Pahalgam Attack: ‘स्केच गलत कैसे हो गया’, पहलगाम हमले के आतंकियों को लेकर शिवसेना-यूबीटी ने किए तीखे सवाल

by Carbonmedia
()

Shiv Sena On Pahalgam Terrorist Sketch: पहलगाम आतंकी हमले को 63 दिन बीत चुके हैं, लेकिन इस हमले के असली आरोपी अब तक पकड़े नहीं जा सके हैं. इसको लेकर सरकार पर विपक्ष लगातार सवाल उठा रहा है. शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र सामना में प्रकाशित संपादकीय “स्केच गलत कैसे हो गया?” में सरकार की कार्यशैली पर कड़ा प्रहार किया गया है.
लेख में कहा गया है कि 22 अप्रैल को बैसरन घाटी में हुए इस हमले में 25 पर्यटकों और एक स्थानीय कश्मीरी की क्रूर हत्या ने पूरे देश को झकझोर दिया था, लेकिन सरकार ने महज 48 घंटे में जिन तीन हमलावरों के स्केच जारी किए, वे अब गलत साबित हुए हैं.
NIA ने नकारे सरकार द्वारा जारी स्केच- सामनासामना ने लिखा है, “एक कहावत है, ‘रस्सी को सांप समझकर पीटना’. केंद्र सरकार ने तत्परता दिखाने के चक्कर में स्केच जारी कर दिए थे. ये स्केच तुरंत सोशल मीडिया पर फॉरवर्ड किए गए और सरकार की खूब वाहवाही हुई. इन तीनों आतंकियों के ये स्केच हिंदुस्तान समेत दुनियाभर के मीडिया में छाए रहे. इन स्केच के आधार पर पिछले दो महीनों से पहलगाम के इन अपराधियों की तलाश चल रही, जिन्हें बाद में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने खुद खारिज कर दिया.”
आगे लिखा है कि इन स्केच को आधार बनाकर दो महीने तक देशभर की एजेंसियां आदिल हुसैन थोकर, अली बही उर्फ तल्हा और हाशिम मूसा उर्फ सुलेमान की तलाश में लगी रहीं. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी इन स्केच को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सही ठहराया था, लेकिन अब सामने आया है कि इन तीनों का असल हमले से कोई लेना-देना नहीं था. सरकार की बड़ी फजीहत हुई है. दो महीने पहले जारी किए गए तीन आतंकियों के स्केच का पहलगाम हत्याकांड से कोई संबंध नहीं है.
NIA ने दो कश्मीरीयों को किया अरेस्ट- सामनालेख में आगे लिखा गया, “NIA की ताजा जांच में अब असली आरोपियों का नाम सामने आया है. एजेंसी ने कश्मीर के दो स्थानीय नागरिकों- परवेज अहमद जोथर और वसीर अहमद जोथर को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने स्वीकार किया है कि उन्होंने पाकिस्तानी आतंकियों को अपने घर में पनाह दी और जरूरी सामान उपलब्ध कराया.”
सामना में लिखा है कि जांच से पता चला है कि यह हमला लश्कर-ए-तैयबा के तीन पाकिस्तानी आतंकियों ने अंजाम दिया था, जिनमें से एक का नाम सुलेमान शाह है. गिरफ्तार कश्मीरियों ने यह भी कबूला है कि आतंकियों ने उन्हें चुप रहने के बदले पैसे दिए थे.
संपादकीय में पूछा गया है कि आखिर इतने गंभीर राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दे पर सरकार से यह चूक कैसे हो गई? क्या यह महज जल्दबाज़ी थी या फिर सुरक्षा एजेंसियों को जानबूझकर गुमराह किया गया? लेख में यह भी कहा गया है कि पहलगाम जैसे जघन्य हमले में जब दुनिया की निगाहें भारत पर थीं, उस वक्त गलत स्केच जारी कर सरकार ने न सिर्फ खुद को शर्मसार किया, बल्कि देश की प्रतिष्ठा को भी नुकसान पहुंचाया.
लेख में कहा गया है कि अब असली अपराधियों तक पहुंचना निश्चित रूप से राहत की बात है, लेकिन सामना ने मांग की है कि गलत स्केच जारी करने के पीछे की जवाबदेही तय की जाए और इसकी गहन जांच हो.

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating / 5. Vote count:

No votes so far! Be the first to rate this post.

Related Articles

Leave a Comment