सोनीपत में मनी लॉन्ड्रिंग मामले ED का एक्शन:Sunstar Overseas की 294.19 करोड़ की संपत्ति जब्त; 950 करोड़ की बैंक धोखाधड़ी, कई शहरों में छापेमारी

by Carbonmedia
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सोनीपत समेत हरियाणा में कई जगहों पर स्थित सन स्टार ओवरसीज लिमिटेड पर बडी कार्रवाई हुई है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक बड़े मामले में सन स्टार ओवरसीज लिमिटेड और उसके पूर्व निदेशकों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए 294.19 करोड़ रुपए की संपत्तियां जब्त की हैं। यह कार्रवाई बैंकों से करीब 950 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी और अवैध तरीके से धन को ठिकाने लगाने के आरोपों के तहत की गई है। इस मामले की जांच सीबीआई और ईडी दोनों एजेंसियां कर रही हैं। 950 करोड़ की बैंक धोखाधड़ी का आरोप सन स्टार ओवरसीज लिमिटेड (sun star Overseas Limited) और इसके पूर्व निदेशक रोहित अग्रवाल, मनीक अग्रवाल, सुमित अग्रवाल व अन्य पर आरोप है कि इन्होंने नौ बैंकों के एक समूह से कुल 950 करोड़ रुपए का ऋण लिया और उसे जानबूझकर नहीं चुकाया। सीबीआई ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की, जिसके आधार पर ईडी ने भी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच की। 294.19 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त ईडी ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए कुल 294.19 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की है। इनमें हरियाणा के सोनीपत, गुरुग्राम और पंजाब के अमृतसर में फैली करीब 72 एकड़ कृषि भूमि और इमारतें (210.6 करोड़ रुपए), दिल्ली सिविल लाइंस में दो आलीशान घर (77 करोड़ रुपए), करनाल में चार फ्लैट (1.54 करोड़ रुपए), एक बैंक बैलेंस (1.27 करोड़ रुपए) और फिक्स्ड डिपॉजिट (3.78 करोड़ रुपए) शामिल हैं। कॉर्पोरेट दिवाला प्रक्रिया के नाम पर की गई गड़बड़ी ईडी की जांच में सामने आया कि सन स्टार ओवरसीज लिमिटेड के खिलाफ कुल 1274.14 करोड़ रुपए का दावा था, लेकिन एक शेल कंपनी Umaiza Infracon LLP ने मात्र 196 करोड़ रुपए में इसे दिवाला प्रक्रिया के तहत अपने नियंत्रण में ले लिया। यह फर्म अजय यादव नामक व्यक्ति द्वारा संचालित थी, जिसके पास खुद के कोई फंड नहीं थे और यह महज दिखावटी कंपनी निकली। कंपनी पर दोबारा कब्जे की साजिश में कई गिरफ्तार ईडी ने इस साजिश के सिलसिले में जनवरी में छापेमारी कर तीन आरोपियों अजय यादव, राकेश गुलाटी और परमजीत को गिरफ्तार किया। इन पर आरोप है कि इन्होंने साजिश रचकर कंपनी पर दोबारा कब्जा जमाने के लिए दिवाला कानून की प्रक्रिया का गलत इस्तेमाल किया और बैंक से लिए गए लोन को दूसरी जगह डायवर्ट कर दिया। ईडी की जांच में सामने आए गंभीर तथ्य जांच में यह भी पता चला कि आरोपितों ने ऋण की रकम को अलग-अलग फर्जी कंपनियों के माध्यम से इधर-उधर घुमाया और असली कारोबार पर दोबारा कब्जा करने की कोशिश की। इस पूरे मामले को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) की प्रक्रिया को तोड़-मरोड़कर अंजाम दिया गया

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