गोपनीय प्रिंटआउट छिपाकर लाता था नौसना भवन तैनात विशाल यादव:सोशल मीडिया के जरिए भेजता था पाकिस्तान, साथी कर्मचारियों से भी पूछताछ

by Carbonmedia
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हरियाणा के रेवाड़ी का रहन वाला विशाल यादव राजस्थान इंटेलीजेंस की पूछताछ में हर रोज नए खुलासे कर रहा है। पूछताछ में विशाल ने इंटेलिजेंस को बताया कि वह दिन गोपनीय दस्तावेजों की फोटोकॉपी या प्रिंटआउट छिपाकर बाहर ले आता था। उसके बाद कार में बैठकर सोशल मीडिया के जरिए हैंडलर को देता था। जासूसी कांड के आरोपी विशाल यादव द्वारा किए खुलासे के बाद रक्षा एजेंसियों में हडकंप मचा हुआ हैं कि गोपनीय दस्तावेज बाहर कैसे आए। नेवी सहित कई एजेंसियों ने जांच शुरू कर दी, क्योंकि वहां काम करने वाले कर्मचारियों के द्वारा सभी तरह के दस्तावेजों को अंदर ले जाना और बाहर ले जाना प्रतिबंध होता है। इंटेलिजेंस ने कार्रवाई के बाद आरोपी के मोबाइल का ज्यादातर डेटा रिकवर कर लिया और एफएसएल जांच करवाई जा रही है। कार भी कब्जे में ले सकती है इंटेलीजेंस राजस्थान इंटेलीजेंस विशाल यादव के घर भी दस्तक देकर तलाशी लेने पहुंच सकती है। क्योंकि इंटेलीजेंस ने अभी तक उस कार को बरामद नहीं किया है, जिस कार में बैठकर वो दुश्मन देश के साथ सूचनाएं सांझा कर रहा था। विशाल को हिरासत में लेते समय कार को मानेसर में खड़ा करवाया गया था। साथी कर्मचारियों से भी पूछताछ राजस्थान इंटेलिजेंस द्वारा दिल्ली स्थित नौसेना भवन के डॉकयार्ड शाखा से पकड़े गए यूडीसी विशाल यादव को नक्शा-मौका तस्दीक कराने के लिए टीम दिल्ली लेकर गई। जहां पर आरोपी के कार्यालय की तलाशी लेने के साथ विशाल के अधिकारी और साथी कर्मचारियों से पूछताछ की। जांच में सामने आया कि आरोपी विशाल को ये पता था कि बात करने वाली महिला पाकिस्तानी एजेंसी की एजेंट हैं। इसके बावजूद पैसे के लालच में लगातार सूचनाएं भेजता रहा। अब तक 5 लाख रुपए के मिल चुके सुबूत​​​​​​​ ऑपरेशन सिंदूर के वक्त विशाल ने सेना की गतिविधि और बैठक संबंधित कई सूचनाएं भेजी थी। बदले में उसे 50 हजार रुपए मिले और अब तक 5 लाख से ज्यादा ले चुका। इसके अलावा यूएसडीटी के रूप में लेने की जानकारी भी सामने आई है, जिसकी तस्दीक करवाई जा रही है। राजस्थान इंटेलिजेंस के साथ-साथ अन्य एजेंसियां ये जांच कर रही हैं कि विशाल द्वारा भेजे गए दस्तावेज क्या-क्या थे। 2 और लोगों के संपर्क में भी था विशाल के रेवाड़ी निवासी विशाल यादव जनवरी 2025 से नौसेना मुख्यालय में कार्यरत था। तब से महिला हैंडलर को नेवी से जुड़ी सूचनाएं दे रहा था। इससे पहले वह आर्मी में कार्यरत था और वहां की सूचनाएं दे रहा था। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान एक हैंडलर के अलावा भी दो अन्य के संपर्क था। गांव व परिवार को नहीं यकीन विशाल यादव के मूल गांव पुंसिका के लोगों को बात पर यकीन नहीं हो रहा कि वो ऐसा कर सकता है। क्योंकि विशाल पढ़ाई में इंटेलीजेंट व खेलों में भी सक्रिय था। पिता समेत दोनों चाचा भी हरियाणा पुलिस में ASI के पद पर रहे हैं। विशाल के दादा भी सेना में थे। विशाल को पैसे की किल्लत भी नहीं थी। पिता की सड़क हादसे में मौत के बाद क्लेम का पैसा मिला था। वहीं मां को भी पिता की सैलरी मिल रही है। ऐसे पकड़ में आया विशाल का खेल सीआईडी इंटेलिजेंस की टीम पाक से आने वाले क्रिप्टो करेंसी पर नजर बना रखी थी। इसी दौरान टीम को जानकारी मिली कि पाकिस्तान के संदिग्ध अकाउंट से कुछ पैसा दिल्ली में एक अकाउंट में जा रहा है। अकाउंट होल्डर को सर्विलांस पर लिया गया तो पता चला कि वह नौसेना भवन में कार्यरत है। इस पर शक गहरा गया। टीम उस पर नजर रखने जगी। लंबे समय तक सर्विलांस रखने पर पता चला कि आरोपी ऑनलाइन गेम का शौकीन है। वह इसमें पैसा लगाकर गेम खेलता है। इस पर दोबारा से अकाउंट की जांच की गई। पता चला कि पैसा पाक से आ रहा है। आरोपी को डिटेन कर पूछताछ की गई तो पूरा मामला खुला। ​​​​​​​

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