महाराष्ट्र: करीब 6 साल में PM-JAY और MJP-JAY के तहत इलाज से इनकार की 871 शिकायतें, क्या हुआ एक्शन?

by Carbonmedia
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Maharashtra News: महाराष्ट्र में आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) और महात्मा ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना (MJP-JAY) के तहत इलाज से इनकार के सैकड़ों मामले सामने आए हैं.  एक आरटीआई के जवाब में सामने आया है कि साल 2019 से 29 मई 2025 के बीच राज्य स्वास्थ्य आश्वासन सोसाइटी को कुल 871 शिकायतें प्राप्त हुईं, जिनमें मरीजों ने योजना के तहत इलाज न मिलने की शिकायत की.
इनमें 347 शिकायतें चेरिटेबल अस्पतालों के खिलाफ दर्ज की गईं, जबकि 524 शिकायतें प्राइवेट अस्पतालों से जुड़ी हैं. चेरिटेबल अस्पतालों में सांगली के भारती विद्यापीठ डीम्ड यूनिवर्सिटी मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल के खिलाफ सबसे अधिक 67 शिकायतें आईं. वहीं, प्राइवेट क्षेत्र में मिरज स्थित सेवा सदन लाइफलाइन एंड सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के खिलाफ सबसे अधिक 27 मामले सामने आए.
जिलों की बात करें तो सांगली से सबसे ज्यादा 181 शिकायतें दर्ज हुईं, इसके बाद पुणे से 114 और छत्रपति संभाजीनगर से 109 शिकायतें मिलीं. साल 2021, जब देश कोविड महामारी से जूझ रहा था, उसी दौरान सबसे अधिक 517 शिकायतें आईं, जो कि कुल आंकड़ों का लगभग आधा हिस्सा हैं.
अस्पतालों पर हुई कार्रवाई?सरकार की ओर से नियमों का उल्लंघन करने वाले 545 अस्पतालों की एम्पैनलमेंट रद्द कर दी गई, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि यह कार्रवाई किन सालों की शिकायतों के आधार पर की गई. इससे यह अंदाज़ा लगाना मुश्किल है कि 2019 से 2025 के बीच दर्ज की गई 871 शिकायतों में से किन पर वास्तव में कार्रवाई हुई.
यंग व्हिसलब्लोअर्स फाउंडेशन से जुड़े आरटीआई एक्टिविस्ट जितेंद्र घाडगे का कहना है कि महाराष्ट्र में कुल 6,500 अस्पताल हैं, लेकिन इनमें से केवल 2,019 ही इन योजनाओं में शामिल हैं. यानी केवल 31% अस्पताल ही योजना का हिस्सा हैं, और उनमें से भी कई इलाज से इनकार कर रहे हैं. घाडगे के मुताबिक, डी-एम्पैनलमेंट कोई सज़ा नहीं बल्कि एक तरह की राहत बन चुकी है, जिससे अस्पताल गरीब मरीजों के इलाज की जिम्मेदारी से आसानी से मुक्त हो जाते हैं.
उन्होंने यह भी मांग की कि सरकार को कानून बनाकर सभी अस्पतालों की अनिवार्य भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए और जो भी अस्पताल इलाज से इनकार करता है, उसका लाइसेंस तत्काल निलंबित किया जाना चाहिए. जब तक सख्त नियम और जवाबदेही तय नहीं की जाएगी, तब तक ये योजनाएं अपने उद्देश्य को पूरा नहीं कर पाएंगी.

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