Bihar: नीतीश के गढ़ में चिराग की हुंकार, राजगीर में आज करेंगे बहुजन भीम संकल्प रैली

by Carbonmedia
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Chirag Paswan’s Rally: बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान पूरी तरह से सक्रिय हो गए हैं. आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गढ़ राजगीर में ‘बहुजन भीम संकल्प रैली’ का आयोजन करने जा रहे हैं. यह रैली राजगीर के स्टेट गेस्ट हाउस मैदान में होगी.
मगध के कई जिलों की जनता होगी शामिल
इस रैली को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं में खासा उत्साह है. चिराग पासवान की यह सभा सिर्फ नालंदा ही नहीं बल्कि मगध के अन्य जिलों नवादा, शेखपुरा, गया और जहानाबाद की जनता को जोड़ने का प्रयास है. पार्टी नेताओं का दावा है कि यह रैली ऐतिहासिक होगी और बड़ी संख्या में लोग इसमें शामिल होंगे.
झूठे प्रचार पर लगाम जरूरी- चिराग
चिराग पासवान ने कहा कि इस रैली का उद्देश्य सिर्फ शक्ति प्रदर्शन नहीं, बल्कि समाज के कमजोर तबकों को भ्रमित करने की विपक्ष की साजिशों के खिलाफ एकजुट करना है. उन्होंने कहा, ‘विपक्ष ने अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों को डराने की कोशिश की कि आरक्षण खत्म हो जाएगा, संविधान बदल जाएगा. लेकिन हम सबने देखा कि यह सब केवल भ्रम फैलाने की राजनीति थी.’
‘मैं हूं आरक्षण और संविधान का पहरेदार’
चिराग पासवान ने दो टूक कहा कि जब तक वे केंद्र सरकार में हैं, तब तक आरक्षण और संविधान को कोई खतरा नहीं है. उन्होंने भरोसा दिलाया कि उनकी पार्टी और वे खुद समाज के पिछड़े, वंचित और अल्पसंख्यक वर्गों के लिए पहरेदार की भूमिका निभा रहे हैं. चिराग ने कहा ‘हम न सिर्फ उनकी आवाज बनेंगे बल्कि उनके अधिकारों की रक्षा भी पूरी ताकत से करेंगे’.‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ को हर घर तक पहुंचाएंगे
चिराग पासवान ने यह भी बताया कि उनकी पार्टी लगातार अलग-अलग क्षेत्रों में बड़ी सभाओं का आयोजन कर रही है ताकि ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ की सोच को हर घर तक पहुंचाया जा सके. उन्होंने जनता से अपील की कि वे झूठे प्रचार के जाल में न फंसें और सही बात को समझें.
इस रैली को नीतीश कुमार के गृह क्षेत्र राजगीर में करने के पीछे रणनीतिक सोच साफ दिखाई देती है. चिराग पासवान यहां से यह संदेश देना चाहते हैं कि उनकी पार्टी अब पूरे राज्य में पैर जमा चुकी है और मुख्यमंत्री के गढ़ में भी अपनी मौजूदगी दिखाने को तैयार है.
आज की रैली को लेकर पार्टी ही नहीं, राजनीतिक विश्लेषकों की भी नजर टिकी हुई है. देखना होगा कि चिराग पासवान इस जनसमूह के जरिए अपने संदेश को कितना प्रभावशाली बना पाते हैं और आगामी चुनावों में इसका कितना असर दिखेगा.

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