Himachal Pradesh Cloud Burst: हिमाचल प्रदेश में घटित हुई बादल फटने की घटनाओं को लेकर IIT मंडी के प्रो वरूण दत्त से विशेष बातचीत हुई, जिसमें उन्होंने क्लाइमेट चेंज से जुडे विषयों पर प्रकाश डाला. प्रो वरूण दत्त ने बताया कि वे क्लाइमेट चेंज से जुडे़ विषयों पर शोध करते हैं.
पिछले 10 सालों की रिसर्च के आधार यह कहा जा सकता है कि बादल फटने की घटनाएं 121 प्रतिशत बढ़ रही हैं, 2014 से लेकर 2024 के आंकडों पर नजर डालें तो बादल फटने की घटनायें तेजी से बढ़ रही हैं, 10 सालों के समय अन्तराल में यदि कोई चीज विकसित होती है, तो उसे हम क्लाइमेट चेंज कह सकते हैं.
प्रो. वरुण दत्त ने बताए बादल फटने के कारण
1- पहाड़ी राज्यों खासकर हिमाचल प्रदेश में इन दिनों बादल फटने की घटनाएं काफी ज्यादा बढ़ गई हैं. इसकी वजह जलवायु परिवर्तन हो सकती है.
2- बादल फटने के बाद पहाड़ों से पानी बेहद तेज नीचे उतरता है. इसकी एक वजह पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो सकती है.
3- पहाड़ों का दोहन हो रहा है, पत्थर निकाले जा रहे हैं. इसके कारण भी पहाड़ों पर पानी अब ज्यादा तेजी से नीचे आने लगा है.
4- नदी से रेत निकाली जा रही है. इसके कारण बादल फटने के बाद पहाड़ों से आए पानी की रफ्तार और ज्यादा होती है, जो तबाही मचाता है.
5- नदी के किनारे होटल, घर बन रहे हैं. इसके कारण कटाव हो रहा है. पानी को रास्ता नहीं मिलता, जो नदी को विकराल बनाता था, इससे भी तबाही मचती है.
6- नदियों में प्रदूषण बढ़ रहा है. पर्यटक गंदगी फैलाते हैं, ऐसी कई तस्वीर अक्सर सामने आती रहती हैं, इसके अलावा हमने देखा कैसे नदी के साथ कटे हुए पेड़ बहकर आए. ये पानी का रास्ता रोकते हैं, जिससे एक तो पानी विकराल हो जाता है. दूसरा रास्ता नहीं मिलने के कारण पानी सड़कों, पुलों के ऊपर आ जाता है, इसके अलावा पानी घरों में भी घुसता है, जिससे हादसे होते हैं.
7- क्या हिमाचल प्रदेश में चल रहे हाइड्रो प्रोजेक्ट राज्य के लिए खतरनाक हो सकते हैं.. जल विद्युत परियोजनाओं से नदियों के बहाव में परिवर्तन हो सकता है, जिससे जलीय जीवन और इकोसिस्टम पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. परियोजनाओं के लिए बांधों के निर्माण से जंगलों और प्राकृतिक आवासों को नुकसान हो सकता है.
हिमाचल में 121 फीसदी बढ़ीं बादल फटने की घटनाएं, IIT की रिसर्च रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे
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