Delhi High Court News: दिल्ली हाईकोर्ट ने उस व्यक्ति की बरी किए जाने की निचली अदालत के फैसले में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया, जिस पर एक महिला की लज्जा भंग करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था. हाईकोर्ट में जस्टिस अमित महाजन ने दिल्ली सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें सितंबर 2017 के निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी गई थी.
निचली अदालत ने आरोपी को भारतीय दंड संहिता की धारा 509 के तहत बरी कर दिया था. दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा यह कानून है कि केवल गाली-गलौज करने या गलत तरीके से इशारे करने के आरोप, जब तक वे विशेष रूप से साफ न हों और पूरे कारण सहित न हों, तब तक धारा 509 के तहत अपराध नहीं बनते.
आरोपी की मंशा महिला की लज्जा भंग करने की थी – जस्टिस महाजन
दिल्ली हाईकोर्ट ने साल 2025 में आए सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला भी दिया, जिसमें यह कहा गया था कि गंदे शब्दों का इस्तेमाल अगर स्पष्ट कारण से पूरी तरीके से अलग हो और कोई ठोस कारण न हो, तो उसे धारा 509 के तहत अपराध नहीं माना जा सकता.
कोर्ट में जस्टिस महाजन ने कहा कि इस मामले में कहा गया है कि आरोपी ने गंदे शब्दों के साथ कुछ अभद्र इशारे भी किए थे, लेकिन आरोप सामान्य प्रकृति के हैं. न तो कोई विशेष शब्द बताए गए हैं और न ही इशारों को जानकारी दी गई है, जिससे यह साबित हो सके कि आरोपी की मंशा महिला की लज्जा भंग करने की थी.
दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा
दिल्ली हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपों को संदेह से परे साबित करने में असफल रहा है और इसलिए निचली अदालत से दिया गया आरोपी को बरी का आदेश पूरी तरह न्याय के तहत उचित है और उसमें हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं है.
Delhi: दिल्ली हाईकोर्ट ने महिला की लज्जा भंग करने के आरोपी को किया बरी, जानें- क्या कहा?
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