यूपी में जातीय संघर्ष के 6 ऐसे मामले जो देश भर में बने चर्चा का विषय, एक पर तो संसद में भी हुआ बवाल

by Carbonmedia
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UP Politics: उत्तर प्रदेश में बीते 1 साल के भीतर 5 ऐसे मामले सामने आए जिन्होंने जातीय संघर्ष को हवा दी. जुलाई 2024 से लेकर जून 2025 तक राज्य के अलग-अलग जिलों में ऐसे केस आए. यूपी के श्रावस्ती, बांदा, मेरठ, आगरा और इटावा में बीते 1 साल में गंभीर मामले सामने आए जिस पर पुलिसिया और प्रशासनिक एक्शन तो हुए साथ-साथ ही सियासत भी जमकर हुई. समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी पर जमकर हमला बोला. विपक्षी दलों ने दावा किया कि चूंकि राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उच्च वर्ग से हैं, इसलिए ऐसी ताकतों को बल और शह मिल रही है. 
आइए आपको बताते हैं कि किन पांच जिलों में ऐसे मामले दर्ज किए गए जहां जातीय संघर्ष की कोशिश हुई. 
जुलाई 2024 में श्रावस्ती जिले में दलित बनाम ब्राह्मण के बीच विवाद हुआ. दावा किया गया कि 9 जुलाई 2024 के दौरान एक 15 वर्षीय दलित लड़के को तीन ब्राह्मणों ने विवाद के बाद जबरन मूत्र पिलाया. यह मामला इतना ज्यादा तूल पकड़ चुका था कि राज्य सरकार के मंत्री असीम अरुण भी पीड़ित के घर गए थे और न्याय का आश्वासन दिया था. मामले में आरोपी दिलीप मिश्र, सत्यम तिवारी और किशन उर्फ भूरे तिवारी को गिरफ्तार किया गया था. 
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इसी साल में जुलाई बांदा जनपद में दलित बनाम उच्च जाति राजपूत के बीच विवाद हुआ. सिकहुला गांव में एक दलित महिला पर ट्यूबवेल से पानी लेने के लिए हमला किया गया और जातिगत अपमान झेलना पड़ा, यह मामला एससी/एसटी अधिनियम के तहत दर्ज हुआ.
फिर जनवरी 2025 में मेरठ स्थित सरधना में विवाद हुआ है. यहां प्रजापति ओबीसी बनाम ठाकुर विवाद हुआ है. सरधना विधानसभा के कालिंदी गांव में ठाकुर दबंगों ने प्रजापति समाज की बारात में डीजे बजाने से रोका और घरों में घुसकर मारपीट की, जिसमें धारदार हथियारों का उपयोग हुआ. हालांकि कुछ फैक्टचेक वेबसाइट्स ने इस मामले को गलत बताया. वहीं पुलिस ने कहा था कि 18 जनवरी के इस मामले का वीडियो करीब 10 दिन बाद वायरल हुआ. इस घटना में पुलिस ने केस दर्ज कर लिया था.
मार्च 2025 में राज्य स्थित आगरा में राणा सांगा को लेकर विवाद हुआ था. सपा सांसद रामजी लाल सुमन के एक बयान ने विवादों को हवा दे दी थी. इसके बाद उनके आवास पर हमला हुआ. कई जिलों में धरना प्रदर्शन हुआ था. करणी सेना ने भी इस मामले में खूब आंदोलन किया. अभी भी मौके बे मौके मामला तूल पकड़ता है. इस मामले पर सपा, बसपा, बीजेपी और कांग्रेस के बीच जमकर बयानबाजी हुई थी. संसद तक इस पर सियासी बवाल हुआ और सपा सांसद से माफी की मांग की गई.
इसके अलावा 10 मार्च को आगरा में ही विशाल जाटव नाम के एक शख्स की बारात नहीं निकलने दी गई थी. परिवार की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया था.
जून 2025 में इटावा में कथावाचकों के साथ अभद्रता की गई. इस मामले में आरोप है कथावाचकों ने अपनी पहचान छिपाई. जब यजमान को यह बात पचा चली तो उन्होंने कथावाचकों के साथ अभद्रता की और उनके बाल मुड़वा दिए. दावा यह भी किया गया कि उन पर महिला का पेशाब भी फेंका गया. इस मामले में दोनों पक्षों की ओर से शिकायत दर्ज कराई गई है. आरोप है कि कथावाचकों के पास दो दो आधार कार्ड थे. अभी इस मामले में पुलिस की विवेचना जारी है. 

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