हरियाणा में भूकंप, बाढ़, सेना सिक्योरिटी पर रिसर्च:जियोस्पेशियल डेटा के लिए 5 राज्यों में शामिल हुआ; 3 बड़े कामों में यूज होगा, सोनीपत से शुरू होगा

by Carbonmedia
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हरियाणा में भूकंप, बाढ़, सेना सिक्योरिटी जैसे अहम मुद्दों पर शोध होगा। इसके लिए केंद्र सरकार यहां से जियोस्टेशियल डेटा एकत्र करेगा। केंद्र ने राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति के तहत ऑपरेशन द्रोणगिरि के पहले फेज में भारत सरकार ने हरियाणा सहित पांच राज्यों को सेलेक्ट किया है। ये काम और बेहतर हो इसके लिए हरियाणा सरकार ने एक कमेटी का गठन किया है। ये कमेटियां स्टेट लेवल और डिस्ट्रिक्ट लेवल कमेटियां काम करेंगी। हरियाणा में सोनीपत को प्रथम चरण के लिए प्रारंभिक तौर पर योजना के लिए पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चुना है। राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति का उद्देश्य राष्ट्रीय विकास, आर्थिक समृद्धि एवं सूचना आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है। सोनीपत से शुरू होगा पायलट प्रोजेक्ट हरियाणा के अलावा महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, असम और उत्तर प्रदेश राज्यों को भी प्रथम चरण के लिए चुना गया है। ऑपरेशन द्रोणगिरि का उद्देश्य उच्च गुणवत्ता वाले भू-स्थानिक आंकड़ों को सेवा प्रदाताओं तक पहुंचाना है ताकि कृषि, परिवहन, बुनियादी ढांचा, आजीविका एवं कौशल विकास जैसे क्षेत्रों की विशिष्ट चुनौतियों का समाधान किया जा सके। इस परियोजना की नोडल एजेंसी सर्वे ऑफ इंडिया है और हरियाणा के सोनीपत को इसके आरंभ स्थल के रूप में चुना गया है। सर्वे ऑफ इंडिया के डायरेक्टर सचिव बने इस पहल की प्रभावी निगरानी एवं समन्वय सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने एक राज्य स्तरीय समिति गठित की है। जिसकी अध्यक्षता भूमि अभिलेख निदेशक हरियाणा करेंगे। सर्वे ऑफ इंडिया हरियाणा के निदेशक को सदस्य सचिव नियुक्त किया गया है। समिति में हरसेक के निदेशक, जिला राजस्व अधिकारी (मुख्यालय), सहायक निदेशक (मुख्यालय) और राजस्व एवं आपदा प्रबंधन कार्यालय से आईटी महाप्रबंधक अभिनव पहल भी इसके सदस्य होंगे। जिलास्तर पर सोनीपत में जिला उपायुक्त समिति की अध्यक्षता करेंगे जबकि सर्वे ऑफ इंडिया हरियाणा के अधीक्षक सर्वेक्षक सदस्य सचिव होंगे। जिला राजस्व अधिकारी सोनीपत एवं राजस्व व आपदा प्रबंधन विभाग के आईटी महाप्रबंधक सदस्य के रूप में कार्य करेंगे। ये होगी कमेटियों की जिम्मेदारी कमेटी का काम पायलट प्रोजेक्ट संचालन रूपरेखा तय करना, केंद्र एवं राज्य एजेंसियों के बीच कोआर्डिनेशन बनाना और प्रोजेक्ट की मॉनिटरिंग करना होगा। इसके अतिरिक्त ये कमेटियां जमीनी स्तर पर आने वाली चुनौतियों का समाधान कर समयबद्ध निर्णय लेना सुनिश्चित करेंगी। ये प्रोजेक्ट उन्नत ड्रोन आधारित मानचित्रण और भू-स्थानिक तकनीकों का उपयोग करके सरकारी सेवाओं की दक्षता बढ़ाने के लिए कार्य करेगी। कार्यक्रम के तहत किसानों को सटीक एवं आंकड़ा-आधारित कृषि सलाह प्राप्त होगी। जिससे वे अपनी फसल की उपज एवं संसाधनों का कुशल उपयोग कर सकेंगे। यह पहल सुनिश्चित करेगी कि किसी क्षेत्र से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी पारदर्शी, सुलभ और रणनीतिक रूप से उपयोगी हो। यहां पढ़िए क्या होता है जियोस्पेशियल डेटा… भू-स्थानिक आंकड़े इसको जियोस्पेशियल डेटा भी कहते हैं। यह वह डेटा है जिसमें पृथ्वी की सतह पर स्थित वस्तुओं, घटनाओं या विशेषताओं के स्थान के बारे में जानकारी एकत्र की जाती है। यह डेटा अक्षांश, देशांतर, ऊंचाई और अन्य भौगोलिक निर्देशांकों का उपयोग करके वस्तुओं की स्थिति को दर्शाता है। जियोस्पेशियाल डेटा को पहाड़, नदियां, जंगल के अलावा सड़कें, इमारतें, पुल से भी एकत्र किया जाता है। इसके अलावा भूकंप, बाढ़, आग जैसी घटनाओं को भी डेटा में शामिल किया जाता है। यहां-यहां होगा इस डेटा का यूज 1. सेना की सिक्योरिटी इस डेटा का उपयोग सैन्य अभियानों और उनकी सिक्योरिटी मॉनिटिरंग के लिए भी किया जाता है। इस डेटा का यूज ट्रांसपोर्टेशन क्षेत्र में सड़कों, रेलवे, और हवाई अड्डों की प्लानिंग और उनका प्रबंधन में करते हैं। भू-स्थानिक डेटा का उपयोग करने के लिए, विभिन्न प्रकार की प्रौद्योगिकियों का उपयोग किया जाता है, जैसे, जीआईएस (GIS), उपग्रहों और हवाई जहाजों से डेटा एकत्र करना, जीपीएस (GPS), ड्रोन के जरिए कम ऊंचाई से डेटा एकत्र करने के लिए उपयोग किए जाते हैं। 2. भूकंप, बाढ़ पर भी होगी रिसर्च सबसे अहम बात यह है कि इस डेटा का यूज भूगोल में मानचित्रण, सर्वेक्षण, और भू-स्थानिक विश्लेषण में किया जाता है। वहीं आपदा प्रबंधन की घटनाओं में बाढ़, भूकंप जैसी आपदाओं की मॉनिटरिंग और रिएक्शन का अध्ययन किया जाता है। 3. एग्रीकल्चर, अर्बन प्लानिंग भी होगी जियोस्पेशियल डेटा का हरियाणा में शहरों की प्लानिंग के तहत शहरों और कस्बों के विकास की योजना बनाई जाएगी। इसके अलावा वनों की कटाई, प्रदूषण की निगरानी, कृषि के क्षेत्र में फसल की पैदावार और सिंचाई मैनेजमेंट किया जाएगा।

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