हाई कोलेस्ट्रॉल (हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया) एक साइलेंट किलर के रूप में जाना जाता है, क्योंकि अक्सर इसके लक्षण साफ तौर पर नजर नहीं आते. हालांकि, जब पैदल चलने तक में भी शरीर कुछ संकेत दे तो अलर्ट हो जाना चाहिए. ये संकेत कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ने की वजह से सामने आ सकते हैं, जो अक्सर पेरिफिरल आर्टरी डिजीज (पीएडी) से जुड़े होते हैं. इन्हें नजरअंदाज करना घातक हो सकता है. ये कौन से संकेत हैं, जिन पर ध्यान देना जरूरी है? आइए जानते हैं.
कोलेस्ट्रॉल क्या है?
कोलेस्ट्रॉल एक प्रकार का लिपिड (फैट) है, जिसे शरीर खुद भी बनाता है. यह कुछ फूड प्रोडक्ट जैसे मांस, अंडे, डेयरी उत्पाद आदि से भी मिलता है.
1. चलने या सीढ़ियां चलने में हो दिक्कत
पैरों में दर्द हाई कोलेस्ट्रॉल के शुरुआती लक्षण में से एक है, जो पीएडी (पेरिफिरल आर्टरी डिजीज) के कारण होता है. जब कोलेस्ट्रॉल आर्टरीज में जमा होने लगता है तो वे संकरी हो जाती हैं. मसल्स तक ऑक्सीजन की सप्लाई प्रॉपर नहीं पहुंचती. इससे वॉकिंग और सीढ़ियां चढ़ने के दौरान पिंडलियों, थाई या नितंबों में दर्द, थकावट या डिसकम्फर्ट महसूस होता है.
2. कमजोर होने लगती हैं मसल्स
कोलेस्ट्रॉल आर्टरीज में जमा होने से ब्लड फ्लो प्रभावित होता है. पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलने से मसल्स कमजोर होने लगती हैं. चलने, लंबे समय तक खड़ रहने और बॉडी का बैलेंस बनाने में भी दिक्कत होती है. ऐसी स्थिति अधिक समय तक रहने से मसल्स एट्रोफी (मांसपेशियां सिकुड़ना) की समस्या हो सकती है. इससे चलना-फिरना और भी कठिन हो सकता है, विशेष रूप से बुजुर्गों या पहले से बीमार व्यक्तियों में ये दिक्कत देखने को मिल सकती है.
3. ठंडे पड़ जाते हैं पैर
ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होने से एक पैर या टांग दूसरे की अपेक्षा ठंडा लगता है, वॉकिंग के बाद ऐसा विशेषकर महसूस होता है. सीरियस केसेज में ऑक्सीजन की कमी से टांग पीली या नीली पड़ सकती है. हाथ-पैरों में लगातार ठंडक महसूस होने को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि यह आर्टरीज में गंभीर ब्लॉकेज का संकेत हो सकता है.
4. सुन्नपन और झनझनाहट
ब्लड फ्लो बाधित होने से पैरों या पैरों की अंगुलियों में सुन्नपन या झनझनाहट (पिन्स एंड नीडल्स सेंसेशन ) महसूस हो सकती है. ऐसा विशेषकर फिजिकल एक्टिविटी के दौरान होता है. पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलने से नर्व डैमेज हो सकती हैं. अगर ये समस्या बार-बार या काफी समय से है तो डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए, जिससे किसी कॉम्पलिकेशंस जैसे इंफेक्शन या अल्सर से बचाव किया जा सके.
5. बदलने लगता है पैरों का कलर
खराब ब्लड सर्कुलेशन के चलते पैरों या टांगों की स्किन का कलर हल्का या नीला-बैंगनी दिखाई दे सकता है. गंभीर मामलों में ये सायनोसिस के रूप में सामने आ सकता है, जिसमें ऑक्सीजन की कमी से टिश्यूज नीले पड़ना शुरू हो जाते हैं.
ये भी पढ़ें: फैसले लेने में कंफ्यूजन, थका हुआ रहता है शरीर…इस डिफिशिएंसी से तो नहीं जूझ रहे, प्रेगनेंट महिला भी रखें ध्यान
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.