जालंधर| सिटी के प्रमुख आर्थिक केंद्रों में शामिल इंडस्ट्रियल एस्टेट के हालात जटिल हो गए हैं। सबसे बड़ी समस्या बदहाल हो चुकी सफाई व्यवस्था है। इंडस्ट्रियल एस्टेट व आसपास के कारखानों को जोड़ दें तो करीब 300 इंडस्ट्री इस पॉकेट में हैं। इनमें 20 हजार के करीब श्रमिक काम करते हैं। तस्वीरें हकीकत बयां कर रही हैं। इंडस्ट्रियल एस्टेट में फुटपाथ गंदगी से भरे पड़े हैं। यहां तीनों पार्कों में भी सफाई नहीं है। मेन सड़कें टूटी हुईं हैं। बार-बार सीवरेज ब्लॉक हो जाता है। सड़कों पर कई दिनों तक पानी भरा रहता है। इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के प्रधान सूबा सिंह ने मंगलवार को कहा कि हर साल कैंप लगाकर इंडस्ट्रीयल एस्टेट के कारोबारी प्रॉपर्टी टैक्स जमा करते हैं। नेशनल हाईवे के किनारे की फैक्ट्रियां करीब 100 करोड़ रुपए तमाम तरह के टैक्स के रूप में अर्जित कर सरकार को सौंपती हैं। नगर निगम का जोनल दफ्तर इंडस्ट्रियल एस्टेट के अंदर होने के बावजूद सफाई व रिपेयर के काम ठप होना बड़ी चिंता बना हुआ है।
शहर के इंडस्ट्रियल एस्टेट में न सफाई, न सड़कों का नवनिर्माण, पार्क भी बदहाल
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