ब्रह्मोस से लैस, रडार से बचने वाला भारत का नया समुद्री शिकारी, S-500 को भी दे देगा मात

by Carbonmedia
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INS Tamal: रूस-यूक्रेन और इजरायल-ईरान संघर्षों ने दुनिया भर के देशों को अपनी सुरक्षा नीति पर फिर से सोचने को मजबूर कर दिया है. भारत भी इस बदलाव को गंभीरता से लेते हुए अपनी थल, वायु और जल सेना को तेजी से आधुनिक बना रहा है. खासकर समुद्री सीमाओं की सुरक्षा के लिहाज से भारत की स्थिति बेहद रणनीतिक है एक ओर अरब सागर, दूसरी ओर बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर. वहीं पाकिस्तान और चीन जैसे दो शत्रुतापूर्ण देशों से लगे ज़मीनी सीमाएं इसे और चुनौतीपूर्ण बनाती हैं.
इन तमाम खतरों को ध्यान में रखते हुए भारत नौसेना की ताकत बढ़ाने पर जोर दे रहा है और इसी कड़ी में 1 जुलाई 2025 को भारतीय नौसेना को सौंपा जाएगा देश का नया स्टील्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट INS तमाल.
क्या है INS तमाल की ताकत?
INS तमाल, रूस के साथ मिलकर विकसित किए गए किर्वाक-III क्लास के चार स्टील्थ फ्रिगेट्स में से एक है, जिसकी लंबाई 125 मीटर और वज़न करीब 3900 टन है. इसे भारत और रूस के विशेषज्ञों की निगरानी में तैयार किया गया है और यह किर्वाक क्लास का आखिरी जहाज होगा जो रूस में बना है. इसके बाद के दो फ्रिगेट गोवा शिपयार्ड में भारत में ही तैयार किए जाएंगे. INS तमाल भारत-रूस की बढ़ती रणनीतिक साझेदारी का अहम प्रतीक है.
स्टील्थ तकनीक और ब्रह्मोस की मारक क्षमता
INS तमाल को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि ये दुश्मन की रडार पकड़ में न आए. यह जहाज अत्याधुनिक ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल से लैस होगा, जिसकी रेंज 290 से 450 किलोमीटर तक है. इसकी तैनाती सामरिक दृष्टि से बेहद अहम अरब सागर में की जाएगी, जहां से पाकिस्तान के कराची जैसे ठिकाने महज़ कुछ सौ किलोमीटर की दूरी पर हैं.
आधुनिक हेलीकॉप्टर और एयर-डिफेंस से भी बेहतर
यह जहाज कामोव-28 और कामोव-31 जैसे आधुनिक कॉम्बैट हेलीकॉप्टर्स से लैस होगा, जिनकी मदद से यह पनडुब्बी और हवाई खतरों दोनों से निपटने में सक्षम होगा. इसके अलावा इसमें एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग सिस्टम, एंटी-सबमरीन टॉरपीडो सिस्टम और इंफ्रारेड बेस्ड स्टील्थ फीचर्स होंगे जो इसे F-35, F-16, J-35A और राफेल जैसे फाइटर जेट्स के हमले से भी सुरक्षित रखेंगे.
खास बात यह है कि समुद्र में इसकी मौजूदगी इसे दुश्मन के अत्याधुनिक S-500 एयर डिफेंस सिस्टम की पकड़ से भी दूर रखती है. यानी INS तमाल न केवल घातक है बल्कि अजेय भी.
भारत की नौसेना को नई धार
भारत ने रूस के साथ 2016 में करीब 21,000 रुपये करोड़ की डील की थी जिसके तहत चार किर्वाक-III फ्रिगेट्स का निर्माण होना था. इनमें से दो रूस में बन चुके हैं, जबकि शेष दो को भारत में तैयार किया जा रहा है. INS तमाल की डिलीवरी इस डील का अहम हिस्सा है, जिसकी लागत लगभग 8000 रुपये करोड़ है. इसमें 26% भारतीय उपकरणों का इस्तेमाल किया गया है.
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