सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के एक मामले में आरोपी की हिरासत से जुड़े आदेश को कर्नाटक हाईकोर्ट की ओर से खारिज किए जाने के खिलाफ राज्य पुलिस की एक याचिका पर सुनवाई के लिए गुरुवार (26 जून, 2025) को सहमति जताई.
हाईकोर्ट ने यह कहते हुए हिरासत से जुड़े अधीनस्थ अदालत के आदेश को खारिज कर दिया था कि आरोपी को गिरफ्तारी का आधार नहीं बताया गया था. जस्टिस के. वी. विश्वनाथन और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि इस मामले पर विचार करने की आवश्यकता है.
बेंच ने कहा, ‘इस मामले पर विचार करने की आवश्यकता है. विशेष अनुमति याचिका और स्थगन अर्जी पर नोटिस जारी करें.’ अपने 17 अप्रैल के आदेश में, हाईकोर्ट ने 17 फरवरी 2023 को पारित अधीनस्थ अदालत के रिमांड आदेश को रद्द कर दिया और कुछ शर्तों के तहत व्यक्ति को हिरासत से रिहा करने का निर्देश दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने हासन जिले में हुई हत्या के एक मामले में 17 फरवरी 2023 को गिरफ्तार किये गए व्यक्ति को याचिका पर जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया. पुलिस की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा शीर्ष अदालत में पेश हुए.
बेंच ने कहा कि गिरफ्तारी के आधार के मुद्दे पर एक अलग याचिका में सुप्रीम कोर्ट ने 22 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. बेंच ने कहा, ‘इस फैसले (अलग याचिका पर) का नतीजा इस मामले पर अंतिम फैसला सुनाने में अहम भूमिका निभाएगा. मामले को 18 जुलाई को विचार करने के लिए रखा जाए.’
लूथरा ने कहा कि हाईकोर्ट में बड़ी संख्या में मामले लंबित हैं, जहां यह संभावना है कि वर्तमान मामले में शीर्ष अदालत के समक्ष चुनौती दिये गए आदेश को मिसाल के तौर पर उद्धृत किया जाएगा. बेंच ने लूथरा से कहा, ‘आप इस आदेश की प्रति हाईकोर्ट को दिखाएं. हम इसका इंतजार कर रहे हैं, उन्हें भी इंतजार करना चाहिए.’
हाईकोर्ट के आदेश में कहा गया था कि याचिकाकर्ता को गिरफ्तारी के यथाशीघ्र बाद इसके आधार के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई और गिरफ्तारी के बाद से सुनाये गए निर्णयों में उल्लेखित आधार के बारे में लिखित रूप अवगत कराना तो दूर की बात है. सुप्रीम कोर्ट उस अलग याचिका पर विचार करेगी जिसपर फैसला 22 अप्रैल को सुरक्षित रख लिया गया था.
कोर्ट यह विचार करेगा कि क्या प्रत्येक मामले में, यहां तक कि पूर्ववर्ती भारतीय दंड संहिता(आईपीसी) के तहत अपराध की श्रेणी में आने वाले कृत्य में, गिरफ्तारी से पहले या इसके बाद आधार बताना आवश्यक है.
यह इस बात पर भी विचार करेगा कि क्या अपवादस्वरूप मामलों में भी, जहां कुछ अनिवार्यताओं के कारण गिरफ्तारी पूर्व या गिरफ्तारी के तुरंत बाद इसके आधार बताना संभव नहीं हो, तो क्या तत्कालीन दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 50 के प्रावधानों का अनुपालन न करने के आधार पर गिरफ्तारी को अमान्य माना जाएगा. सीआरपीसी की धारा 50 गिरफ्तार व्यक्ति को गिरफ्तारी के आधार और जमानत के अधिकार के बारे में सूचित करने का प्रावधान करता है.
हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ कर्नाटक पुलिस की याचिका पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
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