‘कांटा लगा’ फेम शेफाली जरीवाला ने एक इंटरव्यू में खुद को मिर्गी के दौरे पड़ने की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि इस बीमारी की वजह से उनकी मौत तक हो सकती थी. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या वाकई मिर्गी इतनी खतरनाक बीमारी है, जिससे सांसें तक छिन सकती हैं? जानते हैं कितना सही है यह दावा?
क्या होती है मिर्गी?
मिर्गी एक न्यूरोलॉजिकल कंडीशन है, जिसमें दिमाग के अंदर असामान्य इलेक्ट्रिकल एक्टिविटीज की वजह से बार-बार दौरे पड़ते हैं. ये दौरे भी अलग-अलग तरह के होते हैं. इनमें पहले जनरलाइज्ड सीजर्स होते हैं, जिनका असर पूरे दिमाग पर होता है. दूसरे फोकल सीजर होते हैं, जो दिमाग के एक हिस्से तक सीमित रहते हैं. मिर्गी का दौरा पड़ने पर बेहोशी, मांसपेशियों में ऐंठन, अनियंत्रित होकर हिलना-डुलना आदि लक्षण नजर आते हैं. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, दुनियाभर में करीब पांच करोड़ लोग मिर्गी से प्रभावित हैं और भारत में मिर्गी के लाखों मरीज हैं.
कितना सही है शेफाली जरीवाला का दावा?
शेफाली जरीवाला ने अपने इंटरव्यू में बताया कि मिर्गी का दौरा पड़ने पर सांस रुकने का खतरा हो सकता है, जो जानलेवा साबित हो सकता है. यह दावा सुनने में डरावना लग सकता है, लेकिन यह पूरी तरह से गलत नहीं है. एक्सपर्ट्स की मानें तो बेहद गंभीर मामलों खासकर जनरलाइज्ड टॉनिक-क्लोनिक सीजर्स के दौरान सांस लेने में दिक्कत हो सकती है. मेडिकल टर्म में इस कंडीशन को एपनिया कहते हैं.
क्या कहती है नई रिसर्च?
मिर्गी के दौरे और सांस रुकने के बीच कनेक्शन को समझने के लिए कई रिसर्च हो चुकी हैं. इसमें खासकर ‘सडन अनएक्सपेक्टेड डेथ इन एपिलेप्सी’ (SUDEP) नाम की कंडीशन पर फोकस किया गया, जो मिर्गी से पीड़ित कुछ लोगों में अचानक मौत का कारण बन सकती है. ऐसी कंडीशन होने की कई वजह होती हैं.
SUDEP और सांस रुकने का संबंध
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर्स एंड स्ट्रोक (NINDS) के मुताबिक, SUDEP हर साल मिर्गी से पीड़ित 1000 लोगों में से एक को प्रभावित करता है. SUDEP के अधिकांश मामलों में दौरा आने पर सांस लेने में रुकावट या हार्ट रेट में गड़बड़ी देखी गई. एक स्टडी में सामने आया कि गंभीर दौरा पड़ने पर दिमाग में ऑक्सीजन लेवल कम हो सकता है, जिससे सांस लेने की प्रक्रिया प्रभावित होती है. यह कंडीशन खासकर उन मरीजों में देखी गई, जिन्हें रात में दौरे पड़ते हैं और जो अकेले रहते हैं.
दौरा पड़ने पर सांस रुकने के कारण
मांसपेशियों का संकुचन: टॉनिक-क्लोनिक दौरा पड़ने पर शरीर की मांसपेशियां सख्त हो जाती हैं, जिससे डायाफ्राम और छाती की मांसपेशियां सांस लेने में रुकावट डाल सकती हैं.
दिमाग का कंट्रोल: दिमाग का वह हिस्सा, जो सांस लेने को कंट्रोल करता है. दौरा पड़ने पर यह हिस्सा प्रभावित हो सकता है.
ऑक्सीजन की कमी: लंबे समय तक दौरा पड़ने पर ऑक्सीजन की आपूर्ति कम हो सकती है, जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है.
मुंह में रुकावट: दौरा पड़ने पर मुंह में लार या उल्टी जमा होने से वायुमार्ग ब्लॉक हो सकता है.
स्टेटस एपिलेप्टिकस भी बेहद खतरनाक कंडीशन
यदि मिर्गी का दौरा पांच मिनट से ज्यादा वक्त तक रहता है तो इसे स्टेटस एपिलेप्टिकस माना जाता है. यह एक मेडिकल इमरजेंसी है. इस कंडीशन में सांस रुकने का खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि ज्यादा देर तक ऑक्सीजन की कमी दिमाग और अन्य अंगों को नुकसान पहुंचा सकती है. ऐसी कंडीशन में तुरंत मेडिकल असिस्टेंस की जरूरत होती है.
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