सोनीपत में केन्द्रीय पैट्रोरसायन अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (सिपेट) मुरथल में आयोजित तिमाही हिंदी कार्यशाला में पद्मश्री से सम्मानित डॉ. सन्तराम देशवाल ने हिंदी भाषा को लेकर विचार रखे। कार्यक्रम की शुरुआत में संस्थान के निदेशक डॉ. हरेन्द्र कुमार ने मुख्य अतिथि का पुष्प गुच्छ और शाल से स्वागत किया तथा उन्हें पद्मश्री पुरस्कार के लिए बधाई दी। मुख्य अतिथि डॉ. देशवाल ने कहा कि हिंदी भारतीय संस्कारों की भाषा है और इसका भविष्य अत्यंत उज्जवल है। उन्होंने कहा कि हिंदी का डंका पूरे विश्व में बज रहा है और यह राजभाषा से राष्ट्रभाषा बनकर रहेगी। उन्होंने हिंदी को गंगा की पावन धारा के समान बताया जो निरंतर प्रवाहमान है। संस्थान के निदेशक डॉ. हरेन्द्र कुमार ने डॉ. देशवाल के व्याख्यान की सराहना करते हुए कहा कि हिंदी का कार्यान्वयन हमारा दायित्व और कर्तव्य दोनों है। उन्होंने संस्थान में हिंदी के प्रयोग की प्रगति का विवरण देते हुए सभी कर्मचारियों को कार्यालयीन कार्यों में हिंदी के प्रयोग के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम में डॉ. देशवाल ने संस्थान के सभी अधिकारियों, प्रशिक्षकों और कर्मचारियों से आह्वान किया कि वे दैनिक कार्यों में सरल हिंदी का प्रयोग करें। उन्होंने कहा कि हिंदी में कार्य करना राष्ट्रभक्ति और राष्ट्र के स्वाभिमान की रक्षा का माध्यम है।
कार्यशाला में संस्थान के प्रबंधक (तकनीकी) एसएम खाजा, वरिष्ठ अधिकारी (वित्त एवं लेखा) विनीत सिंघल, प्रशासनिक प्रभारी सुश्री सोनम, तकनीकी अधिकारी नावेद सिराज सहित अन्य अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे।
सोनीपत में सीपेट में हिंदी पर कार्यशाला में पहुंचे पद्मश्री:संतराम देसवाल बोले- राजभाषा से राष्ट्रभाषा बनेगी हिंदी; ये भारतीय संस्कार की भाषा
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