मैदे की जगह गेहूं के आटे से बनाए न्यूट्रिशियस समोसे का आइडिया पीएयू में पेश किया गया

by Carbonmedia
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भास्कर न्यूज|लुधियाना पटियाला की दो महिला उद्यमी कोमल और गुरिंदर कौर ने पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी के निडी-टीबीआई में न्यूट्रिशियस समोसे का आइडिया पेश किया। ये समोसे मैदे की जगह गेहूं के आटे से बनाए गए हैं। उनका मकसद स्वाद के साथ सेहत को भी बढ़ावा देना है। दोनों महिला उद्यमी यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ बिजनेस स्टडीज और निडी-टीबीआई से अपने फूड बिजनेस को आगे बढ़ाने के लिए मार्गदर्शन लेने पहुंचीं। निडी-टीबीआई के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर और स्कूल ऑफ बिजनेस स्टडीज के डायरेक्टर डॉ. रमनदीप सिंह की देखरेख में उन्हें पीडब्ल्यू1 चपाती गेहूं किस्म इस्तेमाल करने की सलाह दी गई। इस किस्म से बने समोसे ज्यादा पौष्टिक होते हैं और उनकी शेल्फ लाइफ भी लंबी होती है। निडी-टीबीआई की टीम ने उनके रेडी-टू-ईट प्रोडक्ट के लिए प्रोफेशनल और कंज्यूमर फ्रेंडली लेबल डिजाइन करने में भी मदद की। दोनों महिला उद्यमी यूनिवर्सिटी में दो सैंपल लेकर पहुंचीं। एक सामान्य गेहूं के आटे से बना था, दूसरा पीडब्ल्यू1 चपाती गेहूं से। उन्होंने ये सैंपल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ. सतबीर सिंह गोसल को दिखाए। डॉ. गोसल ने उनके प्रयासों की सराहना की और वैल्यू एडेड फूड इनोवेशन की अहमियत पर जोर दिया। प्रोडक्ट का मूल्यांकन यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों ने किया। इसमें डॉ. किरण बैंस, डीन, कम्युनिटी कॉलेज, डॉ. वीरेन्द्र सिंह सोहू, हेड, डिपार्टमेंट ऑफ प्लांट ब्रीडिंग एंड जेनेटिक्स, डॉ. अचला शर्मा, प्रिंसिपल व्हीट ब्रीडर और अन्य मार्केटिंग प्रोफेशनल शामिल रहे। दोनों सैंपल की तुलना की गई और विशेषज्ञों ने उपयोगी सुझाव दिए। डॉ. सोहू और डॉ. शर्मा ने पीडब्ल्यू1 चपाती गेहूं की खासियत बताई। इसका रंग हल्का होता है, यह नरम होता है और इसका स्वाद हल्का मीठा होता है। उन्होंने उद्यमियों को पीएयू की एक और गेहूं किस्म पीडब्ल्यू1 बिस्किट से भी परिचित कराया। यह किस्म यूरोपीय जर्मप्लाज्म से विकसित की गई है और भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल है। यह कुकीज बनाने के लिए उपयुक्त है। इसका स्प्रेड फैक्टर और बेकिंग क्वालिटी बेहतरीन है। यह भविष्य के बेकरी स्टार्टअप्स के लिए गेम चेंजर साबित हो सकती है। कार्यक्रम के अंत में निडी-टीबीआई टीम ने सभी विशेषज्ञों और उपस्थित लोगों का आभार जताया। ऐसे प्लेटफॉर्म महिला उद्यमियों को वैज्ञानिक जानकारी से सशक्त बनाते हैं और उन्हें एग्रीबिजनेस में नवाचार और नेतृत्व के लिए प्रेरित करते हैं। पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी इस दिशा में लगातार काम कर रही है।

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