मुलाजिम एक दूसरे पर काम की जिम्मेदारी थोपते रहे। हालांकि, सारी जानकारी लेने के बाद अफसरों ने कंप्यूटर पर रिकार्ड खंगालना शुरू कर दिया। पहले तो सब-रजिस्ट्रार दफ्तर ओपन थे, जिससे लोग अपने काम करवाने के लिए अंदर जा सकें। बीच-बीच में गेट अंदर से बंद करा दिया गया, जिससे लोगों को काफी मुश्किलें आई। सर्च के बीच दो तहसीलों में 144 दस्तावेज रजिस्टर हुए।
रजिस्ट्री रिकॉर्ड में पैन किसी का, दस्तावेज किसी के, कहीं “बी’ की जगह लिखा “डी’
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