Asaduddin Owaisi Big Claim: हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने निर्वाचन आयोग पर बिहार में चुपके से नागरिकता सत्यापन (एनआरसी) लागू करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि अब वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने के लिए नागरिकों को अपने और उनके माता-पिता के जन्म स्थान व तारीख के दस्तावेज़ पेश करने होंगे. ओवैसी ने चेतावनी दी कि इससे बिहार के लाखों गरीब, खासकर बाढ़ प्रभावित सीमांचल के निवासी, जिनके पास दस्तावेज़ नहीं हैं, वोटिंग अधिकार से वंचित हो जाएंगे.
ओवैसी ने जोर देकर कहा, ‘सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, केवल 75% जन्म से ही पंजीकृत होते हैं. ऐसे में गरीबों से माता-पिता के दस्तावेज मांगना एक क्रूर मजाक है.” उन्होंने 1995 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले (लाल बाबू हुसैन केस) का हवाला देते हुए कहा कि बिना सबूत के किसी को वोटर लिस्ट से नहीं हटाया जा सकता.
निर्वाचन आयोग बिहार में गुप्त तरीक़े से एनआरसी लागू कर रहा है। वोटर लिस्ट में नाम दर्ज करवाने के लिए अब हर नागरिक को दस्तावेज़ों के ज़रिए साबित करना होगा कि वह कब और कहाँ पैदा हुए थे, और साथ ही यह भी कि उनके माता-पिता कब और कहाँ पैदा हुए थे। विश्वसनीय अनुमानों के अनुसार भी केवल…
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) June 27, 2025
क्या हैं नए नियम?
जुलाई 1987 से पहले जन्मे लोगों के पास एक प्रमाण पत्र का एक ऑप्शन होना चाहिए. जुलाई 1987-दिसंबर 2004 के बीच जन्मे लोग खुद के साथ माता या पिता में से किसी एक का जन्म प्रमाण होना जरूरी है. दिसंबर 2004 के बाद जन्मे लोगों के माता-पिता के दस्तावेज अनिवार्य है.
चुनाव आयोग का टारगेट
चुनाव आयोग का लक्ष्य जून-जुलाई में घर-घर जाकर डेटा जुटाना है, लेकिन ओवैसी ने सवाल उठाया कि बिहार जैसे बड़े और कम विकसित राज्य में यह प्रक्रिया कितनी पारदर्शी होगी. उन्होंने चुनाव के नजदीक आते हुए इस कदम को “लोकतंत्र के लिए खतरनाक बताया. संविधान हर भारतीय को मतदान का अधिकार देता है. यह फैसला गरीबों को इस अधिकार से वंचित करेगा,” ओवैसी ने चेतावनी दी.
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