पावरकॉम के निजीकरण का विरोध किया, कहा-छिनेगा रोजगार व बिजली दर बढ़ेगी

by Carbonmedia
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भास्कर न्यूज| लुधियाना पंजाब सरकार और पावरकॉम प्रबंधन द्वारा बिजली विभाग में निजीकरण की नीति लागू करने के विरोध में टेक्निकल सर्विस यूनियन (टीएसयू) और पावरकॉम एंड ट्रांसको आउटसोर्स कर्मचारी समन्वय समिति पंजाब के आह्वान पर वीरवार को फिरोजपुर रोड स्थित सब अर्बन सर्कल ऑफिस के बाहर विशाल धरना दिया गया। धरने की अगुवाई टीएसयू सर्कल प्रधान जमीर हुसैन, पावरकॉम एंड ट्रांसको ठेका मुलाजिम यूनियन के सर्कल प्रधान बेअंत सिंह, सुखदीप सिंह और बलजिंदर सिंह ने संयुक्त रूप से की। इस दौरान वक्ताओं ने चेताया कि निजीकरण से न केवल कर्मचारी और पेंशनधारी प्रभावित होंगे, बल्कि आम उपभोक्ताओं पर भी महंगी बिजली का बोझ बढ़ेगा। प्रदर्शनकारियों ने उदाहरण देते हुए बताया कि चंडीगढ़ में पावरकॉर्प को निजी कंपनी एमिनेंट को सौंपने के बाद वहां के रेगुलर और ठेका कर्मचारियों की नौकरियां खतरे में आ गईं, पेंशन की गारंटी खत्म हुई और उपभोक्ताओं को मंहगी बिजली देनी पड़ी। वक्ताओं का आरोप था कि अब पंजाब के 10 डिवीजनों में इसी मॉडल को लागू करने की तैयारी है, जिसकी शुरुआत लालड़ू और खरड़ डिवीजनों से की जानी थी, लेकिन कर्मचारियों के विरोध के चलते फिलहाल योजना रोक दी गई है। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि यह नीति पूरी तरह रद्द नहीं हुई, बल्कि अधिकारियों को निर्बाध बिजली आपूर्ति देने के नाम पर विशेष गैंग बनाने और जरूरत पड़ने पर ठेकेदारों से अस्थायी मजदूर रखने के अधिकार दे दिए गए हैं। इससे विभाग में ठेकेदारीकरण और छंटनी का रास्ता साफ हो रहा है। धरने में पेंशनर संगठनों और भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहा) के प्रतिनिधियों ने भी समर्थन जताया। सूबा प्रधान किशन सिंह औलख, कुंदन लाल, जसबीर सिंह, रघुबीर सिंह, बलजीत सिंह, जसपाल सिंह, राकेश कुमार, कर्म सिंह, राम लुभाया, कशमीर सिंह, बघेल सिंह, डॉ. परमिंदर सिंह और परमजीत कौर ने भी सभा को संबोधित किया और सरकार से इस नीति को स्थायी रूप से रद्द करने की मांग की। संगठन ने प्रमुख मांगें रखीं: {निजीकरण की जनविरोधी नीति को पूरी तरह रद्द किया जाए। {बिजली एक्ट 2003 और 2022 को रद्द किया जाए। {आउटसोर्सिंग व ठेका प्रणाली समाप्त की जाए और ठेका कर्मचारियों को विभाग में शामिल कर नियमित किया जाए। {बढ़ते काम के अनुसार नई नियमित भर्तियों की जाएं। 15वीं लेबर कॉन्फ्रेंस की सिफारिशें लागू कर वेतन सुनिश्चित किया जाए। {नए बनाए गए चार श्रम कोड रद्द कर पुराने श्रम कानून बहाल किए जाएं। {8 घंटे की ड्यूटी को 12 घंटे करने के आदेश रद्द किए जाएं। {संघ बनाने और संघर्ष करने पर लगाई गई पाबंदियां हटाई जाएं। {सीएचबी कर्मचारियों की छंटनी बंद की जाए। {2004 के बाद भर्ती सभी कर्मचारियों पर पुरानी लाभकारी पेंशन स्कीम लागू की जाए। {2011 के बाद भर्ती रेगुलर व ठेका कर्मचारी, पेंशनधारियों को बिजली यूनिटों में रियायत दी जाए। {धरने के बाद सब अर्बन सर्कल और पीएंडएम सर्कल के निगरान इंजीनियर को प्रबंधन के नाम मांग पत्र सौंपा गया। {संगठनों ने चेतावनी दी कि अगर निजीकरण की नीति पर रोक नहीं लगी, तो 3 जुलाई को पटियाला हेड ऑफिस के बाहर {परिवार सहित धरना दिया जाएगा और 9 जुलाई को देशव्यापी हड़ताल में भाग लिया जाएगा।

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