हरियाणा के नूंह जिले में अमृत सरोवर” योजना के तहत, तालाबों को पुनर्जीवित करने और ग्रामीण क्षेत्रों में पानी के संरक्षण के लिए मॉडल तालाबों के रूप में विकसित किए गए तालाबों में हुए गबन के मामले अब सामने आने लगे है। ऐसा ही गबन का एक मामला पुन्हाना खंड के सबसे बड़े गांव सिंगार से सामने आया है। जहां पंचायत विभाग और ठेकेदार की मिलीभगत से गांव के मॉडल तालाब में गंदगी के अंबार लगे हुए है। जिससे ग्रामीणों में पंचायत विभाग के खिलाफ रोष पनप रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि तालाब के सौंदर्यीकरण पर सरकार ने करीब 35 लाख खर्च किए, लेकिन पूरा पैसा बंदरबांट हो गया। अधिकारियों को दी शिकायत गांव सिंगार के शिकायतकर्ता आरिफ, शाकिर खान, हाजी इकबाल,अब्दुल खान अन्य ग्रामीणों ने बताया कि सरकार ने गांव में ताली वाले तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए करीब 35 लाख रुपए खर्च किए थे। लेकिन धरातल पर पचास हजार रुपए भी खर्च नहीं किए गए। शिकायतकर्ता आरिफ व असगरी ने मुख्यमंत्री, उपायुक्त एवं उप मंडल अधिकारी को लिखित रूप से शिकायत दी है। ग्रामीणों ने कहा की सरकार ने यह योजना इसलिए शुरू की थी ताकि इन तालाबों को न केवल पेयजल और सिंचाई के लिए, बल्कि पशुओं के लिए भी पानी उपलब्ध कराने के लिए बनाया जा रहा है। लेकिन यह अब गंदगी से पूरी तरह लबालब है। तालाब पर किया हुआ है अवैध कब्ज़ा ग्रामीणों ने बताया कि तालाब के सौंदर्यीकरण पर पैसे लगाने की बात तो दूर, बल्कि उसका पैसा निकालकर तालाब के चारों तरफ अवैध कब्जा करवा दिया। गांव की नालियां तालाब में जाकर मिलती है उन्हें भी कब्जाधारियों ने बंद कर दिया है। ग्रामीणों का आरोप है कि तालाब में अवैध खनन कर मिट्टी को ठेकेदार द्वारा महंगे दामों पर अवैध रूप से बेचा गया है। तालाब में बड़े बड़े गड्ढे हो गए है ,जिसमें कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। जिसके चलते वहां के हालात बद से बदतर हो गए है। उन्होंने कहा की जिस फर्म को इसका ठेका दिया गया, उसने कोई कार्य नहीं किया और सरकारी पैसे का दुरुपयोग किया है। पंचायत विभाग के अधिकारियों पर मिलीभगत का आरोप ग्रामीणों के मुताबिक आजादी का अमृत महोत्सव के दौरान देश के पीएम नरेंद्र मोदी ने पूरे देश में करीब 10 हजार से अधिक तालाबों को अमृत सरोवर अभियान के तहत मॉडल पॉन्ड बनाने की बात कही थी। इसी अभियान के तहत नूंह जिले के गांवो में भी करीब 90 मॉडल तालाब बनाए जाने की योजना है। लेकिन अधिकारियों की लापरवाही से मेवात में इस योजना के तहत भारी गबन हुआ है। गांव में पंचायत विभाग के कनिष्ठ अभियंता और एसडीओ ने ठेकेदार से मिलीभगत कर तालाब में खानापूर्ति के लिए कुछ कार्य को कर कागजों में पूरा कार्य पूरा दिखा दिया है। लेकिन धरातल पर काम हुआ ही नहीं। इसके अलावा पास के ही गांव बिछौर में भी मॉडल तालाब बनाने के नाम पर अधिकारियों ने भारी गबन किया है। ग्रामीणों ने ऐसे तालाबों की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है। मॉडल पॉन्ड से लोगों को ये फायदा मिलने चाहिए सरकार की योजना के अनुसार मॉडल तालाबों पर तार फेंसिंग के अलावा बैठने के लिए कुर्सियों का भी इंतजाम होना चाहिए। ग्रामीणों को भी इन तालाबों में न केवल सैर सपाटा करने के लिए एक ट्रैक बनाने की योजना है, बल्कि वृक्षारोपण से लेकर मछली पालन सहित कई प्रकार के फायदा ग्रामीण इन मॉडल पॉन्ड के माध्यम से मिलना चाहिए। वहीं चारों तरफ स्ट्रीट लाइटें और पार्क की व्यवस्था ही इस योजना में शामिल है। लेकिन गांव सिंगार के मॉडल तालाब पर इस तरह की सुविधा दूर-दूर नजर नहीं आती। हां गंदगी जरुरी तालाब में भरी हुई दिखाई दे रही है। पंचायत विभाग के कनिष्ठ अभियंता मुस्ताक ने बताया कि गांव के तालाब को मॉडल तालाब के रूप में विकसित किया गया था। कुछ कार्य तालाब में करना बाकी है,जिसे जल्द ही पूरा किया जायेगा। अगर ग्रामीणों ने कोई शिकायत की है तो वह इसकी जांच कराएंगे।
नूंह में मॉडल तालाब में बह रही गंदगी:सौंदर्यीकरण के लिए 35 लाख खर्च,ग्रामीणों में रोष,अधिकारियों को दी शिकायत
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